Durga Ji

श्री स्कंदमाता आरती

Shri Skandamata Aarti Hindi Lyrics

Durga JiAarti (आरती संग्रह)हिन्दी
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श्री स्कंदमाता माँ दुर्गा का पाँचवाँ स्वरूप हैं, जिनकी पूजा नवरात्रि के पाँचवें दिन की जाती है। भगवान कार्तिकेय (स्कंद कुमार) की माता होने के कारण इन्हें यह नाम मिला है।

इनका स्वरूप अत्यंत ममतामय और शुभ्र है। वे सिंह पर सवार होती हैं और इन्हें पद्मासना भी कहा जाता है क्योंकि ये कमल के आसन पर विराजमान रहती हैं। इनकी चार भुजाएँ हैं—एक हाथ में स्कंद कुमार को गोद में धारण किए हुए हैं, जबकि अन्य दो हाथों में कमल पुष्प हैं। माँ स्कंदमाता अपने भक्तों को संतान सुख, ज्ञान, शांति और मोक्ष प्रदान करती हैं। इनकी उपासना से साधक अलौकिक तेज और कांतिमय हो जाता है।

|| श्री स्कंदमाता आरती (Skandamata Aarti PDF) ||

जय तेरी हो स्‍कंदमाता
पांचवा नाम तुम्हारा आता

सब के मन की जानन हारी
जग जननी सब की महतारी

तेरी ज्योत जलाता रहूं मैं
हरदम तुम्हें ध्याता रहूं मैं

कई नामों से तुझे पुकारा
मुझे एक है तेरा सहारा

कही पहाड़ों पर हैं डेरा
कई शहरों में तेरा बसेरा

हर मंदिर में तेरे नजारे
गुण गाये तेरे भगत प्यारे

भगति अपनी मुझे दिला दो
शक्ति मेरी बिगड़ी बना दो

इंद्र आदी देवता मिल सारे
करे पुकार तुम्हारे द्वारे

दुष्ट दत्य जब चढ़ कर आएं
तुम ही खंडा हाथ उठाएं

दासो को सदा बचाने आई
‘चमन’ की आस पुजाने आई

|| इति श्री स्कंदमाता आरती ||

|| स्कंदमाता पूजा की विधि ||

नवरात्रि के पाँचवें दिन माँ स्कंदमाता की पूजा की जाती है।

  • सबसे पहले स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें और पूजा स्थल को साफ करें। चौकी पर माँ स्कंदमाता की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।
  • कलश स्थापित करें और घी का दीपक जलाएँ।
  • माँ को पीले या सफेद फूल, विशेषकर कमल का फूल अर्पित करें। रोली-कुमकुम चढ़ाएँ।
  • माँ को केले का भोग विशेष रूप से प्रिय है। इसके अलावा, केसर डालकर बनी खीर या सफेद मिठाई का भोग लगाएँ।
  • माँ के मंत्र “ॐ स्कंदमातायै नमः” का जाप करें।
  • अंत में माँ की आरती करें और प्रसाद वितरण करें।
  • संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वाले इस दिन लाल वस्त्र में सुहाग की सामग्री और फल माँ की गोद में भरकर अर्पित करते हैं।

|| माँ स्कंदमाता की पूजा लाभ ||

माँ स्कंदमाता की पूजा से भक्तों को निम्नलिखित लाभ प्राप्त होते हैं:

  • यह स्वरूप संतान प्राप्ति की कामना पूर्ण करने वाला माना जाता है, खासकर निसंतान दंपतियों के लिए।
  • माँ की कृपा से साधक की बुद्धि का विकास होता है और उसे ज्ञान की प्राप्ति होती है।
  • माँ स्कंदमाता भक्तों के सभी कष्टों और बाधाओं को दूर कर जीवन में सुख-शांति और समृद्धि लाती हैं।
  • सच्चे मन से की गई आराधना से साधक को मोक्ष का मार्ग प्राप्त होता है।
  • स्कंदमाता की पूजा से उनके पुत्र भगवान कार्तिकेय (स्कंद कुमार) का आशीर्वाद भी स्वयं ही प्राप्त हो जाता है।

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