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Tulsi Mata

क्या रविवार और एकादशी को तुलसी को पानी देना अशुभ है? जानिए धार्मिक और वैज्ञानिक कारण!

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हिंदू धर्म में तुलसी को अत्यंत पवित्र माना जाता है। तुलसी की पूजा की जाती है और यह विश्वास है कि जिस घर में तुलसी होती है, वहाँ लक्ष्मी जी का वास होता है। ऐसे घर पर हमेशा भगवान विष्णु की कृपा बनी रहती है। तुलसी में अनेक औषधीय गुण होते हैं और यह स्वास्थ्य के लिए कई प्रकार से लाभकारी है। यह सामान्य सर्दी और जुकाम से छुटकारा दिलाने में भी सहायक है। वास्तु शास्त्र में इस पौधे को विशेष महत्व दिया गया है।

घर में तुलसी लगाने और नियमित रूप से इसे पानी देने की परंपरा बहुत पुरानी है। हालांकि, कुछ विशेष दिन ऐसे होते हैं जब तुलसी को पानी नहीं दिया जाता है। ये दिन रविवार और एकादशी के होते हैं। इन दिनों में तुलसी को पानी देना शुभ नहीं माना जाता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इन दिनों में तुलसी को पानी क्यों नहीं दिया जाता है? आइए यहां जानें।

तुलसी को पानी न देने के धार्मिक कारण

रविवार

रविवार को सूर्यदेव का दिन माना जाता है।

कुछ मान्यताओं के अनुसार, इस दिन तुलसी को जल देने से सूर्यदेव नाराज हो सकते हैं।

इसके अलावा, रविवार को तुलसी के पत्ते तोड़ना भी वर्जित है।

एकादशी

एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है।

मान्यता है कि इस दिन तुलसी माता भी निर्जला व्रत रखती हैं।

इसलिए, उन पर जल चढ़ाना उनके व्रत का उल्लंघन माना जाता है।

तुलसी को पानी न देने के वैज्ञानिक कारण

रविवार

रविवार को सूर्य की रोशनी तेज होती है।

ज्यादा पानी देने से पौधे की जड़ें सड़ सकती हैं।

तुलसी को थोड़े सूखे में रहना अच्छा लगता है।

एकादशी

एकादशी के आसपास का वातावरण शुष्क होता है।

ज्यादा पानी देने से मिट्टी में फंगस और कीड़े पैदा हो सकते हैं, जो तुलसी के लिए हानिकारक होते हैं।

तुलसी के पौधे का धार्मिक महत्व

भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण की कोई भी पूजा तुलसी दल के बिना पूर्ण नहीं मानी जाती है। हनुमान जी को भी भोग में तुलसी दल अत्यंत प्रिय होती है। पद्मपुराण के अनुसार, कलियुग में तुलसी का पूजन, कीर्तन, ध्यान, रोपण और धारण करने से समस्त पाप नष्ट होते हैं और स्वर्ग एवं मोक्ष की प्राप्ति होती है।

यदि मंजरी युक्त तुलसी पत्रों के द्वारा भगवान श्री विष्णु की पूजा की जाए तो अनंत पुण्य फलों की प्राप्ति होती है। जहां पर तुलसी लगी होती है, वहां भगवान श्रीकृष्ण की समीपता होती है और वहीं ब्रह्मा और लक्ष्मीजी भी सम्पूर्ण देवताओं के साथ विराजमान होते हैं।

तुलसी जी के निकट जो स्तोत्र-मंत्र आदि का जप किया जाता है, वह अनंत गुना फल देने वाला होता है। पूजा में तुलसी के पत्ते और गंगाजल को कभी भी बासी नहीं माना जाता। ये दोनों चीजें किसी भी परिस्थिति में बासी और अपवित्र नहीं मानी जातीं।

वास्तु शास्त्र में महत्व

वास्तु के अनुसार घर में तुलसी के पौधे के लिए उत्तर, उत्तर-पूर्व या पूर्व दिशा का चुनाव करना चाहिए। इन दिशाओं में तुलसी का पौधा लगाना घर में सकारात्मक ऊर्जा पैदा करता है। तुलसी का पौधा घर के दक्षिणी भाग में नहीं लगाना चाहिए, इससे वास्तु दोष उत्पन्न होता है। तुलसी को घर में लगाने से कई फायदे होते हैं; माना जाता है कि इससे पारिवारिक कलह कम होती है।

धन लाभ के लिए सुबह उठकर तुलसी माता की आरती कर, तुलसी के ग्यारह पत्ते तोड़ लें। पत्ते तोड़ने से पहले तुलसी मां से हाथ जोड़कर क्षमा मांग लें और फिर उन्हें तोड़ें। इन पत्तों को घर के उस बर्तन में डाल दें जहां आप आटा रखते हैं। इस आटे का प्रयोग करने से कुछ ही दिनों में आपको घर में सकारात्मक बदलाव दिखाई देगा।

नौकरी और कारोबार में तरक्की के लिए गुरुवार को तुलसी का पौधा पीले कपड़े में बांधकर ऑफिस या दुकान में रखें। ऐसा करने से कारोबार बढ़ेगा और नौकरी में प्रमोशन भी हो जाएगा। वास्तु के अनुसार जिन घरों में तुलसी का पौधा लगा होता है वहां वास्तु संबंधी दोष नहीं होता है।

तुलसी का पौधा आने वाली विपत्ति के बारे में भी जानकारी देता है। घर में हरी-भरी तुलसी सुख, समृद्धि और सौभाग्य का सूचक है। यह परिवार की आर्थिक स्थिति के लिए भी शुभ मानी जाती है, वहीं तुलसी का अकारण सूख जाना भविष्य में आने वाली किसी परेशानी की ओर संकेत करता है।

तुलसी के उपाय

तुलसी की जड़ को गंगाजल में धोकर उसकी पूजा करें और इसे पीले वस्त्र में बांधकर अपने पास रख लें। माना जाता है कि इस उपाय को करने से कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।

गुरुवार के दिन भगवान विष्णु के भोग में तुलसी दल को शामिल करें। इसके बाद तुलसी दल को पीले रंग के वस्त्र में बांधकर तिजोरी में रख दें। माना जाता है कि ऐसा करने से जीवन में धन की कमी नहीं होती है और माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं।

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