जय माता दी! हर महीने जब दुर्गाष्टमी आती है, तो हमारे मन में एक अलग ही ऊर्जा और भक्ति का संचार होता है। साल में चार गुप्त नवरात्रि और दो प्रत्यक्ष नवरात्रि के अलावा, हर महीने शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मासिक दुर्गाष्टमी मनाई जाती है। यह दिन माँ दुर्गा को समर्पित होता है और उनके भक्त इस दिन व्रत रखकर माँ का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि मासिक दुर्गाष्टमी इतनी शुभ क्यों मानी जाती है? आइए, आज हम इसी रहस्यमयी शक्ति और व्रत की पूरी प्रक्रिया को विस्तार से समझते हैं।
मासिक दुर्गाष्टमी की महिमा और शक्ति
माँ दुर्गा शक्ति का स्वरूप हैं। वह दुष्टों का नाश करने वाली और अपने भक्तों की रक्षा करने वाली देवी हैं। मासिक दुर्गाष्टमी का दिन माँ की इसी शक्ति को समर्पित है।
- मान्यता है कि इस दिन माँ दुर्गा की पूजा करने से हमारे जीवन से सभी नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं। घर में सुख-शांति आती है और हर तरह की बाधाएं दूर होती हैं।
- जो भक्त सच्चे मन से माँ दुर्गा की पूजा और व्रत करते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। माँ अपने भक्तों पर अपनी कृपा बरसाती हैं और उन्हें हर संकट से बचाती हैं।
- मासिक दुर्गाष्टमी का व्रत हमें आध्यात्मिक रूप से मजबूत बनाता है। यह हमें संयम, एकाग्रता और भक्ति की भावना सिखाता है। इस दिन की गई पूजा से मन शांत होता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
- माँ दुर्गा को “शत्रु-विनाशिनी” भी कहा जाता है। इस दिन उनकी पूजा करने से व्यक्ति अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त करता है और सभी प्रकार के भय से मुक्त होता है।
मासिक दुर्गाष्टमी व्रत की पूरी प्रक्रिया
मासिक दुर्गाष्टमी का व्रत बहुत ही सरल और पवित्र होता है। इसे कोई भी व्यक्ति पूरी श्रद्धा से कर सकता है।
- व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूरे घर को साफ करें और पूजा स्थल को गंगाजल छिड़ककर पवित्र करें।
- माँ दुर्गा की पूजा के लिए कुछ आवश्यक सामग्री जैसे: माँ दुर्गा की प्रतिमा या तस्वीर, लाल चुनरी, रोली, कुमकुम, चावल, धूप, दीपक, फूल, फल, मिठाई, कपूर, लौंग, इलायची, पान, सुपारी, नारियल, और जल तैयार कर लें।
- पूजा शुरू करने से पहले हाथ में जल और थोड़े चावल लेकर व्रत का संकल्प लें। मन ही मन माँ दुर्गा से प्रार्थना करें कि आपका व्रत सफलतापूर्वक पूरा हो। माँ दुर्गा का ध्यान करें और उनका आवाहन करें।
- माँ दुर्गा की प्रतिमा या तस्वीर को एक चौकी पर स्थापित करें। उन्हें लाल चुनरी ओढ़ाएं। रोली, कुमकुम से तिलक करें। फूल, धूप, दीपक अर्पित करें।
- दुर्गा चालीसा का पाठ करें और माँ दुर्गा के मंत्रों का जाप करें। कुछ प्रमुख मंत्र:ॐ दुं दुर्गायै नमः, सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्ये त्रयम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते।।
- पूजा के अंत में कपूर से माँ दुर्गा की आरती करें। आरती करते समय पूरे घर में आरती की लौ घुमाएं, जिससे नकारात्मक ऊर्जा दूर हो। माँ को अर्पित किया गया प्रसाद (फल, मिठाई) भक्तों में बांटें और स्वयं भी ग्रहण करें।
व्रत के नियम/पारण
- मासिक दुर्गाष्टमी के व्रत में फलाहार किया जाता है। आप दूध, फल, जूस, साबूदाना खिचड़ी आदि का सेवन कर सकते हैं। नमक का सेवन न करें, या फिर सेंधा नमक का प्रयोग करें।
- व्रत के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करें।
- मन को शांत और सकारात्मक रखें। किसी से लड़ाई-झगड़ा न करें।
- कुछ भक्त इस दिन रात्रि जागरण कर माँ का गुणगान करते हैं और भजन-कीर्तन करते हैं।
- अगले दिन, यानी नवमी तिथि को, स्नान करने के बाद माँ दुर्गा की पूजा करें और उन्हें भोग लगाएं। इसके बाद किसी कन्या या ब्राह्मण को भोजन कराकर दान दें। फिर स्वयं भोजन ग्रहण कर व्रत का पारण करें।
2025 में मासिक दुर्गाष्टमी की तिथियाँ
महीना | तिथि |
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जनवरी | जनवरी 7, 2025, मंगलवार |
फरवरी | फरवरी 5, 2025, बुधवार |
मार्च | मार्च 7, 2025, शुक्रवार |
अप्रैल | अप्रैल 5, 2025, शनिवार |
मई | मई 5, 2025, सोमवार |
जून | जून 3, 2025, मंगलवार |
जुलाई | जुलाई 3, 2025, बृहस्पतिवार |
अगस्त | अगस्त 1, 2025, शुक्रवार |
अगस्त | अगस्त 31, 2025, रविवार |
सितम्बर | सितम्बर 30, 2025, मंगलवार |
अक्टूबर | अक्टूबर 30, 2025, बृहस्पतिवार |
नवम्बर | नवम्बर 28, 2025, शुक्रवार |
दिसम्बर | दिसम्बर 28, 2025, रविवार |
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