Surya Dev Chalisa

|| Surya Dev Chalisa || ॥ Doha ॥ Kanak Badan Kundal Makar, Mukta Mala Anga, Padmasan Sthit Dhyaiye, Sankh Chakra Ke Sang ॥ ॥ Chaupai ॥ Jai Savita Jai Jayati Diwakar, Sahasranshu Saptashwa Timihar ॥ Bhanu Patang Marichi Bhaskar, Savita Hans Sunur Vibhakar ॥ Vivaswan Adity Vikartan, Martand Hariroop Virochan ॥ Ambaramani Khag Ravi Kahalate,…

ऋणमोचक मंगल स्तोत्रम् अर्थ सहित

॥ श्री ऋणमोचक मंगल स्तोत्र पाठ की विधि ॥ ऋणमोचक मंगल स्तोत्र पाठ करने के लिए शुक्ल पक्ष की कोई शुभ तिथि का चयन करें। शुभ तिथि मंगलवार होनी चाहिए। ऋणमोचक मंगल स्तोत्र पाठ करने के दिन में प्रातः काल जल्दी उठकर स्नानादि करके स्वच्छ वस्त्र को धारण कर लें। इसके बाद घर के पूजा…

Surya Dev Ji Ki Aarti

|| Surya Dev Aarti || Om Jai Surya Bhagwan, Jai Ho Dinkar Bhagwan। Jagat Ke Netra Swaroopa, Tum Ho Triguna Swaroopa। Dharat Saba Hi Tab Dhyan, Om Jai Surya Bhagwan॥ ॥ Om Jai Surya Bhagwan…॥ Sarathi Arun Hai Prabhu Tum, Shwet Kamaladhari। Tum Char Bhuja Dhari॥ Ashwa Hai Sath Tumharey, Koti Kirana Pasarey। Tum Ho…

सूर्य देव जी की आरती

|| सूर्य देव आरती || ऊँ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान । जगत् के नेत्र स्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा । धरत सब ही तव ध्यान, ऊँ जय सूर्य भगवान ॥ ॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥ सारथी अरूण हैं प्रभु तुम, श्वेत कमलधारी । तुम चार भुजाधारी ॥ अश्व हैं सात तुम्हारे, कोटी…

रविवार आरती

|| रविवार आरती || कहूँ लगी आरती दास करेंगे, सकल जगत जाकी जोत बिराजे || सात समुद्र जाके चरणनि बसे, कहा भयो जल कुम्भ भरे || सात समुद्र जाके चरणनि बसे, कहा भयो जल कुम्भ भरे || सकल जगत जाकी जोत बिराजे || कहूँ लगी आरती दास करेंगे|| कोटि भानु जाके नख की शोभा, कहा…

Ravivar Aarti

॥ Ravivar Aarti ॥ Kahu Lagi Aarti, Das Karenge, Sakal Jagat Jaki Jot Biraje || Saath Samudra Jake Charani Base, Kaha Bhayo Jal Kumbh Bhare || Saath Samudra Jake Charani Base, Kaha Bhayo Jal Kumbh Bhare || Sakal Jagat Jaki Jot Biraje || Kahu Lagi Aarti, Das Karenge || Koti Bhanu Jake Nakh Ki Shobha,…

श्री नारायण कवच अर्थ सहित

॥ श्री नारायण कवच अर्थ सहित ॥ ॐ श्री विष्णवे नमः ॥ ॐ श्री विष्णवे नमः ॥ ॐ श्री विष्णवे नमः ॥ ॐ नमो नारायणाय ॥ ॐ नमो नारायणाय ॥ ॐ नमो नारायणाय ॥ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥ ॐ हरिर्विदध्यान्मम सर्वरक्षां न्यस्ताड़् घ्रिपद्मः पतगेन्द्रपृष्ठे…

श्री विष्णु सहस्त्रनाम स्तोत्र

।। श्री विष्णु सहस्त्रनाम स्तोत्र ।। ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नम: ॐ विश्वं विष्णु: वषट्कारो भूत-भव्य-भवत-प्रभुः । भूत-कृत भूत-भृत भावो भूतात्मा भूतभावनः ।। पूतात्मा परमात्मा च मुक्तानां परमं गतिः। अव्ययः पुरुष साक्षी क्षेत्रज्ञो अक्षर एव च ।। योगो योग-विदां नेता प्रधान-पुरुषेश्वरः । नारसिंह-वपुः श्रीमान केशवः पुरुषोत्तमः ।। सर्वः शर्वः शिवः स्थाणु: भूतादि: निधि: अव्ययः ।…

सुवर्णद्वीपीय रामकथा (Suvarnadwipiya Ramkatha)

सुवर्णद्वीपीय रामकथा (Suvarnadwipiya Ramkatha)

‘सुवर्णद्वीपीय रामकथा’ राजेंद्र मिश्रा द्वारा रचित एक अनोखी पुस्तक है, जो श्रीराम के जीवन पर आधारित कहानियों का एक विशिष्ट संग्रह प्रस्तुत करती है। इस पुस्तक की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें श्रीराम की कथा को दक्षिण-पूर्व एशिया के सुवर्णद्वीप, यानी आधुनिक इंडोनेशिया, मलेशिया, थाईलैंड और आस-पास के क्षेत्रों में प्रचलित कथाओं और…

पितर हमारे अदृश्य सहायक (Pitar Hamare Adrushya Sahayak)

पितर हमारे अदृश्य सहायक (Pitar Hamare Adrushya Sahayak)

पितर हमारे अदृश्य सहायक पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य द्वारा लिखी गई एक अद्भुत पुस्तक है, जिसमें हमारे पूर्वजों या पितरों की भूमिका और उनके महत्व पर प्रकाश डाला गया है। यह पुस्तक समझाती है कि पितर केवल हमारे अतीत का हिस्सा नहीं हैं, बल्कि वे हमारे जीवन में अदृश्य सहायक की भूमिका निभाते हैं। इस…

Varalakshmi Vratham (వరలక్ష్మీ వ్రతం)

Varalakshmi Vratham (వరలక్ష్మీ వ్రతం)

