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तुकाराम गाथा (Tukaramgatha)

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तुकाराम गाथा संत तुकाराम महाराज द्वारा रचित अभंगों का संग्रह है, जो मराठी साहित्य और भक्ति परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। तुकाराम महाराज महाराष्ट्र के एक महान संत और कवि थे, जिन्होंने भगवान विट्ठल (विठोबा) की भक्ति में अपने जीवन को समर्पित कर दिया।

उनकी गाथा में लगभग 4,500 से अधिक अभंग (भक्ति गीत) शामिल हैं, जिनके माध्यम से उन्होंने भगवान विट्ठल के प्रति अपनी अटूट भक्ति, समाज में फैले अन्याय और धार्मिक आडंबरों की आलोचना की है।

तुकाराम गाथा की विशेषताएँ

  • तुकाराम गाथा मुख्य रूप से भगवान विट्ठल के प्रति प्रेम और भक्ति से ओत-प्रोत है। उन्होंने अपने अभंगों के माध्यम से सगुण भक्ति की महिमा का गुणगान किया और भगवान के प्रति समर्पण को जीवन का सर्वोच्च उद्देश्य बताया।
  • तुकाराम महाराज ने अपने अभंगों के माध्यम से समाज में व्याप्त जातिगत भेदभाव, धार्मिक पाखंड और सामाजिक अन्याय की कड़ी आलोचना की। उन्होंने धार्मिक आडंबरों और कर्मकांडों को छोड़कर, सत्य, सरलता और भक्ति की शिक्षा दी।
  • तुकाराम गाथा में मानवता और नैतिकता की शिक्षा प्रमुख रूप से दी गई है। उन्होंने सच्चे मन से भगवान की भक्ति और सेवा करने पर बल दिया, साथ ही अहंकार, लोभ, क्रोध, और ईर्ष्या जैसी नकारात्मक भावनाओं से दूर रहने का संदेश दिया।
  • तुकाराम महाराज ने अपने अभंगों को सरल और सहज मराठी भाषा में लिखा, जिससे आम जनता को भी उनकी शिक्षा समझने में कोई कठिनाई नहीं हुई। उनकी भाषा में सरलता और गहराई दोनों हैं, जो सीधा साधारण मनुष्य के हृदय तक पहुँचती है।
  • तुकाराम गाथा को केवल भक्ति गीतों का संग्रह ही नहीं, बल्कि आध्यात्मिक मार्गदर्शन के रूप में भी देखा जाता है। उनके अभंगों में अध्यात्म की गहराई है, जो व्यक्ति को आत्म-साक्षात्कार और मोक्ष के मार्ग की ओर प्रेरित करता है।

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