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Narsimha Puran (नरसिंह पुराण)

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नृसिंह पुराण हिंदू धर्म के अठारह महापुराणों में से एक महत्वपूर्ण पुराण है। यह पुराण भगवान विष्णु के नृसिंह अवतार को समर्पित है, जो आधे सिंह और आधे मानव के रूप में प्रकट हुए थे। नृसिंह पुराण में भगवान विष्णु के इस अवतार की महिमा, उनकी लीलाओं, धर्म, भक्ति, और पौराणिक कथाओं का विस्तार से वर्णन मिलता है।

नृसिंह पुराण की रचना महर्षि वेदव्यास ने की थी। इसमें कुल 14,000 श्लोक हैं और यह विभिन्न अध्यायों में विभाजित है। इसमें नृसिंह अवतार के साथ-साथ अन्य धार्मिक और पौराणिक विषयों पर भी विस्तृत जानकारी प्रदान की गई है।

नृसिंह पुराण के प्रमुख विषय

  • नृसिंह पुराण में भगवान विष्णु के नृसिंह अवतार की कथा, उनकी लीलाओं, और हिरण्यकश्यप के वध का विस्तार से वर्णन है। इसमें बताया गया है कि कैसे भगवान विष्णु ने नृसिंह रूप धारण कर अपने भक्त प्रह्लाद की रक्षा की और अधर्मी हिरण्यकश्यप का वध किया।
  • इस पुराण में धर्म, नैतिक आचरण, और जीवन के विभिन्न चरणों के नियमों का विस्तृत वर्णन है। इसमें वर्णाश्रम धर्म, गृहस्थ जीवन, और संन्यास के कर्तव्यों पर विशेष ध्यान दिया गया है।
  • नृसिंह पुराण में विभिन्न तीर्थ स्थलों का महत्व, पूजा विधियों, व्रतों, और त्योहारों का विस्तृत वर्णन है। इसमें विशेषकर नृसिंह मंदिरों और अन्य प्रमुख तीर्थ स्थलों का महत्व बताया गया है।
  • इस पुराण में विभिन्न पौराणिक कथाएँ और धार्मिक उपाख्यान शामिल हैं। ये कथाएँ नैतिक और धार्मिक शिक्षा प्रदान करती हैं और जीवन के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालती हैं।
  • नृसिंह पुराण में भगवान विष्णु के अन्य अवतारों, उनकी लीलाओं, और उनके भक्तों की कथाओं का भी विस्तृत वर्णन है। इसमें विष्णु भक्ति के महत्व और उनके पूजन विधियों का भी विवरण है।
  • इस पुराण में योग, ध्यान, और साधना के महत्व और विधियों का भी वर्णन है। इसमें आत्मा की शुद्धि और मोक्ष प्राप्ति के मार्ग बताए गए हैं।

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