వరలక్ష్మీ వ్రతం హిందూ సాంప్రదాయంలో ఎంతో ముఖ్యమైన పర్వదినం. ఈ వ్రతం ప్రధానంగా మహిళలు తమ కుటుంబంలో ఐశ్వర్యం, ఆరోగ్యం మరియు శాంతి కోసం నిర్వహిస్తారు. వరలక్ష్మీ వ్రతం శ్రావణ మాసంలో శుక్రవారం రోజు, ముఖ్యంగా శ్రావణ శుద్ధ పౌర్ణమి రోజున జరుపుకుంటారు. ఈ వ్రతం యొక్క ప్రధాన ఉద్దేశ్యం లక్ష్మీ దేవిని పూజించడం ద్వారా ఆమె అనుగ్రహం పొందడం. వ్రతం కథనం PDF వరలక్ష్మీ వ్రతం గురించి పౌరాణిక కథనం ఇలా ఉంది: ఒకప్పుడు మాగధదేశంలో…

आंवला नवमी (अक्षय नवमी) की व्रत कथा व पूजा विधि

।। आंवला नवमी की पूजा विधि ।। अक्षय नवमी के दिन आंवला वृक्ष की पूजा की जाती है। वृक्ष की हल्दी कुमकुम आदि से पूजा करके उसमें जल और कच्चा दूध अर्पित करें। इसके बाद आंवले के पेड़ की परिक्रमा करते हुए तने में कच्चा सूत या मौली आठ बार लपेटी जाती है। पूजा के…

श्री जगद्धात्री स्तोत्रम्

|| श्री जगद्धात्री स्तोत्रम् || आधारभूते चाधेये धृतिरूपे धुरन्धरे । ध्रुवे ध्रुवपदे धीरे जगद्धात्रि नमोऽस्तु ते ॥ १ ॥ शवाकारे शक्तिरूपे शक्तिस्थे शक्तिविग्रहे । शाक्ताचारप्रिये देवि जगद्धात्रि नमोऽस्तु ते ॥ २ ॥ जयदे जगदानन्दे जगदेकप्रपूजिते । जय सर्वगते दुर्गे जगद्धात्रि नमोऽस्तु ते ॥ ३ ॥ सूक्ष्मातिसूक्ष्मरूपे च प्राणापानादिरूपिणि । भावाभावस्वरूपे च जगद्धात्रि नमोऽस्तु ते ॥…

श्री गोपाष्टमी व्रत कथा एवं पूजा विधि

|| गोपाष्टमी पूजन विधि || इस दिन बछड़े सहित गाय का पूजन करने का विधान है। इस दिन प्रातः काल उठ कर नित्य कर्म से निवृत हो कर स्नान करते है, प्रातः काल ही गौओं और उनके बछड़ों को भी स्नान कराया जाता है। गौ माता के अंगों में मेहंदी, रोली हल्दी आदि के थापे…

मासिक दुर्गाष्टमी व्रत कथा

|| मासिक दुर्गाष्टमी व्रत कथा || पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, प्राचीन काल में असुर दंभ को महिषासुर नाम का एक पुत्र हुआ। महिषासुर में बचपन से ही अमर होने की प्रबल इच्छा थी। इस इच्छा को पूरा करने के लिए उसने ब्रह्मा जी की कठोर तपस्या शुरू की। उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी…

नागेश्वर मंदिर का इतिहास और तीर्थ स्थल – श्री नागेश्वर ज्योतिर्लिंग की पौराणिक कथा

nageshwara-jyotirlinga

भगवान शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंगों में नागेश्वर ज्योतिर्लिंग दसवें स्थान पर स्थित है और यह गुजरात राज्य के द्वारका जिले के गोमती नदी के किनारे स्थित है। यह अत्यंत पवित्र और प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है, जहाँ भगवान शिव का दिव्य रूप ज्योतिर्लिंग के रूप में स्थापित है। इसे लेकर कुछ मत भिन्नताएँ हैं, जहाँ कुछ…

Abhirami Stotram

|| Abhirami Stotram || namastē lalitē dēvi śrīmatsiṁhāsanēśvari | bhaktānāmiṣṭadē mātaḥ abhirāmi namō:’stu tē || 1 || candrōdayaṁ kr̥tavatī tāṭaṅkēna mahēśvari | āyurdēhi jaganmātaḥ abhirāmi namō:’stu tē || 2 || sudhāghaṭēśaśrīkāntē śaraṇāgatavatsalē | ārōgyaṁ dēhi mē nityaṁ abhirāmi namō:’stu tē || 3 || kalyāṇi maṅgalaṁ dēhi jaganmaṅgalakāriṇi | aiśvaryaṁ dēhi mē nityaṁ abhirāmi namō:’stu tē…

ಅಭಿರಾಮಿ ಸ್ತೋತ್ರಂ

|| ಅಭಿರಾಮಿ ಸ್ತೋತ್ರಂ || ನಮಸ್ತೇ ಲಲಿತೇ ದೇವಿ ಶ್ರೀಮತ್ಸಿಂಹಾಸನೇಶ್ವರಿ | ಭಕ್ತಾನಾಮಿಷ್ಟದೇ ಮಾತಃ ಅಭಿರಾಮಿ ನಮೋಽಸ್ತು ತೇ || ೧ || ಚಂದ್ರೋದಯಂ ಕೃತವತೀ ತಾಟಂಕೇನ ಮಹೇಶ್ವರಿ | ಆಯುರ್ದೇಹಿ ಜಗನ್ಮಾತಃ ಅಭಿರಾಮಿ ನಮೋಽಸ್ತು ತೇ || ೨ || ಸುಧಾಘಟೇಶಶ್ರೀಕಾಂತೇ ಶರಣಾಗತವತ್ಸಲೇ | ಆರೋಗ್ಯಂ ದೇಹಿ ಮೇ ನಿತ್ಯಂ ಅಭಿರಾಮಿ ನಮೋಽಸ್ತು ತೇ || ೩ || ಕಳ್ಯಾಣಿ ಮಂಗಳಂ ದೇಹಿ ಜಗನ್ಮಂಗಳಕಾರಿಣಿ | ಐಶ್ವರ್ಯಂ ದೇಹಿ ಮೇ ನಿತ್ಯಂ ಅಭಿರಾಮಿ ನಮೋಽಸ್ತು ತೇ…

