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तंत्र-मंत्र विज्ञान या अंधविश्वास? जानिए प्राचीन रहस्य

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तंत्र-मंत्र (Tantra-Mantra) का नाम सुनते ही हमारे मन में एक रहस्यमयी दुनिया की तस्वीर उभरती है। कुछ लोग इसे प्राचीन विज्ञान (ancient science) मानते हैं, तो कुछ इसे सिर्फ अंधविश्वास (superstition) कहकर खारिज कर देते हैं। आखिर सच्चाई क्या है? क्या तंत्र-मंत्र सिर्फ जादू-टोना है या इसके पीछे कोई गहरा वैज्ञानिक आधार छिपा है? आइए, इस ब्लॉग में हम इसी प्राचीन रहस्य को उजागर करने की कोशिश करते हैं।

तंत्र-मंत्र – एक व्यापक दृष्टिकोण

तंत्र-मंत्र को समझने के लिए हमें इसे सिर्फ ‘काले जादू’ या ‘अशुभ’ (evil) कार्यों से परे देखना होगा। भारतीय संस्कृति में तंत्र एक व्यापक शब्द है, जिसका शाब्दिक अर्थ है ‘विस्तार’ या ‘फैलाना’ (expansion)। यह एक ऐसा दर्शन है जो जीवन के हर पहलू को शामिल करता है। तंत्र के तीन मुख्य अंग हैं:

  • तंत्र (दर्शन) – यह जीवन, ब्रह्मांड और आत्मा के संबंध को समझने का एक दार्शनिक मार्ग है। इसमें ध्यान (meditation), योग और आध्यात्मिक साधनाएं शामिल हैं।
  • मंत्र (ध्वनि विज्ञान) – मंत्र सिर्फ कुछ शब्दों का उच्चारण नहीं है, बल्कि यह एक ध्वनि विज्ञान (science of sound) है। हर मंत्र की अपनी एक विशेष आवृत्ति (frequency) और ऊर्जा होती है, जो हमारे शरीर और मन पर गहरा प्रभाव डालती है।
  • यंत्र (आकृति विज्ञान) – यंत्र ज्यामितीय आकृतियां (geometric shapes) हैं, जो ब्रह्मांडीय ऊर्जा को आकर्षित करने और उसे एक निश्चित दिशा में प्रवाहित करने के लिए उपयोग किए जाते हैं।

मंत्र विज्ञान – ध्वनि का अद्भुत खेल

मंत्रों को ‘ब्रह्मवाक्य’ या ‘ईश्वर की वाणी’ भी कहा जाता है। लेकिन, इसके पीछे एक वैज्ञानिक तर्क भी है।

  • जब हम किसी मंत्र का उच्चारण करते हैं, तो उससे एक विशिष्ट कंपन (vibration) पैदा होता है। यह कंपन हमारे शरीर के चक्रों (chakras) को सक्रिय करता है और मन को शांत करता है।
  • मंत्रों का नियमित जाप करने से मस्तिष्क में अल्फा (Alpha) और थीटा (Theta) तरंगों का उत्पादन बढ़ जाता है, जो हमें तनावमुक्त (stress-free) और एकाग्र (focused) बनाता है।
  • मंत्रों के लिए अक्सर संस्कृत भाषा का उपयोग होता है, क्योंकि इसकी ध्वनियां वैज्ञानिक रूप से सबसे शुद्ध और प्रभावशाली मानी जाती हैं।

तंत्र साधना – मन और शरीर का संतुलन

तंत्र साधना का उद्देश्य सिर्फ सिद्धि प्राप्त करना नहीं है, बल्कि अपने भीतर की शक्तियों को जागृत करना है। यह योग और ध्यान का एक उन्नत रूप है, जो हमारे शरीर और मन को संतुलित करता है।

  • तंत्र साधना का एक प्रमुख लक्ष्य ‘कुंडलिनी शक्ति’ को जागृत करना है। यह एक सुप्त ऊर्जा है जो हमारे रीढ़ की हड्डी के आधार में स्थित होती है। इसे जागृत करने से व्यक्ति को उच्च चेतना (higher consciousness) का अनुभव होता है।
  • तंत्र साधना में प्राणायाम (सांस लेने का व्यायाम) और विभिन्न मुद्राओं (hand gestures) का भी उपयोग होता है, जो हमारे शरीर के ऊर्जा प्रवाह को नियंत्रित करते हैं।

अंधविश्वास और तंत्र-मंत्र में अंतर

आजकल, तंत्र-मंत्र का नाम आते ही लोग अक्सर ‘वशीकरण’, ‘जादू-टोना’ और ‘किसी को नुकसान पहुँचाने’ जैसे कार्यों को सोचने लगते हैं। लेकिन, यह तंत्र का विकृत रूप है।

  • तंत्र के अनुसार, ऊर्जा सकारात्मक (positive) और नकारात्मक (negative) दोनों हो सकती है। असली तंत्र साधक हमेशा सकारात्मक ऊर्जा का उपयोग मानव कल्याण (human welfare) के लिए करते हैं।
  • जब कोई व्यक्ति अपनी व्यक्तिगत लालच (greed) या स्वार्थ (selfishness) के लिए तंत्र का उपयोग करता है, तो वह अंधविश्वास और काला जादू बन जाता है।

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