सुंदरकांड रामायण का एक महत्वपूर्ण कांड है, जिसमें भगवान हनुमान की अद्भुत और चमत्कारी लीलाओं का वर्णन किया गया है। गोस्वामी तुलसीदास ने इन लीलाओं के कारण ही इसे ‘सुंदर कांड’ का नाम दिया है। इस कांड में राजनीति, ज्ञान, कर्म और भक्ति का सुंदर दर्शन है।
हिन्दू धर्म में, शुभ कार्यों में गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित ‘सुंदर कांड’ का पाठ कराने का प्रावधान है। शुभ कार्यों की शुरुआत में सुंदर कांड के पाठ का विशेष महत्व माना जाता है। कहा गया है कि सुंदर कांड के पाठ से मनवांछित फल की प्राप्ति होती है और आत्मा को शांति मिलती है। यदि किसी के घर में कठिनाइयां या परिस्थितियां हों, तो सुंदर कांड के पाठ से उनसे पार पाया जा सकता है। ज्योतिष भी इस तरह की समस्याओं से मुक्ति के लिए सुंदरकांड पाठ की सलाह देते हैं।
सुंदरकांड के लाभ:
- मनवांछित फल की प्राप्ति: सुंदरकांड के पाठ से व्यक्ति को उसके जीवन में अद्भुत लाभ मिल सकते हैं। इसके साथ ही, यह हनुमान जी की कृपा प्राप्ति का माध्यम भी माना जाता है।
- समस्याओं का समाधान: 21 दिनों तक सुंदरकांड का पाठ रोजाना करने से बजरंगबली प्रसन्न होते हैं और उनकी कृपा आपके और आपके परिवार पर बनी रहती है। साथ ही, इससे व्यक्ति को उसकी जीवन में चल रही सभी समस्याओं का समाधान मिलता है।
- सुख-समृद्धि और शांति: हनुमान जी की कृपा से घर-परिवार में सुख-समृद्धि और शांति का आवास होता है।
- सकारात्मक विचार: सुंदरकांड के पाठ से व्यक्ति के अंदर सकारात्मक विचारों का संचार होता है, जो उसे जीवन में शुभ परिणाम लाने में सहायक होते हैं।
- भय का नाश: 21 दिनों तक लगातार पाठ करने से व्यक्ति के मन का भय भी दूर होता है और उसे हर क्षेत्र में सफलता की प्राप्ति होती है।
सुंदरकांड का पाठ कैसे करें:
- स्नान और स्वच्छ वस्त्र: पाठ करने से पहले भक्त को स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनना चाहिए।
- पूजा: हनुमानजी और श्री राम की फोटो या प्रतिमा पर पुष्पमाला चढ़ाकर दीप जलाना और भोग में गुड़, चने या लड्डू का भोग अर्पित करना चाहिए।
- गणेश पूजा: पाठ शुरू करने से पहले सबसे पहले श्री गणेश की पूजा करनी चाहिए, फिर अपने गुरु की, पितरों की और फिर श्री राम की वंदना करके सुंदरकांड का पाठ शुरू करना चाहिए।
- ध्यान: पूरा मन और ध्यान पाठ में लगाना चाहिए।
- आरती: पाठ के समापन के बाद श्री हनुमान जी की आरती और श्री राम जी की आरती करनी चाहिए और पाठ में भाग लेने वालों को आरती और प्रसाद देना चाहिए।
- आवाहन और विदाई: पाठ शुरू करने से पहले हनुमानजी और रामचंद्र जी का आवाहन जरूर करना चाहिए। सुंदरकांड का समापन होने पर भगवान को भोग लगाकर, आरती करके और उनकी विदाई देना चाहिए।
- सुरक्षा: पाठ के बाद सुंदरकांड को लाल कपड़े में श्रद्धापूर्वक लपेटकर पूजा स्थान पर रख देना चाहिए।
सुंदरकांड का पाठ एक सरल और प्रभावी उपाय है, जिससे व्यक्ति जीवन में अनेक लाभ प्राप्त कर सकता है। यदि आप भी अपने जीवन में सुख, समृद्धि और सफलता चाहते हैं, तो नियमित रूप से सुंदरकांड का पाठ करें।
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