అభిరామి స్తోత్రం

|| అభిరామి స్తోత్రం || నమస్తే లలితే దేవి శ్రీమత్సింహాసనేశ్వరి | భక్తానామిష్టదే మాతః అభిరామి నమోఽస్తు తే || ౧ || చంద్రోదయం కృతవతీ తాటంకేన మహేశ్వరి | ఆయుర్దేహి జగన్మాతః అభిరామి నమోఽస్తు తే || ౨ || సుధాఘటేశశ్రీకాంతే శరణాగతవత్సలే | ఆరోగ్యం దేహి మే నిత్యం అభిరామి నమోఽస్తు తే || ౩ || కళ్యాణి మంగళం దేహి జగన్మంగళకారిణి | ఐశ్వర్యం దేహి మే నిత్యం అభిరామి నమోఽస్తు తే…

अभिरामि स्तोत्रम्

|| अभिरामि स्तोत्रम् || नमस्ते ललिते देवि श्रीमत्सिंहासनेश्वरि । भक्तानामिष्टदे मातः अभिरामि नमोऽस्तु ते ॥ १ ॥ चन्द्रोदयं कृतवती ताटङ्केन महेश्वरि । आयुर्देहि जगन्मातः अभिरामि नमोऽस्तु ते ॥ २ ॥ सुधाघटेशश्रीकान्ते शरणागतवत्सले । आरोग्यं देहि मे नित्यं अभिरामि नमोऽस्तु ते ॥ ३ ॥ कल्याणि मङ्गलं देहि जगन्मङ्गलकारिणि । ऐश्वर्यं देहि मे नित्यं अभिरामि नमोऽस्तु ते…

अखिलाण्डेश्वरी स्तोत्रम्

|| अखिलाण्डेश्वरी स्तोत्रम् || ओं‍कारार्णवमध्यगे त्रिपथगे ओं‍कारबीजात्मिके ओं‍कारेण सुखप्रदे शुभकरे ओं‍कारबिन्दुप्रिये । ओं‍कारे जगदम्बिके शशिकले ओं‍कारपीठस्थिते दासोऽहं तव पादपद्मयुगलं वन्देऽखिलाण्डेश्वरि ॥ १ ॥ ह्रीं‍कारार्णववर्णमध्यनिलये ह्रीं‍कारवर्णात्मिके । ह्रीं‍काराब्धिसुचारुचान्द्रकधरे ह्रीं‍कारनादप्रिये । ह्रीं‍कारे त्रिपुरेश्वरी सुचरिते ह्रीं‍कारपीठस्थिते दासोऽहं तव पादपद्मयुगलं वन्देऽखिलाण्डेश्वरि ॥ २ ॥ श्रीचक्राङ्कितभूषणोज्ज्वलमुखे श्रीराजराजेश्वरि श्रीकण्ठार्धशरीरभागनिलये श्रीजम्बुनाथप्रिये । श्रीकान्तस्य सहोदरे सुमनसे श्रीबिन्दुपीठप्रिये दासोऽहं तव पादपद्मयुगलं वन्देऽखिलाण्डेश्वरि ॥ ३…

Bilva Ashttotara Shatanama Stotram

|| Bilva Ashttotara Shatanama Stotram || tridalaṁ triguṇākāraṁ trinētraṁ ca triyāyudham | trijanma pāpasaṁhāraṁ ēkabilvaṁ śivārpaṇam || 1 || triśākhaiḥ bilvapatraiśca acchidraiḥ kōmalaiḥ śubhaiḥ | tava pūjāṁ kariṣyāmi ēkabilvaṁ śivārpaṇam || 2 || sarvatrailōkyakartāraṁ sarvatrailōkyapālanam | sarvatrailōkyahartāraṁ ēkabilvaṁ śivārpaṇam || 3 || nāgādhirājavalayaṁ nāgahārēṇa bhūṣitam | nāgakuṇḍalasamyuktaṁ ēkabilvaṁ śivārpaṇam || 4 || akṣamālādharaṁ rudraṁ pārvatīpriyavallabham…

பி³ல்வாஷ்டோத்தரஶதனாம ஸ்தோத்ரம்

|| பி³ல்வாஷ்டோத்தரஶதனாம ஸ்தோத்ரம் || த்ரித³ளம் த்ரிகு³ணாகாரம் த்ரினேத்ரம் ச த்ரியாயுத⁴ம் | த்ரிஜன்ம பாபஸம்ஹாரம் ஏகபி³ல்வம் ஶிவார்பணம் || 1 || த்ரிஶாகை²꞉ பி³ல்வபத்ரைஶ்ச அச்சி²த்³ரை꞉ கோமலை꞉ ஶுபை⁴꞉ | தவ பூஜாம் கரிஷ்யாமி ஏகபி³ல்வம் ஶிவார்பணம் || 2 || ஸர்வத்ரைலோக்யகர்தாரம் ஸர்வத்ரைலோக்யபாலனம் | ஸர்வத்ரைலோக்யஹர்தாரம் ஏகபி³ல்வம் ஶிவார்பணம் || 3 || நாகா³தி⁴ராஜவலயம் நாக³ஹாரேண பூ⁴ஷிதம் | நாக³குண்ட³லஸம்யுக்தம் ஏகபி³ல்வம் ஶிவார்பணம் || 4 || அக்ஷமாலாத⁴ரம் ருத்³ரம் பார்வதீப்ரியவல்லப⁴ம் | சந்த்³ரஶேக²ரமீஶானம்…

