।। आरती ।।
ॐ जय पुष्पदंत स्वामी, प्रभु जय पुष्पदंत स्वामी।
आरती तुमरी उतारू, आरती तुमरी उतारू, हो अन्तर्यामी ।
ॐ जय पुष्पदंत स्वामी… ।।
जयरामा है मात आपकी, पितु सुग्रीव कहाय।
प्रभु पितु सुग्रीव कहाय, क्षत्रियकुल इक्ष्वाकुवंश में।
क्षत्रियकुल इक्ष्वाकुवंश में, काश्यप गौत्र सुहाय।
ॐ जय पुष्पदंत स्वामी… ।।
काकंदी नगरी में जन्में, वैभव था भारी।
प्रभु वैभव था भारी, राज्य त्यागकर सहस नृपति संग।
राज्य त्यागकर सहस नृपति संग, मुनिदीक्षा धारी।
ॐ जय पुष्पदंत स्वामी… ।।
उल्कापात देखकर प्रभु ने, अथिर लखा संसार।
प्रभु अथिर लखा संसार, भये दिगम्बर करी तपस्या
भये दिगम्बर करी तपस्या, रागद्वेष को टार।
ॐ जय पुष्पदंत स्वामी… ।।
श्री सम्मेदशिखर से प्रभु जी, आप गए निर्माण।
प्रभु आप गए निर्माण, भादव सुदी अष्टमी के दिन।
भादव सुदी अष्टमी के दिन, पाया मोक्ष महान।
ॐ जय पुष्पदंत स्वामी… ।।
सुविधिनाथ भी नाम तुम्हारा, भक्तो के मन भाय
प्रभु भक्तो के मन भाय, तिरे आप जग जन को तारा।
तिरे आप जग जन को तारा, तारण तरन कहाय।
ॐ जय पुष्पदंत स्वामी… ।।
पद्मासन में आप विराजे, नासा दृष्टि सुहाय।
प्रभु नासा दृष्टि सुहाय, अतिशयकारी अतिमनोज्ञ तुम।
अतिशयकारी अति मनोज्ञ तुम, सौम्यमूर्ति सुख दाय।
ॐ जय पुष्पदंत स्वामी… ।।
सवा लाख जो जाप जपे प्रभु, मनवांछित फल पाय।
प्रभु मन वांछित फल पाय, सेवक शरण तुम्हारी आया।
सेवक शरण तुम्हारी आया, चरणों शीश नवाय।
ॐ जय पुष्पदंत स्वामी , प्रभु जय पुष्पदंत स्वामी।
आरती तुमरी उतारू, आरती तुमरी उतारू, हो अन्तर्यामी।
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