Misc

सूर संहारम पर्व 2025 – जानें तिथि, कथा और पूजा विधि विस्तार से (Soorasamharam Story – Puja Vidhi)

MiscHindu Gyan (हिन्दू ज्ञान)हिन्दी
Share This

Join HinduNidhi WhatsApp Channel

Stay updated with the latest Hindu Text, updates, and exclusive content. Join our WhatsApp channel now!

Join Now

भारतीय संस्कृति में त्योहारों का एक विशेष महत्व है। ये न केवल हमारी परंपराओं को जीवंत रखते हैं, बल्कि हमें बुराई पर अच्छाई की शाश्वत जीत (eternal victory) का संदेश भी देते हैं। इन्हीं महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है “सूर संहारम पर्व” (Soorasamharam Parv)। मुख्य रूप से दक्षिण भारत, विशेषकर तमिलनाडु में, यह पर्व भगवान मुरुगन (Lord Murugan), जिन्हें कार्तिकेय या स्कंद भी कहते हैं, की असुर सूरपद्मन (Surapadman) पर विजय के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। यह पर्व स्कंद षष्ठी (Skanda Sashti) उत्सव के छठे दिन आता है और इसे अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक माना जाता है। आइए, इस दिव्य पर्व की तिथि, इसके पीछे की पौराणिक कथा और पूजा की विस्तारपूर्वक विधि को जानते हैं।

सूर संहारम पर्व 2025 – तिथि और शुभ मुहूर्त (Date and Auspicious Time)

सूर संहारम पर्व ‘कंद षष्ठी व्रतम’ (Kanda Shashti Vratam) नामक 6 दिवसीय उत्सव का समापन दिवस होता है। यह तमिल महीने ‘ऐप्पसी’ (Aippasi, अक्टूबर-नवंबर) में शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। वर्ष 2025 में सूर संहारम की तिथि इस प्रकार है:

  • स्कंद षष्ठी व्रतम प्रारम्भ – बुधवार, 22 अक्टूबर 2025 Wednesday
  • सूर संहारम – सोमवार, 27 अक्टूबर 2025 Monday
  • तिरु कल्याणम (अगला दिन) – मंगलवार, 28 अक्टूबर 2025 Tuesday
  • षष्ठी तिथि प्रारम्भ – 27 अक्टूबर 2025, प्रातः 03:19 बजे
  • षष्ठी तिथि समाप्त – 28 अक्टूबर 2025, प्रातः 04:31 बजे
  • नोट – यह पर्व षष्ठी तिथि के दिन शाम के समय (Evening Time) मनाया जाता है, जब भगवान मुरुगन की विजय का नाटकीय प्रदर्शन होता है।

सूर संहारम पर्व की पौराणिक कथा (The Legend of Soorasamharam)

यह पर्व भगवान मुरुगन की वीरता और दैवीय शक्ति को समर्पित है। इसकी कथा स्कंद पुराण (Skanda Purana) में विस्तार से मिलती है:

  • असुरों का आतंक (Terror of Asuras) – प्राचीन काल में, सूरपद्मन नामक एक शक्तिशाली असुर ने अपने भाई सिंहामुखन (Simhamukha) और तारकासुर (Tarakasura) के साथ मिलकर तीनों लोकों (Three Worlds) में भयंकर उत्पात मचा रखा था। उसने देवताओं (Devas) को पराजित कर दिया और उन्हें स्वर्ग से निकाल दिया।
  • शिव-पार्वती का आह्वान – सभी देवता भगवान शिव और देवी पार्वती के पास पहुंचे और उनसे इस संकट को समाप्त करने की प्रार्थना की। तब भगवान शिव ने अपनी दिव्य शक्ति से एक ऐसे पुत्र को जन्म दिया, जो असुरों का विनाश कर सके। यही पुत्र भगवान स्कंद (मुरुगन/कार्तिकेय) कहलाए।
  • युद्ध और वेल आयुध (Vel Ayutham) – भगवान मुरुगन ने देवताओं की सेना का नेतृत्व किया। देवी पार्वती ने उन्हें एक शक्तिशाली अस्त्र ‘वेल’ (दिव्य भाला/lance) प्रदान किया, जो बुराई का नाश करने में सक्षम था। छह दिनों तक यह भयंकर युद्ध चला।
  • सूरपद्मन का वध (Slayer of Surapadman) – युद्ध के अंतिम दिन, मुरुगन ने सूरपद्मन और उसकी सेना का संहार किया। जब सूरपद्मन को लगा कि वह हार रहा है, तो उसने स्वयं को एक विशाल आम के वृक्ष (Mango Tree) के रूप में बदल लिया। भगवान मुरुगन ने तुरंत अपने ‘वेल’ से उस वृक्ष को बीच से दो भागों में काट दिया।
  • परिवर्तन और आशीर्वाद (Transformation and Blessing) – वृक्ष के वे दो भाग एक मोर (Peacock) और एक मुर्गे (Rooster) में परिवर्तित हो गए। भगवान मुरुगन ने मोर को अपना वाहन (Vahana) बना लिया और मुर्गे को अपने ध्वज (Banner) पर स्थान दिया। इस तरह उन्होंने सूरपद्मन को भी मोक्ष प्रदान किया। यह विजय बुराई के ‘अहंकार’, ‘कर्म’ और ‘मोह’ (ego, karma, and illusion) के विनाश का प्रतीक है। इस प्रकार, सूर संहारम का अर्थ है ‘सूर (असुर) का संहार’ – दुष्ट शक्तियों का विनाश और धर्म की स्थापना।