ಬಿಲ್ವಾಷ್ಟೋತ್ತರಶತನಾಮ ಸ್ತೋತ್ರಂ

|| ಬಿಲ್ವಾಷ್ಟೋತ್ತರಶತನಾಮ ಸ್ತೋತ್ರಂ || ತ್ರಿದಳಂ ತ್ರಿಗುಣಾಕಾರಂ ತ್ರಿನೇತ್ರಂ ಚ ತ್ರಿಯಾಯುಧಮ್ | ತ್ರಿಜನ್ಮ ಪಾಪಸಂಹಾರಂ ಏಕಬಿಲ್ವಂ ಶಿವಾರ್ಪಣಮ್ || ೧ || ತ್ರಿಶಾಖೈಃ ಬಿಲ್ವಪತ್ರೈಶ್ಚ ಅಚ್ಛಿದ್ರೈಃ ಕೋಮಲೈಃ ಶುಭೈಃ | ತವ ಪೂಜಾಂ ಕರಿಷ್ಯಾಮಿ ಏಕಬಿಲ್ವಂ ಶಿವಾರ್ಪಣಮ್ || ೨ || ಸರ್ವತ್ರೈಲೋಕ್ಯಕರ್ತಾರಂ ಸರ್ವತ್ರೈಲೋಕ್ಯಪಾಲನಮ್ | ಸರ್ವತ್ರೈಲೋಕ್ಯಹರ್ತಾರಂ ಏಕಬಿಲ್ವಂ ಶಿವಾರ್ಪಣಮ್ || ೩ || ನಾಗಾಧಿರಾಜವಲಯಂ ನಾಗಹಾರೇಣ ಭೂಷಿತಮ್ | ನಾಗಕುಂಡಲಸಂಯುಕ್ತಂ ಏಕಬಿಲ್ವಂ ಶಿವಾರ್ಪಣಮ್ || ೪ || ಅಕ್ಷಮಾಲಾಧರಂ ರುದ್ರಂ ಪಾರ್ವತೀಪ್ರಿಯವಲ್ಲಭಮ್ | ಚಂದ್ರಶೇಖರಮೀಶಾನಂ…

బిల్వాష్టోత్తరశతనామ స్తోత్రం

|| బిల్వాష్టోత్తరశతనామ స్తోత్రం || త్రిదళం త్రిగుణాకారం త్రినేత్రం చ త్రియాయుధమ్ | త్రిజన్మ పాపసంహారం ఏకబిల్వం శివార్పణమ్ || ౧ || త్రిశాఖైః బిల్వపత్రైశ్చ అచ్ఛిద్రైః కోమలైః శుభైః | తవ పూజాం కరిష్యామి ఏకబిల్వం శివార్పణమ్ || ౨ || సర్వత్రైలోక్యకర్తారం సర్వత్రైలోక్యపాలనమ్ | సర్వత్రైలోక్యహర్తారం ఏకబిల్వం శివార్పణమ్ || ౩ || నాగాధిరాజవలయం నాగహారేణ భూషితమ్ | నాగకుండలసంయుక్తం ఏకబిల్వం శివార్పణమ్ || ౪ || అక్షమాలాధరం రుద్రం పార్వతీప్రియవల్లభమ్ | చంద్రశేఖరమీశానం…

बिल्वाष्टोत्तरशतनाम स्तोत्रम्

|| बिल्वाष्टोत्तरशतनाम स्तोत्रम् || त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रियायुधम् । त्रिजन्म पापसंहारं एकबिल्वं शिवार्पणम् ॥ १ ॥ त्रिशाखैः बिल्वपत्रैश्च अच्छिद्रैः कोमलैः शुभैः । तव पूजां करिष्यामि एकबिल्वं शिवार्पणम् ॥ २ ॥ सर्वत्रैलोक्यकर्तारं सर्वत्रैलोक्यपालनम् । सर्वत्रैलोक्यहर्तारं एकबिल्वं शिवार्पणम् ॥ ३ ॥ नागाधिराजवलयं नागहारेण भूषितम् । नागकुण्डलसम्युक्तं एकबिल्वं शिवार्पणम् ॥ ४ ॥ अक्षमालाधरं रुद्रं पार्वतीप्रियवल्लभम् । चन्द्रशेखरमीशानं…

Ardhanarishvara Ashtottara Shatanama Stotram

|| Ardhanarishvara Ashtottara Shatanama Stotram || cāmuṇḍikāmbā śrīkaṇṭhaḥ pārvatī paramēśvaraḥ | mahārājñī mahādēvaḥ sadārādhyā sadāśivaḥ || 1 || śivārdhāṅgī śivārdhāṅgō bhairavī kālabhairavaḥ | śaktitritayarūpāḍhyā mūrtitritayarūpavān || 2 || kāmakōṭisupīṭhasthā kāśīkṣētrasamāśrayaḥ | dākṣāyaṇī dakṣavairi śūlinī śūladhārakaḥ || 3 || hrīṅkārapañjaraśukī hariśaṅkararūpavān | śrīmadgaṇēśajananī ṣaḍānanasujanmabhūḥ || 4 || pañcaprētāsanārūḍhā pañcabrahmasvarūpabhr̥t | caṇḍamuṇḍaśiraśchētrī jalandharaśirōharaḥ || 5 || siṁhavāhā…

அர்த⁴னாரீஶ்வராஷ்டோத்தரஶதனாம ஸ்தோத்ரம்

|| அர்த⁴னாரீஶ்வராஷ்டோத்தரஶதனாம ஸ்தோத்ரம் || சாமுண்டி³காம்பா³ ஶ்ரீகண்ட²꞉ பார்வதீ பரமேஶ்வர꞉ । மஹாராஜ்ஞீ மஹாதே³வ꞉ ஸதா³ராத்⁴யா ஸதா³ஶிவ꞉ ॥ 1 ॥ ஶிவார்தா⁴ங்கீ³ ஶிவார்தா⁴ங்கோ³ பை⁴ரவீ காலபை⁴ரவ꞉ । ஶக்தித்ரிதயரூபாட்⁴யா மூர்தித்ரிதயரூபவான் ॥ 2 ॥ காமகோடிஸுபீட²ஸ்தா² காஶீக்ஷேத்ரஸமாஶ்ரய꞉ । தா³க்ஷாயணீ த³க்ஷவைரி ஶூலிநீ ஶூலதா⁴ரக꞉ ॥ 3 ॥ ஹ்ரீங்காரபஞ்ஜரஶுகீ ஹரிஶங்கரரூபவான் । ஶ்ரீமத்³க³ணேஶஜநநீ ஷடா³நநஸுஜந்மபூ⁴꞉ ॥ 4 ॥ பஞ்சப்ரேதாஸநாரூடா⁴ பஞ்சப்³ரஹ்மஸ்வரூபப்⁴ருத் । சண்ட³முண்ட³ஶிரஶ்சே²த்ரீ ஜலந்த⁴ரஶிரோஹர꞉ ॥ 5 ॥ ஸிம்ஹவாஹா வ்ருஷாரூட⁴꞉ ஶ்யாமாபா⁴…

