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श्री मनसा देवी चालीसा

Shri Mansa Devi Chalisa Hindi

MiscChalisa (चालीसा संग्रह)हिन्दी
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॥ दोहा ॥

मनसा माँ नागेश्वरी,
कष्ट हरन सुखधाम ।
चिंताग्रस्त हर जीव के,
सिद्ध करो सब काम ॥

देवी घट-घट वासिनी,
ह्रदय तेरा विशाल ।
निष्ठावान हर भक्त पर,
रहियो सदा तैयार ॥

॥ चौपाई ॥

पदमावती भयमोचिनी अम्बा ।
सुख संजीवनी माँ जगदंबा ॥

मनशा पूरक अमर अनंता ।
तुमको हर चिंतक की चिंता ॥

कामधेनु सम कला तुम्हारी ।
तुम्ही हो शरणागत रखवाली ॥

निज छाया में जिनको लेती ।
उनको रोगमुक्त कर देती ॥

धनवैभव सुखशांति देना ।
व्यवसाय में उन्नति देना ॥

तुम नागों की स्वामिनी माता ।
सारा जग तेरी महिमा गाता ॥

महासिद्धा जगपाल भवानी ।
कष्ट निवारक माँ कल्याणी ॥

याचना यही सांझ सवेरे ।
सुख संपदा मोह ना फेरे ॥

परमानंद वरदायनी मैया ।
सिद्धि ज्योत सुखदायिनी मैया ॥

दिव्य अनंत रत्नों की मालिक ।
आवागमन की महासंचालक ॥

भाग्य रवि कर उदय हमारा ।
आस्तिक माता अपरंपारा ॥

विद्यमान हो कण कण भीतर ।
बस जा साधक के मन भीतर ॥

पापभक्षिणी शक्तिशाला ।
हरियो दुख का तिमिर ये काला ॥

पथ के सब अवरोध हटाना ।
कर्म के योगी हमें बनाना ॥

आत्मिक शांति दीजो मैया ।
ग्रह का भय हर लीजो मैया ॥

दिव्य ज्ञान से युक्त भवानी ।
करो संकट से मुक्त भवानी ॥

विषहरी कन्या, कश्यप बाला ।
अर्चन चिंतन की दो माला ॥

कृपा भगीरथ का जल दे दो ।
दुर्बल काया को बल दे दो ॥

अमृत कुंभ है पास तुम्हारे ।
सकल देवता दास तुम्हारे ॥

अमर तुम्हारी दिव्य कलाएँ ।
वांछित फल दे कल्प लताएँ ॥

परम श्रेष्ठ अनुकंपा वाली ।
शरणागत की कर रखवाली ॥

भूत पिशाचर टोना टंट ।
दूर रहे माँ कलह भयंकर ॥

सच के पथ से हम ना भटके ।
धर्म की दृष्टि में ना खटके ॥

क्षमा देवी, तुम दया की ज्योति ।
शुभ कर मन की हमें तुम होती ॥

जो भीगे तेरे भक्ति रस में ।
नवग्रह हो जाए उनके वश में ॥

करुणा तेरी जब हो महारानी ।
अनपढ बनते है महाज्ञानी ॥

सुख जिन्हें हो तुमने बांटें ।
दुख की दीमक उन्हे ना छांटें ॥

कल्पवृक्ष तेरी शक्ति वाला ।
वैभव हमको दे निराला ॥

दीनदयाला नागेश्वरी माता ।
जो तुम कहती लिखे विधाता ॥

देखते हम जो आशा निराशा ।
माया तुम्हारी का है तमाशा ॥

आपद विपद हरो हर जन की ।
तुम्हें खबर हर एक के मन की ॥

डाल के हम पर ममता आँचल ।
शांत कर दो समय की हलचल ॥

मनसा माँ जग सृजनहारी ।
सदा सहायक रहो हमारी ॥

कष्ट क्लेश ना हमें सतावे ।
विकट बला ना कोई भी आवे ॥

कृपा सुधा की वृष्टि करना ।
हर चिंतक की चिंता हरना ॥

पूरी करो हर मन की मंशा ।
हमें बना दो ज्ञान की हंसा ॥

पारसमणियाँ चरण तुम्हारे ।
उज्वल करदे भाग्य हमारे ॥

त्रिभुवन पूजित मनसा माई ।
तेरा सुमिरन हो फलदाई ॥

॥ दोहा ॥

इस गृह अनुग्रह रस बरसा दे,
हर जीवन निर्दोष बना दे ।
भूलेंगें उपकार ना तेरे,
पूजेंगे माँ सांझ सवेरे ॥

सिद्ध मनसा सिद्धेश्वरी,
सिद्ध मनोरथ कर ।
भक्तवत्सला दो हमें सुख संतोष का वर,
सुख संतोष का वर ॥

॥ इति श्री मनसा देवी चालीसा संपूर्णम् ॥

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