भारत की आध्यात्मिक (spiritual) भूमि पर ऐसे कई योगी हुए हैं, जिनका जीवन किसी रहस्य से कम नहीं रहा। इन्हीं में से एक थे श्री तैलंग स्वामी, जिन्हें वाराणसी (काशी) के लोग साक्षात ‘जीवित शिव’ (Walking Shiva) मानते थे। पौष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को उनकी जयंती मनाई जाती है, जो हमें इस महान योगी के अद्भुत जीवन और चमत्कारों को याद करने का अवसर देती है।
तैलंग स्वामी (श्री गणपति सरस्वती) का जीवनकाल सामान्य मानव की कल्पना से परे था। माना जाता है कि उन्होंने लगभग 300 वर्षों (1607-1887 ईस्वी) तक इस धरती पर वास किया, जिसमें से करीब 150 साल उन्होंने काशी में व्यतीत किए। यह दीर्घायु (longevity) ही उनकी अलौकिक योग साधना का सबसे बड़ा प्रमाण है।
चमत्कार जिनकी गूंज आज भी काशी के घाटों पर है
तैलंग स्वामी के चमत्कारिक किस्से आज भी काशी के घाटों और गलियारों में सुनाए जाते हैं। उनकी शक्तियाँ इतनी अद्भुत थीं कि उस समय के वैज्ञानिक (scientists) और अंग्रेज अधिकारी भी हैरान रह जाते थे।
विषपान का अभेद्य रहस्य (The Poison Immunity)
सबसे चर्चित चमत्कारों में से एक है विषपान की घटना। कई संशयवादियों (skeptics) ने उन्हें नीचा दिखाने के लिए एक बार घातक विष पिला दिया। लेकिन स्वामी जी ने उसे सहजता से पी लिया और उन पर उसका कोई असर नहीं हुआ।
एक अन्य कहानी – एक बार एक शरारती व्यक्ति ने उन्हें चूना (calcium-lime mixture), जिसे अक्सर दीवारों पर सफेदी के लिए इस्तेमाल करते हैं, एक बाल्टी भरकर पिला दिया। स्वामी जी ने उसे भी पी लिया, और उल्टा उस शरारती व्यक्ति को पेट में असहनीय पीड़ा होने लगी। स्वामी जी ने मौन तोड़कर उसे कर्मों का नियम (Law of Karma) समझाया, जिससे उसकी पीड़ा तुरंत दूर हो गई।
गंगा पर तैरना और जल समाधि (Floating on Ganges)
काशी के हजारों लोगों ने उन्हें गंगा नदी पर एक पत्ते की तरह तैरते हुए देखा है। कई बार वे घंटों तक गंगा के जल में समाधि लगाकर बैठे रहते थे, मानो श्वास (oxygen) उनके लिए आवश्यक ही न हो। यह उनके देह पर पूर्ण नियंत्रण (complete control over body) को दर्शाता है।
कारागार से गायब होना (The Vanishing Act)
एक बार अंग्रेजों ने सार्वजनिक स्थल पर निर्वस्त्र (nude) घूमने के कारण उन्हें गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया। अगले ही पल, पहरेदारों ने देखा कि ताला बंद होने के बावजूद वे जेल की कोठरी से गायब थे और वापस गंगा घाट पर ध्यानमग्न (meditating) थे। यह घटना ब्रिटिश शासन (British rule) के लिए एक बड़ा मिस्ट्री (mystery) बन गई थी।
मृत को जीवनदान (Bringing the Dead to Life)
कहा जाता है कि उन्होंने एक बार एक मृत बालक को आशीर्वाद देकर फिर से जीवित कर दिया था। ऐसा माना जाता है कि वे दुखियों का दुख दूर करने और अभावग्रस्त लोगों की सहायता के लिए कभी-कभी अपनी आध्यात्मिक शक्तियों का प्रयोग करते थे।
तैलंग स्वामी का वास्तविक रहस्य – मौन, योग और अद्वैत
स्वामी जी का जीवन केवल चमत्कारों तक सीमित नहीं था, बल्कि यह गहन साधना और अद्वैत वेदांत (Advaita Vedanta) के दर्शन का एक जीता-जागता उदाहरण था।
- मौन (Silence) – वे अपने जीवन का अधिकांश समय मौन में ही बिताते थे। उनका मानना था कि असली ज्ञान शब्दों से नहीं, बल्कि आत्म-साक्षात्कार (self-realization) और अनुभव से आता है।
- अद्वैत का संदेश – तैलंग स्वामी अद्वैत वेदांत के सिद्ध आचार्य थे। उनका मूल संदेश था कि आत्मा और परमात्मा एक ही हैं; भेद केवल अज्ञान (ignorance) के कारण है। उन्होंने कर्म, भक्ति और ज्ञान के समन्वय पर जोर दिया।
- देह पर विजय – उनका विशालकाय शरीर (लगभग 140 किलोग्राम) और अल्प भोजन (very little food) उनकी योग-सिद्धियों का प्रमाण था। उन्होंने यह सिद्ध किया कि मानवीय जीवन भौतिक वस्तुओं या श्वास पर नहीं, बल्कि दिव्य चेतना (divine consciousness) पर निर्भर करता है।
महान संतों से मुलाकात
तैलंग स्वामी को कई महान आध्यात्मिक विभूतियों का समकालीन माना जाता है। स्वामी रामकृष्ण परमहंस, स्वामी विवेकानंद और लाहिरी महाशय जैसे संतों ने उनके दर्शन किए और उनकी महानता को स्वीकार किया।
- रामकृष्ण परमहंस से मुलाकात – कहा जाता है कि जब रामकृष्ण परमहंस ने उन्हें पहली बार देखा, तो उन्होंने तैलंग स्वामी को साक्षात ‘विश्वनाथ’ का स्वरूप बताया था।
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