ಅರ್ಧನಾರೀಶ್ವರಾಷ್ಟೋತ್ತರಶತನಾಮ ಸ್ತೋತ್ರಂ

|| ಅರ್ಧನಾರೀಶ್ವರಾಷ್ಟೋತ್ತರಶತನಾಮ ಸ್ತೋತ್ರಂ || ಚಾಮುಂಡಿಕಾಂಬಾ ಶ್ರೀಕಂಠಃ ಪಾರ್ವತೀ ಪರಮೇಶ್ವರಃ | ಮಹಾರಾಜ್ಞೀ ಮಹಾದೇವಃ ಸದಾರಾಧ್ಯಾ ಸದಾಶಿವಃ || ೧ || ಶಿವಾರ್ಧಾಂಗೀ ಶಿವಾರ್ಧಾಂಗೋ ಭೈರವೀ ಕಾಲಭೈರವಃ | ಶಕ್ತಿತ್ರಿತಯರೂಪಾಢ್ಯಾ ಮೂರ್ತಿತ್ರಿತಯರೂಪವಾನ್ || ೨ || ಕಾಮಕೋಟಿಸುಪೀಠಸ್ಥಾ ಕಾಶೀಕ್ಷೇತ್ರಸಮಾಶ್ರಯಃ | ದಾಕ್ಷಾಯಣೀ ದಕ್ಷವೈರಿ ಶೂಲಿನೀ ಶೂಲಧಾರಕಃ || ೩ || ಹ್ರೀಂಕಾರಪಂಜರಶುಕೀ ಹರಿಶಂಕರರೂಪವಾನ್ | ಶ್ರೀಮದ್ಗಣೇಶಜನನೀ ಷಡಾನನಸುಜನ್ಮಭೂಃ || ೪ || ಪಂಚಪ್ರೇತಾಸನಾರೂಢಾ ಪಂಚಬ್ರಹ್ಮಸ್ವರೂಪಭೃತ್ | ಚಂಡಮುಂಡಶಿರಶ್ಛೇತ್ರೀ ಜಲಂಧರಶಿರೋಹರಃ || ೫ || ಸಿಂಹವಾಹಾ ವೃಷಾರೂಢಃ ಶ್ಯಾಮಾಭಾ…

అర్ధనారీశ్వరాష్టోత్తరశతనామ స్తోత్రమ్

|| అర్ధనారీశ్వరాష్టోత్తరశతనామ స్తోత్రమ్ || చాముండికాంబా శ్రీకంఠః పార్వతీ పరమేశ్వరః | మహారాజ్ఞీ మహాదేవః సదారాధ్యా సదాశివః || ౧ || శివార్ధాంగీ శివార్ధాంగో భైరవీ కాలభైరవః | శక్తిత్రితయరూపాఢ్యా మూర్తిత్రితయరూపవాన్ || ౨ || కామకోటిసుపీఠస్థా కాశీక్షేత్రసమాశ్రయః | దాక్షాయణీ దక్షవైరి శూలినీ శూలధారకః || ౩ || హ్రీంకారపంజరశుకీ హరిశంకరరూపవాన్ | శ్రీమద్గణేశజననీ షడాననసుజన్మభూః || ౪ || పంచప్రేతాసనారూఢా పంచబ్రహ్మస్వరూపభృత్ | చండముండశిరశ్ఛేత్రీ జలంధరశిరోహరః || ౫ || సింహవాహా వృషారూఢః శ్యామాభా…

अर्धनारीश्वराष्टोत्तरशतनाम स्तोत्रम्

|| अर्धनारीश्वराष्टोत्तरशतनाम स्तोत्रम् || चामुण्डिकाम्बा श्रीकण्ठः पार्वती परमेश्वरः । महाराज्ञी महादेवः सदाराध्या सदाशिवः ॥ १ ॥ शिवार्धाङ्गी शिवार्धाङ्गो भैरवी कालभैरवः । शक्तित्रितयरूपाढ्या मूर्तित्रितयरूपवान् ॥ २ ॥ कामकोटिसुपीठस्था काशीक्षेत्रसमाश्रयः । दाक्षायणी दक्षवैरि शूलिनी शूलधारकः ॥ ३ ॥ ह्रीङ्कारपञ्जरशुकी हरिशङ्कररूपवान् । श्रीमद्गणेशजननी षडाननसुजन्मभूः ॥ ४ ॥ पञ्चप्रेतासनारूढा पञ्चब्रह्मस्वरूपभृत् । चण्डमुण्डशिरश्छेत्री जलन्धरशिरोहरः ॥ ५ ॥ सिंहवाहा वृषारूढः श्यामाभा…

श्री हाटकेश्वर स्तुतिः

|| श्री हाटकेश्वर स्तुतिः || ओं नमोऽस्तु शर्व शम्भो त्रिनेत्र चारुगात्र त्रैलोक्यनाथ उमापते दक्षयज्ञविध्वंसकारक कामाङ्गनाशन घोरपापप्रणाशन महापुरुष महोग्रमूर्ते सर्वसत्त्वक्षयङ्कर शुभङ्कर महेश्वर त्रिशूलधर स्मरारे गुहाधामन् दिग्वासः महाचन्द्रशेखर जटाधर कपालमालाविभूषितशरीर वामचक्षुःक्षुभितदेव प्रजाध्यक्षभगाक्ष्णोः क्षयङ्कर भीमसेना नाथ पशुपते कामाङ्गदाहिन् चत्वरवासिन् शिव महादेव ईशान शङ्कर भीम भव वृषध्वज कलभप्रौढमहानाट्येश्वर भूतिरत आविमुक्तक रुद्र रुद्रेश्वर स्थाणो एकलिङ्ग कालिन्दीप्रिय श्रीकण्ठ नीलकण्ठ अपराजित रिपुभयङ्कर…

SrI Hatakeshwara Ashtakam

|| SrI Hatakeshwara Ashtakam || jaṭātaṭāntarōllasatsurāpagōrmibhāsvaraṁ lalāṭanētramindunāvirājamānaśēkharam | lasadvibhūtibhūṣitaṁ phaṇīndrahāramīśvaraṁ namāmi nāṭakēśvaraṁ bhajāmi hāṭakēśvaram || 1 || purāndhakādidāhakaṁ manōbhavapradāhakaṁ mahāgharāśināśakaṁ abhīpsitārthadāyakam | jagattrayaikakārakaṁ vibhākaraṁ vidārakaṁ namāmi nāṭakēśvaraṁ bhajāmi hāṭakēśvaram || 2 || madīya mānasasthalē sadā:’stu tē padadvayaṁ madīya vaktrapaṅkajē śivēti cākṣaradvayam | madīya lōcanāgrataḥ sadā:’rdhacandravigrahaṁ namāmi nāṭakēśvaraṁ bhajāmi hāṭakēśvaram || 3 || bhajanti hāṭakēśvaraṁ subhaktibhāvatōtrayē…

