उत्तररामचरितम भारतीय साहित्य का एक अत्यंत महत्वपूर्ण नाटक है, जिसे संस्कृत के महान कवि भवभूति ने रचा था। यह नाटक रामायण की उत्तरकथा पर आधारित है और भगवान श्रीराम के जीवन के उन पहलुओं को उजागर करता है, जो वाल्मीकि रामायण में सीमित रूप से वर्णित हैं। उत्तररामचरितम में मुख्यतः श्रीराम और सीता के पुनर्मिलन की कथा है, जो करुणा, प्रेम और त्याग से ओतप्रोत है।
डॉ. प्रेरणा माथुर ने इस महाकाव्य पर आधारित एक उत्कृष्ट पुस्तक लिखी है, जिसका शीर्षक है “उत्तररामचरितम”। यह पुस्तक भवभूति के मूल नाटक का गहन अध्ययन प्रस्तुत करती है। डॉ. प्रेरणा माथुर भारतीय संस्कृति, साहित्य और दर्शन की एक प्रसिद्ध विद्वान हैं। उनकी इस कृति में उत्तररामचरितम के न केवल साहित्यिक और सांस्कृतिक महत्व का विश्लेषण किया गया है, बल्कि इसके दार्शनिक और भावनात्मक पक्षों को भी उजागर किया गया है।
उत्तररामचरितम पुस्तक की विशेषताएँ
- डॉ. प्रेरणा माथुर ने भवभूति की काव्यात्मक शैली, उनकी अभिव्यक्ति की गहराई और उनके पात्रों के मनोवैज्ञानिक चित्रण को सरल भाषा में समझाया है।
- यह पुस्तक आधुनिक संदर्भ में रामकथा की प्रासंगिकता को दर्शाती है। इसमें बताया गया है कि राम और सीता का जीवन आज भी समाज और परिवार के लिए प्रेरणास्रोत कैसे है।
- पुस्तक में उत्तररामचरितम के विभिन्न प्रसंगों पर विस्तार से चर्चा की गई है, जो इसे साहित्य और शोध के विद्यार्थियों के लिए उपयोगी बनाती है।
क्यों पढ़ें उत्तररामचरितम पुस्तक?
- यदि आप भारतीय साहित्य और दर्शन में रुचि रखते हैं, तो यह पुस्तक आपकी ज्ञानवृद्धि के लिए उपयुक्त है।
- यह पुस्तक उन पाठकों के लिए भी खास है, जो रामकथा के अनछुए पहलुओं को समझना चाहते हैं।
- सरल भाषा और गहन विश्लेषण के कारण यह पुस्तक साहित्यिक शोधकर्ताओं और सामान्य पाठकों के बीच सेतु का कार्य करती है।