॥ नवग्रहपीडाहर स्तोत्रम् ॥
ग्रहाणामादिरादित्यो लोकरक्षणकारकः ।
विषमस्थानसंभूतां पीडां हरतु मे रविः ॥
रोहिणीशः सुधामूर्तिः सुधागात्रः सुधाशनः ।
विषमस्थानसंभूतां पीडां हरतु मे विधुः ॥
भूमिपुत्रो महातेजा जगतां भयकृत् सदा ।
वृष्टिकृद्वृष्टिहर्ता च पीडां हरतु मे कुजः ॥
उत्पातरूपो जगतां चन्द्रपुत्रो महाद्युतिः ।
सूर्यप्रियकरो विद्वान् पीडां हरतु मे बुधः ॥
देवमन्त्री विशालाक्षः सदा लोकहिते रतः ।
अनेकशिष्यसम्पूर्णः पीडां हरतु मे गुरुः ॥
दैत्यमन्त्री गुरुस्तेषां प्राणदश्च महामतिः ।
प्रभुस्ताराग्रहाणां च पीडां हरतु मे भृगुः ॥
सूर्यपुत्रो दीर्घदेहो विशालाक्षः शिवप्रियः ।
मन्दचारः प्रसन्नात्मा पीडां हरतु मे शनिः ॥
महाशिरा महावक्त्रो दीर्घदंष्ट्रो महाबलः ।
अतनुश्चोर्ध्वकेशश्च पीडां हरतु मे शिखी ॥
अनेकरूपवर्णैश्च शतशोऽथ सहस्रशः ।
उत्पातरूपो जगतां पीडां हरतु मे तमः ॥
॥ इति ब्रह्माण्डपुराणोक्तं नवग्रहपीडाहरस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥
॥ नवग्रह पीड़ाहर स्तोत्र के लाभ ॥
- नवग्रह बीज मंत्रों का जाप व्यक्ति के संपूर्ण कल्याण को बढ़ाने में अत्यंत लाभकारी होता है। नियमित रूप से इन मंत्रों का जाप करने से कुंडली में नौ ग्रहों के अशुभ प्रभावों को कम किया जा सकता है।
- अपनी कुंडली के अनुसार उचित मंत्र का चयन करें और उसका 40 दिनों तक लगातार जाप करें, इससे आपको जीवन में एक स्पष्ट बदलाव देखने को मिलेगा।
- कुंडली के अनुसार चुना गया नवग्रह मंत्र उस ग्रह के सकारात्मक प्रभाव को बढ़ाता है और नकारात्मक प्रभावों को घटाता है।
- यह नवग्रह दोषों को दूर करने, जीवन में शांति और प्रसन्नता प्राप्त करने में सहायक होता है। दुर्भाग्य को दूर रखता है और बीमारियों से रक्षा करता है।
- इसके अलावा, यह व्यक्ति के व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन की गुणवत्ता को भी महत्वपूर्ण रूप से सुधारता है। सर्वोत्तम परिणामों के लिए, राशि से बनी माला का उपयोग करें।
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