ஶ்ரீ ஹாடகேஶ்வராஷ்டகம்

|| ஶ்ரீ ஹாடகேஶ்வராஷ்டகம் || ஜடாதடாந்தரோல்லஸத்ஸுராபகோ³ர்மிபா⁴ஸ்வரம் லலாடநேத்ரமிந்து³நாவிராஜமாநஶேக²ரம் । லஸத்³விபூ⁴திபூ⁴ஷிதம் ப²ணீந்த்³ரஹாரமீஶ்வரம் நமாமி நாடகேஶ்வரம் ப⁴ஜாமி ஹாடகேஶ்வரம் ॥ 1 ॥ புராந்த⁴காதி³தா³ஹகம் மநோப⁴வப்ரதா³ஹகம் மஹாக⁴ராஶிநாஶகம் அபீ⁴ப்ஸிதார்த²தா³யகம் । ஜக³த்த்ரயைககாரகம் விபா⁴கரம் விதா³ரகம் நமாமி நாடகேஶ்வரம் ப⁴ஜாமி ஹாடகேஶ்வரம் ॥ 2 ॥ மதீ³ய மாநஸஸ்த²லே ஸதா³(அ)ஸ்து தே பத³த்³வயம் மதீ³ய வக்த்ரபங்கஜே ஶிவேதி சாக்ஷரத்³வயம் । மதீ³ய லோசநாக்³ரத꞉ ஸதா³(அ)ர்த⁴சந்த்³ரவிக்³ரஹம் நமாமி நாடகேஶ்வரம் ப⁴ஜாமி ஹாடகேஶ்வரம் ॥ 3 ॥ ப⁴ஜந்தி ஹாடகேஶ்வரம் ஸுப⁴க்திபா⁴வதோத்ரயே ப⁴ஜந்தி…

ಶ್ರೀ ಹಾಟಕೇಶ್ವರಾಷ್ಟಕಂ

|| ಶ್ರೀ ಹಾಟಕೇಶ್ವರಾಷ್ಟಕಂ || ಜಟಾತಟಾಂತರೋಲ್ಲಸತ್ಸುರಾಪಗೋರ್ಮಿಭಾಸ್ವರಂ ಲಲಾಟನೇತ್ರಮಿಂದುನಾವಿರಾಜಮಾನಶೇಖರಮ್ | ಲಸದ್ವಿಭೂತಿಭೂಷಿತಂ ಫಣೀಂದ್ರಹಾರಮೀಶ್ವರಂ ನಮಾಮಿ ನಾಟಕೇಶ್ವರಂ ಭಜಾಮಿ ಹಾಟಕೇಶ್ವರಮ್ || ೧ || ಪುರಾಂಧಕಾದಿದಾಹಕಂ ಮನೋಭವಪ್ರದಾಹಕಂ ಮಹಾಘರಾಶಿನಾಶಕಂ ಅಭೀಪ್ಸಿತಾರ್ಥದಾಯಕಮ್ | ಜಗತ್ತ್ರಯೈಕಕಾರಕಂ ವಿಭಾಕರಂ ವಿದಾರಕಂ ನಮಾಮಿ ನಾಟಕೇಶ್ವರಂ ಭಜಾಮಿ ಹಾಟಕೇಶ್ವರಮ್ || ೨ || ಮದೀಯ ಮಾನಸಸ್ಥಲೇ ಸದಾಽಸ್ತು ತೇ ಪದದ್ವಯಂ ಮದೀಯ ವಕ್ತ್ರಪಂಕಜೇ ಶಿವೇತಿ ಚಾಕ್ಷರದ್ವಯಮ್ | ಮದೀಯ ಲೋಚನಾಗ್ರತಃ ಸದಾಽರ್ಧಚಂದ್ರವಿಗ್ರಹಂ ನಮಾಮಿ ನಾಟಕೇಶ್ವರಂ ಭಜಾಮಿ ಹಾಟಕೇಶ್ವರಮ್ || ೩ || ಭಜಂತಿ ಹಾಟಕೇಶ್ವರಂ ಸುಭಕ್ತಿಭಾವತೋತ್ರಯೇ ಭಜಂತಿ…

శ్రీ హాటకేశ్వరాష్టకం

|| శ్రీ హాటకేశ్వరాష్టకం || జటాతటాంతరోల్లసత్సురాపగోర్మిభాస్వరం లలాటనేత్రమిందునావిరాజమానశేఖరమ్ | లసద్విభూతిభూషితం ఫణీంద్రహారమీశ్వరం నమామి నాటకేశ్వరం భజామి హాటకేశ్వరమ్ || ౧ || పురాంధకాదిదాహకం మనోభవప్రదాహకం మహాఘరాశినాశకం అభీప్సితార్థదాయకమ్ | జగత్త్రయైకకారకం విభాకరం విదారకం నమామి నాటకేశ్వరం భజామి హాటకేశ్వరమ్ || ౨ || మదీయ మానసస్థలే సదాఽస్తు తే పదద్వయం మదీయ వక్త్రపంకజే శివేతి చాక్షరద్వయమ్ | మదీయ లోచనాగ్రతః సదాఽర్ధచంద్రవిగ్రహం నమామి నాటకేశ్వరం భజామి హాటకేశ్వరమ్ || ౩ || భజంతి హాటకేశ్వరం సుభక్తిభావతోత్రయే భజంతి…

