|| आरती ||
शेषाचल अवतार तारक तूं देवा ।
सुरवर मुनिवर भावें करिती जन सेवा ॥
कमलारमणा अससी अगणित गुण ठेवा ।
कमलाक्षा मज रक्षुनि सत्वर वर द्यावा ॥
जय देव जय देव जय व्यंकटेशा ।
केवळ करूणासिंधु पुरविसी आशा ॥
हे निजवैकुंठ म्हणुनी ध्यातों मी तू तें ।
दाखविसी गुण कैसे सकळिक लोकाते ॥
देखुनि तुझे स्वरूप सुख अद्भुत होते ।
ध्यातां तुजला श्रीपति दृढ मानस होते ॥
॥ इति श्री व्यंकटेश आरती संपूर्णम् ॥
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