|| मारुति स्तोत्र की जप की विधि ||
- मारुति स्तोत्र का पाठ प्रातः के समय या फिर संध्या वंदन के समय करना चाहिए।
- इसके पाठ के लिए सबसे पहले स्वयं को शुद्ध कर लें।
- इसके बाद आसान हनुमान जी की प्रतिमा के आसन विछाकर बैठें।
- हनुमान जी की विधिवत पूजा करें।
- उसके पश्चात पाठ प्रारंभ करें।
- फल प्राप्ति के लिए पाठ को 1100 बार पढ़ें।
- पाठ करते समय मन में हनुमान जी का ध्यान अवश्य करें।
- पाठ एक स्वर में लयबद्ध तरीके से करें।
- अधिक ऊँची आवाज में चिल्लाकर पाठ न करें।
- पाठ करने वाले जातक को मांसाहार का सेवन नहीं करना चाहिए।
- इसके अलावा उसे शराब, सिगरेट, पान-मसाला या अन्य मादक पदार्थ का सेवन नहीं करना चाहिए।
|| मारुति स्तोत्रम् ||
भीमरूपी महारुद्रा, वज्रहनुमान मारुती |
वनारी अंजनीसूता रामदूता प्रभंजना ||
महाबळी प्राणदाता, सकळां उठवी बळें |
सौख्यकारी दुःखहारी, दुत वैष्णव गायका ||
दीननाथा हरीरूपा, सुंदरा जगदांतरा|
पाताळदेवताहंता, भव्यसिंदूरलेपना ||
लोकनाथा जगन्नाथा, प्राणनाथा पुरातना |
पुण्यवंता पुण्यशीला, पावना परितोषका ||
ध्वजांगे उचली बाहो, आवेशें लोटला पुढें |
काळाग्नी काळरुद्राग्नी, देखतां कांपती भयें ||
ब्रह्मांडे माईलें नेणों, आवळे दंतपंगती |
नेत्राग्नीं चालिल्या ज्वाळा, भ्रुकुटी ताठिल्या बळें ||
पुच्छ ते मुरडिले माथा, किरीटी कुंडले बरीं |
सुवर्ण कटी कांसोटी, घंटा किंकिणी नागरा ||
ठकारे पर्वता ऐसा, नेटका सडपातळू |
चपळांग पाहतां मोठे, महाविद्युल्लतेपरी ||
कोटिच्या कोटि उड्डाणें, झेपावे उत्तरेकडे |
मंद्राद्रीसारिखा द्रोणू, क्रोधें उत्पाटिला बळें ||
आणिला मागुतीं नेला, आला गेला मनोगती |
मनासी टाकिलें मागें, गतीसी तुळणा नसे ||
अणूपासोनि ब्रह्मांडाएवढा होत जातसे |
तयासी तुळणा कोठे, मेरु मंदार धाकुटे ||
ब्रह्मांडाभोवतें वेढें, वज्रपुच्छें करू शकें |
तयासी तुळणा कैची, ब्रह्मांडी पाहता नसे ||
आरक्त देखिलें डोळा, ग्रासिलें सूर्यमंडळा |
वाढतां वाढतां वाढें, भेदिलें शून्यमंडळा ||
धनधान्य पशूवृद्धि, पुत्रपौत्र समग्रही |
पावती रूपविद्यादी, स्तोत्रपाठें करूनियां ||
भूतप्रेतसमंधादी, रोगव्याधी समस्तही |
नासती तूटती चिंता, आनंदे भीमदर्शनें ||
हे धरा पंधरा श्लोकी, लाभली शोभली बरी |
दृढदेहो निसंदेहो, संख्या चन्द्रकळागुणें ||
रामदासी अग्रगण्यू, कपिकुळासि मंडणू |
रामरूपी अंतरात्मा, दर्शनें दोष नासती ||
॥इति श्रीरामदासकृतं संकटनिरसनं मारुतिस्तोत्रं संपूर्णम्॥
|| मारुति स्तोत्र पाठ करने के लाभ ||
- मारुती स्तोत्र का पाठ करने से हनुमान जी प्रसन्न होते हैं और अपने भक्त को आशीर्वाद देते हैं।
- मारुती स्तोत्र के पाठ से भक्त के जीवन में सभी तरह की शुख शांति मिलती है।
- मारुती स्तोत्र के पाठ से भक्त के ह्रदय से भय का नाश होता है।
- मारुती स्तोत्र के पाठ से हनुमान जी अपने भक्त के सभी कष्टों का निवारण कर देते हैं।
- मारुती स्तोत्र के पाठ से जीवन में धन-धान्य की बृद्धि होती है.
- मारुती स्तोत्रम् के पाठ से साधक के चारों ओर स्थित सभी तरह की नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है।
- मारुती स्तोत्र के पाठ से साधक के चारों तरफ़ सकारात्मक उर्जा का प्रवाह होता है।
- मारुती स्तोत्र का पाठ करने से हनुमान जी अपने भक्त के सभी रोग और कष्टों का निवारण करतें हैं।
- मारुती स्तोत्र के पाठ से भक्त के शारीरिक और मानसिक शक्ति में बृद्धि होती है।
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