श्री हाटकेश्वराष्टकम्

|| श्री हाटकेश्वराष्टकम् || जटातटान्तरोल्लसत्सुरापगोर्मिभास्वरं ललाटनेत्रमिन्दुनाविराजमानशेखरम् । लसद्विभूतिभूषितं फणीन्द्रहारमीश्वरं नमामि नाटकेश्वरं भजामि हाटकेश्वरम् ॥ १ ॥ पुरान्धकादिदाहकं मनोभवप्रदाहकं महाघराशिनाशकं अभीप्सितार्थदायकम् । जगत्त्रयैककारकं विभाकरं विदारकं नमामि नाटकेश्वरं भजामि हाटकेश्वरम् ॥ २ ॥ मदीय मानसस्थले सदाऽस्तु ते पदद्वयं मदीय वक्त्रपङ्कजे शिवेति चाक्षरद्वयम् । मदीय लोचनाग्रतः सदाऽर्धचन्द्रविग्रहं नमामि नाटकेश्वरं भजामि हाटकेश्वरम् ॥ ३ ॥ भजन्ति हाटकेश्वरं सुभक्तिभावतोत्रये भजन्ति…

Sri Somasundara Ashtakam

|| Sri Somasundara Ashtakam || indra uvāca | ēkaṁ brahmādvitīyaṁ ca paripūrṇaṁ parāparam | iti yō gīyatē vēdaistaṁ vandē sōmasundaram || 1 || jñātr̥jñānajñēyarūpaṁ viśvavyāpyaṁ vyavasthitam | yaṁ sarvairapyadr̥śyōyastaṁ vandē sōmasundaram || 2 || aśvamēdhādiyajñaiśca yaḥ samārādhyatē dvijaiḥ | dadāti ca phalaṁ tēṣāṁ taṁ vandē sōmasundaram || 3 || yaṁ viditvā budhāḥ sarvē karmabandhavivarjitāḥ |…

ஶ்ரீ ஸோமஸுந்த³ராஷ்டகம்

|| ஶ்ரீ ஸோமஸுந்த³ராஷ்டகம் || இந்த்³ர உவாச । ஏகம் ப்³ரஹ்மாத்³விதீயம் ச பரிபூர்ணம் பராபரம் । இதி யோ கீ³யதே வேதை³ஸ்தம் வந்தே³ ஸோமஸுந்த³ரம் ॥ 1 ॥ ஜ்ஞாத்ருஜ்ஞாநஜ்ஞேயரூபம் விஶ்வவ்யாப்யம் வ்யவஸ்தி²தம் । யம் ஸர்வைரப்யத்³ருஶ்யோயஸ்தம் வந்தே³ ஸோமஸுந்த³ரம் ॥ 2 ॥ அஶ்வமேதா⁴தி³யஜ்ஞைஶ்ச ய꞉ ஸமாராத்⁴யதே த்³விஜை꞉ । த³தா³தி ச ப²லம் தேஷாம் தம் வந்தே³ ஸோமஸுந்த³ரம் ॥ 3 ॥ யம் விதி³த்வா பு³தா⁴꞉ ஸர்வே கர்மப³ந்த⁴விவர்ஜிதா꞉ । லப⁴ந்தே…

ಶ್ರೀ ಸೋಮಸುಂದರಾಷ್ಟಕಂ

|| ಶ್ರೀ ಸೋಮಸುಂದರಾಷ್ಟಕಂ || ಇಂದ್ರ ಉವಾಚ | ಏಕಂ ಬ್ರಹ್ಮಾದ್ವಿತೀಯಂ ಚ ಪರಿಪೂರ್ಣಂ ಪರಾಪರಮ್ | ಇತಿ ಯೋ ಗೀಯತೇ ವೇದೈಸ್ತಂ ವಂದೇ ಸೋಮಸುಂದರಮ್ || ೧ || ಜ್ಞಾತೃಜ್ಞಾನಜ್ಞೇಯರೂಪಂ ವಿಶ್ವವ್ಯಾಪ್ಯಂ ವ್ಯವಸ್ಥಿತಮ್ | ಯಂ ಸರ್ವೈರಪ್ಯದೃಶ್ಯೋಯಸ್ತಂ ವಂದೇ ಸೋಮಸುಂದರಮ್ || ೨ || ಅಶ್ವಮೇಧಾದಿಯಜ್ಞೈಶ್ಚ ಯಃ ಸಮಾರಾಧ್ಯತೇ ದ್ವಿಜೈಃ | ದದಾತಿ ಚ ಫಲಂ ತೇಷಾಂ ತಂ ವಂದೇ ಸೋಮಸುಂದರಮ್ || ೩ || ಯಂ ವಿದಿತ್ವಾ ಬುಧಾಃ ಸರ್ವೇ ಕರ್ಮಬಂಧವಿವರ್ಜಿತಾಃ | ಲಭಂತೇ…

శ్రీ సోమసుందరాష్టకం

|| శ్రీ సోమసుందరాష్టకం || ఇంద్ర ఉవాచ | ఏకం బ్రహ్మాద్వితీయం చ పరిపూర్ణం పరాపరమ్ | ఇతి యో గీయతే వేదైస్తం వందే సోమసుందరమ్ || ౧ || జ్ఞాతృజ్ఞానజ్ఞేయరూపం విశ్వవ్యాప్యం వ్యవస్థితమ్ | యం సర్వైరప్యదృశ్యోయస్తం వందే సోమసుందరమ్ || ౨ || అశ్వమేధాదియజ్ఞైశ్చ యః సమారాధ్యతే ద్విజైః | దదాతి చ ఫలం తేషాం తం వందే సోమసుందరమ్ || ౩ || యం విదిత్వా బుధాః సర్వే కర్మబంధవివర్జితాః | లభంతే…

श्री सोमसुन्दराष्टकम्

|| श्री सोमसुन्दराष्टकम् || इन्द्र उवाच । एकं ब्रह्माद्वितीयं च परिपूर्णं परापरम् । इति यो गीयते वेदैस्तं वन्दे सोमसुन्दरम् ॥ १ ॥ ज्ञातृज्ञानज्ञेयरूपं विश्वव्याप्यं व्यवस्थितम् । यं सर्वैरप्यदृश्योयस्तं वन्दे सोमसुन्दरम् ॥ २ ॥ अश्वमेधादियज्ञैश्च यः समाराध्यते द्विजैः । ददाति च फलं तेषां तं वन्दे सोमसुन्दरम् ॥ ३ ॥ यं विदित्वा बुधाः सर्वे कर्मबन्धविवर्जिताः । लभन्ते…

