भारत की आध्यात्मिक और पौराणिक कथाओं में, हनुमान जी का एक विशेष स्थान है। अपनी अद्भुत भक्ति, शक्ति और पराक्रम के लिए पूजे जाने वाले हनुमान जी के अनेक स्वरूपों का वर्णन मिलता है। इनमें से एक अत्यंत महत्वपूर्ण और रहस्यमय स्वरूप है – पंचमुखी हनुमान। उनके पाँच मुख न केवल उन्हें एक विशिष्ट पहचान देते हैं, बल्कि प्रत्येक मुख एक गहरा रहस्य और विशिष्ट शक्ति भी समेटे हुए है। तो आइए, इस लेख में हम जानने का प्रयास करते हैं कि आखिर पंचमुखी हनुमान के इन पाँच मुखों का रहस्य क्या है?
पंचमुखी हनुमान के पाँच मुख कौन-कौन से हैं?
पंचमुखी हनुमान का स्वरूप पाँच अलग-अलग प्राणियों के मुखों को दर्शाता है:
- वानर मुख (Lord Hanuman Face): यह मुख स्वयं हनुमान जी का है, जो उनकी भक्ति, निष्ठा, साहस और सेवाभाव का प्रतीक है। यह मुख पूर्व दिशा की ओर इंगित करता है और शत्रुओं पर विजय तथा सभी संकटों से रक्षा करने वाला माना जाता है।
- गरुड़ मुख (Garuda Face): पश्चिम दिशा की ओर स्थित गरुड़ मुख, भगवान विष्णु के वाहन गरुड़ का प्रतिनिधित्व करता है। यह विष और नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने, भय को समाप्त करने और सुरक्षा प्रदान करने की शक्ति रखता है।
- वराह मुख (Varaha Face): उत्तर दिशा की ओर विराजमान वराह मुख, भगवान विष्णु के वराह अवतार का प्रतीक है। यह बुरी शक्तियों का नाश करने, धन-संपत्ति और समृद्धि प्रदान करने वाला माना जाता है।
- नृसिंह मुख (Narasimha Face): दक्षिण दिशा की ओर दर्शाया गया नृसिंह मुख, भगवान विष्णु के नरसिंह अवतार का प्रतिनिधित्व करता है। यह भय और चिंताओं से मुक्ति दिलाता है, साहस और आत्मविश्वास बढ़ाता है तथा शत्रुओं पर त्वरित विजय प्राप्त करने में सहायक होता है।
- हयग्रीव मुख (Hayagriva Face): आकाश की ओर ऊर्ध्व दिशा में स्थित हयग्रीव मुख, ज्ञान और विद्या के प्रतीक भगवान हयग्रीव का प्रतिनिधित्व करता है। यह ज्ञान, बुद्धि, विद्या और रचनात्मकता प्रदान करने वाला माना जाता है।
पाँच मुखों का रहस्य – पौराणिक कथा और आध्यात्मिक महत्व
पंचमुखी हनुमान के इस अद्भुत स्वरूप के पीछे एक गहरा पौराणिक रहस्य छिपा हुआ है। रामायण की कथा के अनुसार, जब रावण के भाई अहिरावण ने भगवान राम और लक्ष्मण को पाताल लोक में बंदी बना लिया था, तब हनुमान जी उन्हें बचाने के लिए पाताल लोक गए। अहिरावण एक मायावी राक्षस था और उसे वरदान प्राप्त था कि उसे एक साथ पाँच दिशाओं में स्थित पाँच दीपों को बुझाने पर ही मारा जा सकता था।
इस संकट की घड़ी में, हनुमान जी ने एक साथ पाँच दिशाओं में मुख करके – पूर्व में हनुमान, पश्चिम में गरुड़, उत्तर में वराह, दक्षिण में नृसिंह और ऊपर हयग्रीव का मुख धारण किया। उन्होंने एक ही क्षण में इन पाँचों दीपों को बुझाकर अहिरावण का वध किया और भगवान राम और लक्ष्मण को मुक्त कराया।
इस कथा से यह स्पष्ट होता है कि पंचमुखी हनुमान का स्वरूप पाँच अलग-अलग शक्तियों का एक अद्भुत संगम है, जो किसी भी संकट का सामना करने और उस पर विजय प्राप्त करने में सक्षम है। आध्यात्मिक दृष्टिकोण से, पंचमुखी हनुमान मानव जीवन के पाँच महत्वपूर्ण पहलुओं का प्रतिनिधित्व करते हैं।
पंचमुखी हनुमान की पूजा का महत्व
पंचमुखी हनुमान की पूजा करना अत्यंत फलदायी माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि उनकी आराधना करने से भक्तों को निम्नलिखित लाभ प्राप्त होते हैं:
- शत्रुओं पर विजय: नकारात्मक शक्तियों और विरोधियों पर विजय प्राप्त होती है।
- संकटों से मुक्ति: जीवन में आने वाली बाधाओं और परेशानियों से छुटकारा मिलता है।
- भय और चिंता का निवारण: डर और मानसिक अशांति दूर होती है।
- धन और समृद्धि की प्राप्ति: आर्थिक स्थिति मजबूत होती है और सुख-समृद्धि आती है।
- ज्ञान और बुद्धि में वृद्धि: विद्या, बुद्धि और विवेक का विकास होता है।
- सुरक्षा और सकारात्मक ऊर्जा: नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और सकारात्मकता का संचार होता है।
पंचमुखी हनुमान की पूजा विधि
- सुबह स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें।
- पंचमुखी हनुमान जी की प्रतिमा या चित्र के समक्ष दीपक जलाएँ।
- सिंदूर, चमेली का तेल, लाल फूल और पंचमेवा चढ़ाएँ।
- “ॐ पंचमुखाय हनुमते नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें।
- अंत में हनुमान चालीसा और आरती करें।
पंचमुखी हनुमान मंत्र
“ॐ नमो भगवते पंचवदनाय पूर्वकपिमुखाय सकल शत्रुसंहारणाय स्वाहा।”
यह मंत्र पंचमुखी हनुमान की उपासना के लिए विशेष रूप से प्रभावशाली माना गया है।
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