|| आरती ||
ॐ जय हिंगलाज माता, मैया जय हिंगलाज माता ।
जो नर तुमको ध्याता, वांछित फल पाता ॥
ॐ जय हिंगलाज माता…
हीरा पन्ना मंडित, शीश मुकुट सोहे ।
भाल सिन्दुरी टीका, भक्तन मन मोहे ॥
ॐ जय हिंगलाज माता…
कर्णफूल अति उज्जवल, झिलमिल सा चमके ।
गजमोतिन की माला, कण्डन पर दमके ॥
ॐ जय हिंगलाज माता…
स्वर्ण मेखला कटि में, रत्नजड़ित लोभे ।
रक्तांबर मणि मण्डित, अगन पर शोभे ॥
ॐ जय हिंगलाज माता…
हाथ त्रिशूल विराजे, चक्र खड़गधारी ।
धनुष बाण औ ज्वाला, धारे महतारी ॥
ॐ जय हिंगलाज माता…
राजहंस तव वाहन, श्वेतासन राजे ।
सिंहासन वृषभासन, माता को साजे ॥
ॐ जय हिंगलाज माता…
खड़े भीमलोचन है, भैरव तव हारे ।
शक्ति कोटरी तेरी, शक्ति पीठ तारे ॥
ॐ जय हिंगलाज माता…
क्षेत्र हिंगला ज्याला, मुख सा है तेरा ।
ब्रह्मरंध्र से प्रकटी, महातीर्थ तेरा ॥
ॐ जय हिंगलाज माता…
क्षत्रिय कुल की रक्षक, सबकी है माता ।
नर – नारी ओर साधु, अभय सदा पाता ॥
ॐ जय हिंगलाज माता…
कनक पात्र में शोभित, अगर कपूर बाती ।
आरती हम सब गावत, और तुम हो वरदात्री ॥
ॐ जय हिंगलाज माता…
माँ हिंगलाज की आरती, हम सब मिल गावें ।
तन मन धन सुख सम्पति, इच्छा फल पायें ॥
ॐ जय हिंगलाज माता…
ॐ जय हिंगलाज माता, मैया जय हिंगलाज माता ।
जो नर तुमको ध्याता, वांछित फल पाता ॥
ॐ जय हिंगलाज माता…
॥ इति श्री हिंगलाज माता आरती संपूर्णम् ॥
Found a Mistake or Error? Report it Now