मल्लिकार्जुन मंदिर की सम्पूर्ण जानकारी – श्री मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग की अद्भुत कथा और मुख्य तीर्थ

mallikarjuna-jyotirlinga

मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग, भगवान शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक प्रमुख तीर्थ स्थल है, जो आंध्र प्रदेश के कर्नूल जिले में स्थित है। यह पवित्र ज्योतिर्लिंग “दक्षिण के कैलाश” के रूप में प्रसिद्ध है, और श्रीशैल पर्वत पर स्थित है, जिसे श्रद्धालु अत्यधिक पूजनीय मानते हैं। श्रीशैलम की यह भूमि सिर्फ भगवान शिव ही नहीं,…

श्रीव्यंकटेश स्तोत्रम्

|| श्री व्यंकटेश स्तोत्र || श्रीगणेशाय नमः । श्री व्यंकटेशाय नमः । ॐ नमो जी हेरंबा ।सकळादि तूं प्रारंभा । आठवूनि तुझी स्वरुपशोभा । वंदन भावें करीतसे ॥ १ ॥ अर्थ: सर्व काही शुभ आपल्या स्मरणातून सुरू होते. तुझ्या सुंदर स्वरूपाचा विचार करुन मी तुला नमस्कार करतो. नमन माझे हंसवाहिनी । वाग्वरदे विलासिनी । ग्रंथ…

श्री काशी विश्वनाथ मंगल स्तोत्रम्

।। काशी विश्वनाथ मंगल स्तोत्र ।। ।। अथ श्रीविश्वनाथमङ्गलस्तोत्रम् ।। गङ्गाधरं शशिकिशोरधरं त्रिलोकी- रक्षाधरं निटिलचन्द्रधरं त्रिधारम् । भस्मावधूलनधरं गिरिराजकन्या- दिव्यावलोकनधरं वरदं प्रपद्ये ॥ अर्थ :- गंगा एवं बाल चन्द्र को धारण करने वाले, त्रिलोक की रक्षा करने वाले,मस्तक पर चन्द्रमा एवं त्रिधार (गंगा) -को धारण करने वाले, भस्म का उद्धूलन करने वाले तथा पार्वती को…

अथार्गलास्तोत्रम्

॥ अथार्गला स्तोत्रम् ॥ ॐ अस्य श्रीअर्गलास्तोत्रमन्त्रस्य विष्णुर्ऋषिः, अनुष्टुप् छन्दः, श्रीमहालक्ष्मीर्देवता, श्रीजगदम्बाप्रीतये सप्तशतीपाठाङ्गत्वेन जपे विनियोगः॥ ॐ नमश्‍चण्डिकायै॥ मार्कण्डेय उवाच ॐ जयन्ती मङ्गला काली भद्रकाली कपालिनी। दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तु ते॥ भावार्थ : ॐ चंडिका देवी को नमस्कार है। मार्कण्डेय जी कहते हैं – जयन्ती, मंगला, काली, भद्रकाली, कपालिनी, दुर्गा, क्षमा, शिवा, धात्री,…

गुरुपादुका स्तोत्रम् अर्थ सहित

।। गुरुपादुका स्तोत्रम् ।। अनंत-संसार समुद्र-तार नौकायिताभ्यां गुरुभक्तिदाभ्याम्। वैराग्य साम्राज्यद पूजनाभ्यां नमो नमः श्रीगुरुपादुकाभ्याम् ।। जिसका कहीं अंत नहीं है, ऐसे इस संसार सागर से जो तारने वाली नौका के समान हैं, जो गुरु की भक्ति प्रदान करती हैं, जिनके पूजन से वैराग्य रूपी आधिपत्य प्राप्त होता है, [मेरे] उन श्री गुरुदेव की पादुकाओं को…

बृहस्पति स्तोत्रम् पाठ की विधि और लाभ

।। बृहस्पतिस्तोत्रम् ।। श्री गणेशाय नमः । अस्य श्रीबृहस्पतिस्तोत्रस्य गृत्समद ऋषिः, छन्दः, बृहस्पतिर्देवता, बृहस्पतिप्रीत्यर्थं जपे विनियोगः । गुरुर्बृहस्पतिर्जीवः सुराचार्यो विदांवरः । वागीशो धिषणो दीर्घश्मश्रुः पीताम्बरो युवा ॥ सुधादृष्टिर्ग्रहाधीशो ग्रहपीडापहारकः । दयाकरः सौम्यमूर्तिः सुरार्च्यः कुङ्मलद्युतिः ॥ लोकपूज्यो लोकगुरुर्नीतिज्ञो नीतिकारकः । तारापतिश्चाङ्गिरसो वेदवैद्यपितामहः ॥ भक्त्या बृहस्पतिं स्मृत्वा नामान्येतानि यः पठेत् । अरोगी बलवान् श्रीमान् पुत्रवान् स भवेन्नरः…

रामेश्वरम मंदिर के अनसुने रहस्य – श्री रामेश्वर ज्योतिर्लिंग की उत्पत्ति कथा और प्रमुख तीर्थ स्थल

Rameshwaram Jyotirlinga

रामेश्वर ज्योतिर्लिंग, भगवान शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक महत्वपूर्ण ज्योतिर्लिंग है, जो तमिलनाडु के रामनाथपुरम जिले में स्थित है। इसे केवल एक तीर्थस्थान के रूप में नहीं, बल्कि चार पवित्र धामों में से एक के रूप में भी अत्यधिक पूजनीय माना गया है। इस ज्योतिर्लिंग की स्थापना की कथा पौराणिक है, जो भगवान…

श्री राम रक्षा स्तोत्रम्

|| श्रीराम रक्षा स्तोत्रम् || नियोगः – ॐ अस्य श्री रामरक्षास्तोत्रमन्त्रस्य बुधकौशिक ऋषिः, श्री सीतारामचन्द्रोदेवता, अनुष्टुप् छन्दः, सीताशक्तिः, श्रीमद्हनुमान कीलकम् श्रीसीतरामचन्द्रप्रीत्यर्थे जपे विनियोगः।। अर्थ:- इस राम रक्षा स्तोत्र मंत्र के रचयिता बुध कौशिक ऋषि हैं, सीता और रामचंद्र देवता हैं, अनुष्टुप छंद हैं, सीता शक्ति हैं, हनुमान जी कीलक है तथा श्री रामचंद्र जी की प्रसन्नता के…

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