श्री गायत्री भुजङ्ग स्तोत्रम् PDF

श्री गायत्री भुजङ्ग स्तोत्रम् PDF संस्कृत

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|| श्री गायत्री भुजङ्ग स्तोत्रम् || उषःकालगम्यामुदात्त स्वरूपां अकारप्रविष्टामुदाराङ्गभूषाम् । अजेशादि वन्द्यामजार्चाङ्गभाजां अनौपम्यरूपां भजाम्यादिसन्ध्याम् ॥ १ ॥ सदा हंसयानां स्फुरद्रत्नवस्त्रां वराभीतिहस्तां खगाम्नायरूपाम् । स्फुरत्स्वाधिकामक्षमालां च कुम्भं दधनामहं भावये पूर्वसन्ध्याम् ॥ २ ॥ प्रवाल प्रकृष्टाङ्ग भूषोज्ज्वलन्तीं किरीटोल्लसद्रत्नराजप्रभाताम् । विशालोरुभासां कुचाश्लेषहारां भजे बालकां ब्रह्मविद्यां विनोदाम् ॥ ३ ॥ स्फुरच्चन्द्रकान्तां शरच्चन्द्रवक्त्रां महाचन्द्रकान्ताद्रि पीनस्तनाढ्याम् । त्रिशूलाक्षहस्तां त्रिनेत्रस्य पत्नीं वृषारूढपादां...

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श्री गायत्री भुजङ्ग स्तोत्रम्
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