Durga Ji

मां सिद्धिदात्री आरती

Siddhidatri Mata Aarti Hindi Lyrics

Durga JiAarti (आरती संग्रह)हिन्दी
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माँ सिद्धिदात्री दुर्गा जी का नवाँ और अंतिम स्वरूप हैं। इन्हें सभी प्रकार की सिद्धियाँ प्रदान करने वाली देवी माना जाता है। माँ कमल पुष्प पर विराजमान होती हैं और सिंह इनकी सवारी है। इनके चार हाथों में चक्र, गदा, शंख और कमल सुशोभित हैं।

माना जाता है कि भगवान शिव ने भी इनकी कृपा से ही अष्ट सिद्धियाँ प्राप्त की थीं, जिसके बाद उन्हें अर्धनारीश्वर कहा गया। इनकी पूजा से भक्तों को अणिमा, महिमा आदि आठों सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं। नवरात्रि के नौवें दिन इनकी आराधना करने से भक्त के सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। माँ सिद्धिदात्री की कृपा से भक्त के जीवन में कोई कामना शेष नहीं रहती।

|| सिद्धिदात्री आरती (Siddhidatri Mata Aarti PDF) ||

जय सिद्धिदात्री मां तू सिद्धि की दाता ।
तू भक्तों की रक्षक तू दासों की माता ।।

तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धि ।
तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि ।।

कठिन काम सिद्ध करती हो तुम ।
जभी हाथ सेवक के सिर धरती हो तुम ।।

तेरी पूजा में तो ना कोई विधि है ।
तू जगदंबे दाती तू सर्व सिद्धि है ।।

रविवार को तेरा सुमिरन करे जो ।
तेरी मूर्ति को ही मन में धरे जो ।।

तू सब काज उसके करती है पूरे ।
कभी काम उसके रहे ना अधूरे ।।

तुम्हारी दया और तुम्हारी यह माया ।
रखे जिसके सिर पर मैया अपनी छाया ।।

सर्व सिद्धि दाती वह है भाग्यशाली ।
जो है तेरे दर का ही अंबे सवाली ।।

हिमाचल है पर्वत जहां वास तेरा ।
महा नंदा मंदिर में है वास तेरा ।।

मुझे आसरा है तुम्हारा ही माता ।
भक्ति है सवाली तू जिसकी दाता ।।

जय सिद्धिदात्री मां तू सिद्धि की दाता ।
तू भक्तों की रक्षक तू दासों की माता ।।

|| माँ सिद्धिदात्री की पूजा विधि ||

  • सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र (जामुनी या सफ़ेद रंग शुभ माना जाता है) धारण करें। पूजा का संकल्प लें।
  • माँ की प्रतिमा या चित्र को गंगाजल से शुद्ध करें। उन्हें कमल का फूल विशेष रूप से अर्पित करें। साथ ही, अक्षत (चावल), सिंदूर, धूप, दीप, और गंध (इत्र) चढ़ाएं।
  • माँ सिद्धिदात्री को तिल का भोग अति प्रिय है। इसके अतिरिक्त, हलवा, पूड़ी, चना और खीर का भोग लगाएँ।
  • माँ के मंत्रों का जाप करें। ध्यान मंत्र – ॐ देवी सिद्धिदात्र्यै नमः॥, बीज मंत्र – ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नमः॥
  • नवमी तिथि पर हवन करने और कन्या पूजन का विशेष महत्व है। कन्या पूजन के बाद ही नवरात्रि की पूजा पूर्ण मानी जाती है।
  • अंत में, पूरे भक्ति भाव से माँ सिद्धिदात्री की आरती करें और प्रसाद सभी में वितरित करें।

|| माँ सिद्धिदात्री की पूजा से लाभ ||

माँ सिद्धिदात्री की उपासना से भक्त को निम्नलिखित लाभ प्राप्त होते हैं:

  • इनकी पूजा से भक्त को अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व जैसी आठों सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं।
  • यह देवी भक्तों को मोक्ष प्रदान करने वाली हैं, जिससे जीवन-मरण के बंधन से मुक्ति मिलती है।
  • इनकी कृपा से सभी कठिन कार्य सिद्ध होते हैं और जीवन में सफलता मिलती है।
  • माँ की पूजा करने से भक्त के सभी भय और रोग दूर होते हैं।
  • इनकी आराधना से धन, यश और बल की प्राप्ति होती है, तथा आर्थिक समस्याएँ दूर होती हैं।

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