सूर संहारम की पूजा विधि विस्तार से (Detailed Puja Vidhi)

इस दिन भक्तगण उपवास रखते हैं और विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। यह व्रत और पूजा मन की शुद्धि (purification) और आंतरिक शक्ति (inner strength) के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

व्रत और संकल्प (Fast and Sankalp)

  • भक्त स्कंद षष्ठी के पहले दिन से ही उपवास शुरू करते हैं और सूर संहारम के दिन शाम तक जारी रखते हैं।
  • व्रत दो प्रकार के होते हैं: आंशिक उपवास (Partial Fast) – केवल फलाहार करना, और पूर्ण उपवास (Complete Fast) – केवल जल ग्रहण करना।
  • प्रातःकाल स्नान के बाद साफ वस्त्र धारण करें और भगवान मुरुगन के समक्ष हाथ जोड़कर व्रत का संकल्प (vow) लें।

पूजा की तैयारी (Preparation)

  • घर के पूजा स्थल या मंदिर को साफ करें।
  • भगवान मुरुगन की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। यदि मुरुगन का ‘वेल’ (भाला) उपलब्ध हो, तो उसे भी स्थापित करें।
  • सामग्री जुटाएँ – धूप, दीप, अगरबत्ती, चंदन, हल्दी, कुमकुम, पुष्प (विशेषकर चमेली या कमल), फल, नैवेद्य (खीर, पोंगल या अन्य सात्विक मिष्ठान्न)।

विधिवत पूजा (Rituals)

  • सबसे पहले गणेश जी की पूजा करें, क्योंकि किसी भी शुभ कार्य से पहले उनकी पूजा अनिवार्य है।
  • भगवान मुरुगन को पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, गंगाजल का मिश्रण) से अभिषेक (Abhishekam) करें।
  • इसके बाद उन्हें नए वस्त्र और आभूषण पहनाएँ।
  • चंदन और कुमकुम से तिलक करें और पुष्पमाला अर्पित करें।
  • धूप-दीप जलाकर उनकी आरती करें।
  • नैवेद्य (भोग) अर्पित करें और जल चढ़ाएँ।

मंत्र जाप और पाठ (Mantra Chanting and Recitation)

  • इस दिन भगवान मुरुगन के मंत्रों का जाप करना अत्यंत फलदायी होता है।
  • मुख्य मंत्र: “ॐ शरवण भवाय नमः” या “ॐ कार्तिकेयाय नमः”
  • कंद षष्ठी कवच (Kanda Shashti Kavacham) का पाठ करना बहुत शुभ माना जाता है।
  • अपनी सामर्थ्य अनुसार 108, 1008 या इससे अधिक बार मंत्र जाप करें।

भोग और व्रत खोलना (Offering and Breaking the Fast)

  • शाम को सूर संहारम के मुख्य अनुष्ठान के बाद, एक बार फिर भगवान की पूजा करें।
  • भोग लगाकर, आरती करें और सभी में प्रसाद वितरित करें।
  • इसी समय भक्त अपना व्रत तोड़ते हैं। व्रत खोलने के लिए सात्विक भोजन (Satvik Food) ग्रहण किया जाता है। अगले दिन भगवान मुरुगन और देवी वल्ली-देवयानी के ‘तिरु कल्याणम’ (विवाह उत्सव) के साथ यह पर्व पूर्ण होता है।

सूर संहारम का महत्व (Significance of Soorasamharam)

  • सकारात्मकता का संचार – यह पर्व भक्तों को यह याद दिलाता है कि भले ही जीवन में कितनी भी चुनौतियाँ (challenges) हों, अंततः सत्य और धर्म की ही जीत होती है।
  • आंतरिक असुरों का नाश – प्रतीकात्मक रूप से, सूरपद्मन हमारे अंदर के अहंकार, क्रोध और मोह जैसे ‘आंतरिक असुरों’ (internal demons) का प्रतिनिधित्व करता है। व्रत और पूजा से भगवान मुरुगन हमें इन आंतरिक बुराइयों पर विजय प्राप्त करने की शक्ति देते हैं।
  • संतान सुख और आरोग्य – मान्यता है कि स्कंद षष्ठी का व्रत करने से संतान प्राप्ति होती है और संतान के जीवन में आने वाले कष्ट दूर होते हैं, साथ ही स्वास्थ्य (health) और समृद्धि (prosperity) भी प्राप्त होती है।

Found a Mistake or Error? Report it Now

Join WhatsApp Channel Download App