|| वैशाख अमावस्या व्रत कथा ||
वैशाख मास की अमावस्या को वैशाख अमावस्या कहा जाता है। यह हिंदू पंचांग के अनुसार वर्ष का दूसरा माह होता है। शास्त्रों में इस दिन को धर्म-कर्म, स्नान-दान एवं पितरों के तर्पण के लिए अत्यंत शुभ माना गया है। वैशाख अमावस्या को विशेष रूप से पितरों की मुक्ति के लिए उत्तम तिथि माना जाता है, इसलिए इसे पितृमोक्ष अमावस्या भी कहा जाता है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, वैशाख अमावस्या से त्रेता युग का आरंभ हुआ था, जिससे इस तिथि का महत्व और अधिक बढ़ जाता है। पौराणिक ग्रंथों में भी इस अमावस्या से जुड़ी व्रत कथा का उल्लेख मिलता है, जो पितृशांति एवं मोक्ष प्राप्ति के महत्व को दर्शाती है।
प्राचीन काल की बात है, धर्मवर्ण नामक एक ब्राह्मण थे। वे अत्यंत धार्मिक प्रवृत्ति के थे और सदैव व्रत-उपवास रखते, ऋषि-मुनियों का सम्मान करते एवं उनसे ज्ञान अर्जित करते थे। एक दिन उन्होंने किसी महात्मा से सुना कि कलियुग में भगवान विष्णु का नाम स्मरण करना ही सर्वश्रेष्ठ पुण्यदायी कार्य है। अन्य युगों में यज्ञ से जो पुण्य प्राप्त होता था, वह घोर कलियुग में केवल भगवान का नाम जपने से भी मिल सकता है।
इस बात को सुनकर धर्मवर्ण ने सांसारिक जीवन त्यागकर संन्यास धारण कर लिया और देश-देशांतर में भटकने लगे। एक दिन, भ्रमण करते हुए वे पितृलोक जा पहुँचे। वहाँ उन्होंने देखा कि उनके पितर अत्यंत कष्ट में थे।
पितरों ने दुखी होकर कहा – “पुत्र! तुम्हारे संन्यास लेने के कारण अब हमारे लिए पिंडदान करने वाला कोई शेष नहीं रहा। इसी कारण हमें इस दुर्दशा का सामना करना पड़ रहा है। यदि तुम गृहस्थ जीवन में वापस लौटकर संतान उत्पन्न करो और वैशाख अमावस्या के दिन विधि-विधान से पिंडदान करो, तो हम इस पीड़ा से मुक्त हो सकते हैं।”
पितरों की यह बात सुनकर धर्मवर्ण अत्यंत व्यथित हो गए और उन्होंने पितरों से वचन दिया कि वे उनकी अपेक्षाओं को अवश्य पूर्ण करेंगे। इसके पश्चात, उन्होंने संन्यास त्यागकर पुनः गृहस्थ जीवन अपना लिया। वैशाख अमावस्या के दिन विधिपूर्वक पिंडदान एवं तर्पण किया, जिससे उनके पितरों को मोक्ष की प्राप्ति हुई।
यह कथा हमें सिखाती है कि पितरों का तर्पण एवं श्राद्ध कर्म अत्यंत महत्वपूर्ण है। विशेषकर वैशाख अमावस्या के दिन किया गया पिंडदान पितरों को मोक्ष प्रदान करता है और वंश की समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करता है। इस दिन स्नान, दान, जप और तर्पण करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।
Found a Mistake or Error? Report it Now