श्रीमहागणपति वरिवस्या भारतीय तांत्रिक और वैदिक परंपरा का एक अद्भुत ग्रंथ है, जिसकी रचना दत्तात्रेय जी ने की है। यह पुस्तक भगवान श्रीमहागणपति (गणेश जी) की उपासना और साधना की गूढ़ विधियों को उजागर करती है। इसमें भगवान गणपति के तांत्रिक स्वरूप और उनकी विशेष उपासना पद्धतियों का विस्तार से वर्णन है, जो साधकों को आध्यात्मिक ऊंचाई तक पहुंचने में सहायता प्रदान करती हैं।
दत्तात्रेय भारतीय आध्यात्मिक परंपरा के महान संत और गुरु हैं, जिन्हें त्रिदेव (ब्रह्मा, विष्णु, महेश) का अवतार माना जाता है। वे योग, तंत्र और अद्वैत वेदांत के अद्वितीय ज्ञाता हैं। उनकी शिक्षाएं मानवता को आत्मज्ञान और मोक्ष की ओर प्रेरित करती हैं।
श्रीमहागणपति वरिवस्या पुस्तक की विशेषताएं
- इस ग्रंथ में भगवान गणपति को सभी विघ्नों का नाश करने वाले और साधकों के लिए ज्ञान, बुद्धि, और आध्यात्मिक शक्ति का स्रोत बताया गया है। यह पुस्तक साधकों को गणपति के तांत्रिक और वैदिक स्वरूपों के माध्यम से जीवन की जटिलताओं का समाधान खोजने का मार्ग दिखाती है।
- श्रीमहागणपति वरिवस्या में भगवान गणपति की साधना के तांत्रिक पक्ष का वर्णन किया गया है। इसमें गणपति के विशेष बीज मंत्र, यंत्र, हवन, और अन्य उपासना पद्धतियों का विस्तार से वर्णन किया गया है। यह ग्रंथ साधकों को गूढ़ तांत्रिक रहस्यों को समझने और उनके माध्यम से सिद्धि प्राप्त करने की विधियां सिखाता है।
- पुस्तक में यह बताया गया है कि गणपति साधना न केवल साधक को आध्यात्मिक ज्ञान प्रदान करती है, बल्कि जीवन के लौकिक कष्टों से भी मुक्ति दिलाती है। इसमें भगवान गणपति की कृपा से जीवन में सफलता, समृद्धि और शांति प्राप्त करने के उपाय बताए गए हैं।
- दत्तात्रेय जी, जिन्हें भारतीय योग और तंत्र परंपरा का महान गुरु माना जाता है, ने इस ग्रंथ के माध्यम से साधकों को गणपति उपासना के माध्यम से स्वयं के भीतर छिपी दिव्यता को पहचानने की प्रेरणा दी है।
- श्रीमहागणपति वरिवस्या में साधकों के लिए व्यावहारिक साधना मार्ग को सरल और सुगम बनाया गया है। इसमें ध्यान, जप, और आराधना की ऐसी विधियां बताई गई हैं, जो हर साधक अपने स्तर पर अपना सकता है।