Misc

श्री नमिनाथ चालीसा

Naminath Chalisa Hindi Lyrics

MiscChalisa (चालीसा संग्रह)हिन्दी
Share This

Join HinduNidhi WhatsApp Channel

Stay updated with the latest Hindu Text, updates, and exclusive content. Join our WhatsApp channel now!

Join Now

।। चालीसा ।।

सतत पूज्यनीय भगवान,
नमिनाथ जिन महिमावान ।
भक्त करें जो मन में ध्याय,
पा जाते मुक्ति वरदान ।

जय श्री नमिनाथ जिन स्वामी,
वसु गुण मण्डित प्रभु प्रणमामि ।
मिथिला नगरी प्रान्त बिहार,
श्री विजय राज्य करें हितकर ।
विप्रा देवी महारानी थीं,
रूप गुणों की वे खानि थीं ।
कृष्णाश्विन द्वितीया सुखदाता,
षोडश स्वप्न देखती माता ।

अपराजित विमान को तजकर,
जननी उदर वसे प्रभु आकर ।
कृष्ण आषाढ़ दशमी सुखकार,
भूतल पर हुआ प्रभु अवतार ।
आयु सहस दस वर्ष प्रभु की,
धनु पन्द्रह अवगाहना उनकी ।
तरुण हुए जब राजकुमार,
हुआ विवाह तब आनन्दकार ।

एक दिन भ्रमण करें उपवन में,
वर्षा ऋतु में हर्षित मन में ।
नमस्कार करके दो देव,
कारण कहने लगे स्वयमेव ।
ज्ञात हुआ है क्षेत्र विदेह में,
भावी तीर्थंकर तुम जग में ।
देवों से सुनकर ये बात,
राजमहल लौटे नमिनाथ ।

सोच हुआ भव-भव ने भ्रमण का,
चिन्तन करते रहे मोचन का ।
परम दिगम्बर व्रत करूँ अर्जन,
रत्नत्रयधन करूँ उपार्जन ।
सुप्रभ सुत को राज सौंपकर,
गए चित्रवन ने श्री जिनवर ।
दशमी आषाढ़ मास की कारी,
सहस नृपति संग दीक्षाधारी ।

दो दिन का उपवास धारकर,
आतम लीन हुए श्री प्रभुवर ।
तीसरे दिन जब किया विहार,
भूप वीरपुर दें आहार ।
नौ वर्षों तक तप किया वन में,
एक दिन मौलि श्री तरु तल में ।
अनुभूति हुई दिव्याभास,
शुक्ल एकादशी मंगसिर मास ।

नमिनाथ हुए ज्ञान के सागर,
ज्ञानोत्सव करते सुर आकर ।
समोशरण था सभी विभूषित,
मानस्तम्भ थे चार सुशोभित ।
हुआ मौनभंग दिव्य धवनि से,
सब दुख दूर हुए अवनि से ।
आत्म पदार्थ की सत्ता सिद्ध,
करता तन ने अहम् प्रसिद्ध ।

बाह्य़ोन्द्रियों में करण के द्वारा,
अनुभव से कर्ता स्वीकारा ।
पर-परिणति से ही यह जीव,
चतुर्गति में भ्रमे सदीव ।
रहे नरक सागर पर्यन्त,
सहे भूख प्यास तिर्यन्च ।
हुआ मनुज तो भी संक्लेश,
देवों में भी ईष्या-द्वेष ।

नहीं सुखों का कहीं ठिकाना,
सच्चा सुख तो मोक्ष में माना ।
मोक्ष गति का द्वार है एक,
नरभव से ही पाये नेक ।
सुन कर मगन हुए सब सुरगण,
व्रत धारण करते श्रावक जन ।
हुआ विहार जहाँ भी प्रभु का,
हुआ वहीं कल्याण सभी का ।

करते रहे विहार जिनेश,
एक मास रही आयु शेष ।
शिखर सम्मेद के ऊपर जाकर,
प्रतिमा योग धरा हर्षा कर ।
शुक्ल ध्यान की अग्नि प्रजारी,
हने अघाति कर्म दुखकारी ।
अजर-अमर-शाश्वत पद पाया,
सुर-नर सबका मन हर्षाया ।

शुभ निर्वाण महोत्सव करते,
कूट मित्रधर पूजन करते ।
प्रभु हैं नीलकमल से अलंकृत,
हम हों उत्तम फ़ल से उपकृत ।
नमिनाथ स्वामी जगवन्दन,
अरुणा करती प्रभु-अभिवन्दन ।

Found a Mistake or Error? Report it Now

Download श्री नमिनाथ चालीसा MP3 (FREE)

♫ श्री नमिनाथ चालीसा MP3
श्री नमिनाथ चालीसा PDF

Download श्री नमिनाथ चालीसा PDF

श्री नमिनाथ चालीसा PDF

Leave a Comment

Join WhatsApp Channel Download App