‘सुवर्णद्वीपीय रामकथा’ राजेंद्र मिश्रा द्वारा रचित एक अनोखी पुस्तक है, जो श्रीराम के जीवन पर आधारित कहानियों का एक विशिष्ट संग्रह प्रस्तुत करती है। इस पुस्तक की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें श्रीराम की कथा को दक्षिण-पूर्व एशिया के सुवर्णद्वीप, यानी आधुनिक इंडोनेशिया, मलेशिया, थाईलैंड और आस-पास के क्षेत्रों में प्रचलित कथाओं और धार्मिक परंपराओं से जोड़ा गया है।
राजेंद्र मिश्रा ने इस पुस्तक में उन प्राचीन कहानियों और प्रतीकों को भी सम्मिलित किया है जो इन देशों में रामायण पर आधारित हैं और वहां के लोक-मानस में विशेष स्थान रखते हैं।
सुवर्णद्वीपीय रामकथा का मुख्य उद्देश्य यह बताना है कि रामकथा केवल भारतीय संस्कृति में ही नहीं, बल्कि विभिन्न एशियाई संस्कृतियों में भी गहराई से बसी हुई है। यह पुस्तक इस बात को भी रेखांकित करती है कि किस प्रकार से रामायण का प्रभाव भारत के बाहर अन्य देशों में फैला और इन देशों ने इस महान कथा को अपनी स्थानीय संस्कृति के साथ मिलाकर एक नए रूप में प्रस्तुत किया।
सुवर्णद्वीपीय रामकथा पुस्तक की विशेषताएँ
- इस पुस्तक में कई ऐसी अनसुनी कहानियाँ दी गई हैं जो विशेष रूप से दक्षिण-पूर्व एशिया में प्रचलित हैं। इनमें से कई कहानियों में स्थानीय नायक और देवता भी हैं, जो रामकथा से जुड़े हैं।
- राजेंद्र मिश्रा ने रामकथा के साथ इन देशों की संस्कृति, परंपराओं और लोकधाराओं का एक अद्भुत सम्मिश्रण प्रस्तुत किया है।
- पुस्तक शोधपूर्ण तरीके से लिखी गई है, जिसमें इतिहास और लोकसाहित्य का सही-सही चित्रण मिलता है।