।। नवनाथ स्तुति ।।
आदि-नाथ कैलाश-निवासी,
उदय-नाथ काटै जम-फाँसी।
सत्य-नाथ सारनी सन्त भाखै,
सन्तोष-नाथ सदा सन्तन की राखै।
कन्थडी-नाथ सदा सुख-दाई,
अञ्चति अचम्भे-नाथ सहाई।
ज्ञान-पारखी सिद्ध चौरङ्गी,
मत्स्येन्द्र-नाथ दादा बहुरङ्गी।
गोरख-नाथ सकल घट-व्यापी,
काटै कलि-मल, तारै भव-पीरा।
नव-नाथों के नाम सुमिरिए,
तनिक भस्मी ले मस्तक धरिए।
रोग-शोक-दारिद नशावै,
निर्मल देह परम सुख पावै।
भूत-प्रेत-भय-भञ्जना,
नव-नाथों का नाम।
सेवक सुमरे चन्द्र-नाथ,
पूर्ण होंय सब काम।।
विधि व लाभ:
- दैनिक रूप से नवनाथों की पूजा करके, उपरोक्त स्तुति को 21 बार पाठ करके और फिर मस्तक पर भस्म लगाने से नवनाथों की कृपा प्राप्त होती है। यह प्रक्रिया 21 दिन तक लगातार की जानी चाहिए ताकि सिद्धि हो सके।
- इस प्रयास से सभी प्रकार के भय, पीड़ा, रोग, दोष, भूत-प्रेत-बाधा दूर होते हैं और मनोकामनाएं, सुख, सम्पत्ति और अन्य अभीष्ट कार्य सिद्ध होते हैं।
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