श्री हलषष्ठी माता आरती का पाठ विशेष रूप से हलषष्ठी व्रत के अवसर पर किया जाता है, जो पुत्र सुख, संतान की दीर्घायु और समृद्धि की प्राप्ति हेतु मनाया जाता है। यह आरती मातृशक्ति की कृपा प्राप्त करने का एक श्रेष्ठ माध्यम है। मान्यता है कि श्री हलषष्ठी माता की आराधना करने से महिलाएं स्वस्थ संतान प्राप्त करती हैं और संतान से जुड़ी सभी बाधाएं दूर होती हैं।
आरती के माध्यम से भक्तजन माता का स्मरण करते हैं और उनके चरणों में श्रद्धा अर्पित करते हैं। इस पवित्र आरती को सुबह व संध्या काल में दीप जलाकर गाना अत्यंत पुण्यदायक माना गया है। आरती में माता की महिमा, उनके चमत्कार और आशीर्वाद का सुंदर वर्णन होता है।
|| श्री हलषष्ठी माता आरती (Halshasthi Mata Aarti PDF) ||
जय षष्ठी माते जय हलषष्ठी माते।
नीराजनममरैर्कृतमाधात्रे जाते॥
|| जय हल…||
करुणामयि गुणशीले तिथिशीलेऽभयदे।
वचसातीतमहिम्ने वात्सल्येऽऽनन्दे॥
|| जय हल…||
कंसभगिन्या पूज्ये चन्द्रललितसुतदे।
वंशकरे प्रभुरिवगुणयुक्तवत्सकप्रदे॥
|| जय हल…||
वैदर्भ्याऽपि सुपूज्ये नष्टपुत्रदात्रे।
श्रीखण्डप्रसवाङ्गे वरुणामोदकरे॥
|| जय हल…||
क्रीडनकेन भवाब्धे पूज्ये सौख्यवरे।
अम्बुयुक्तचीरैरजिरेऽजरवज्रकरे॥
|| जय हल…||
महिषीदुग्धप्रभाऽऽर्चे वरदे धर्मधरे।
कृष्णाग्रजगुणयुक्ते शुभ्रे कृष्णप्रिये॥
|| जय हल…||
वरुणेनादियुगेऽस्मिन् हरिश्चद्रकुलदे।
स्वानन्दे प्रामीत्योऋणत्रिशङ्कुजनने॥
|| जय हल…||
गायन्तीति मनुष्याः तीरे चाम्बुवरे।
काले दोषविमुक्ता वरुणानन्दमये॥
|| जय हल…||
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