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वरलक्ष्मी व्रत का महात्म्य, पूजा विधि, तिथि और महत्व

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वरलक्ष्मी व्रत एक अत्यंत शुभ और महत्वपूर्ण व्रत है जो श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की शुक्रवार को रखा जाता है। यह व्रत मां लक्ष्मी की आराधना के लिए समर्पित है, जो धन, समृद्धि और वैभव की देवी हैं। वरलक्ष्मी व्रत को अत्यंत फलदायी माना जाता है।

इस व्रत को रखने से धन-दौलत, सुख-समृद्धि, वैभव और आरोग्य की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही, महिलाओं को सौभाग्य, अच्छे पति और संतान सुख की प्राप्ति भी होती है। वरलक्ष्मी व्रत हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण व्रत है, जो विशेष रूप से दक्षिण भारत में मनाया जाता है। यह व्रत धन, समृद्धि, और सौभाग्य की देवी माँ लक्ष्मी को समर्पित है।

मान्यता है कि इस व्रत को करने से देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है और घर में सुख-शांति, धन-धान्य, और समृद्धि का वास होता है। यह व्रत मुख्यतः महिलाएं अपने परिवार की समृद्धि और कल्याण के लिए करती हैं।

वरलक्ष्मी व्रत 2024 तिथि

वर्ष 2024 में वरलक्ष्मी व्रत 16 अगस्त को शुक्रवार के दिन रखा जाएगा। वरलक्ष्मी व्रत श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की शुक्रवार को मनाया जाता है।

  • वरलक्ष्मी व्रत – 2024 शुक्रवार, 16 अगस्त 2024
  • सिंह लग्न पूजा मुहूर्त – प्रातः 06:20 से प्रातः 08:19 तक
  • वृश्चिक लग्न पूजा मुहूर्त – दोपहर 12:20 बजे से दोपहर 02:30 बजे तक
  • कुम्भ लग्न पूजा मुहूर्त – सायं 06:34 बजे से रात्रि 08:20 बजे तक
  • वृषभ लग्न पूजा मुहूर्त – 11:55 अपराह्न से 01:58 पूर्वाह्न, 17 अगस्त

वरलक्ष्मी व्रत की पूजा विधि

  • प्रातःकाल जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • पूजा स्थल को साफ करके उसे सजाएं।
  • एक पवित्र स्थान पर लकड़ी की चौकी रखें और उस पर नया कपड़ा बिछाएं।
  • देवी लक्ष्मी की प्रतिमा या चित्र को चौकी पर स्थापित करें।
  • चौकी पर रंगोली बनाएं और दीपक जलाएं।
  • दीप जलाकर देवी लक्ष्मी की आरती करें।
  • धूप दिखाकर देवी लक्ष्मी का ध्यान करें।
  • चंदन, रोली, और अक्षत से देवी लक्ष्मी का तिलक करें।
  • पंचामृत से देवी का अभिषेक करें और फूल अर्पित करें।
  • देवी को नैवेद्य और मिष्ठान का भोग लगाएं।
  • देवी लक्ष्मी के भजन और कीर्तन गाएं।
  • उनके स्तोत्र और मंत्रों का जाप करें।
  • पूजा के बाद वरलक्ष्मी व्रत कथा पाठ करें और सुनें।
  • पूजा के अंत में देवी लक्ष्मी की आरती करें और प्रसाद का वितरण करें।

पूजा सामग्री

  • दीपक, धूपबत्ती, कपूर
  • पुष्प (गुलाब, कमल, चमेली)
  • नैवेद्य (फल, मिठाई, नारियल)
  • पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, शक्कर)
  • चंदन, रोली, अक्षत (चावल)
  • पान, सुपारी, लौंग, इलायची
  • वरलक्ष्मी व्रत कथा की पुस्तक

वरलक्ष्मी व्रत का पूजा मंत्र

ॐ श्रीं वरलक्ष्म्यै नमः

ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभायो नमः

वरलक्ष्मीर्महादेवि सर्वकाम-प्रदायिनी
यन्मया च कृतं देवि परिपूर्णं कुरुष्व तत्

वरलक्ष्मी व्रत का महत्व

वरलक्ष्मी व्रत का महत्व अत्यधिक है। यह व्रत धन और समृद्धि की प्राप्ति के लिए किया जाता है। इस व्रत को करने से न केवल आर्थिक स्थिति मजबूत होती है, बल्कि परिवार में सुख-शांति और समृद्धि भी बनी रहती है। यह व्रत विशेष रूप से उन महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण है जो अपने परिवार की भलाई और कल्याण की कामना करती हैं। मान्यता है कि इस व्रत को विधिपूर्वक करने से देवी लक्ष्मी की असीम कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है।

इस प्रकार, वरलक्ष्मी व्रत एक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान है जो श्रद्धा और भक्तिपूर्वक करने से देवी लक्ष्मी की कृपा से जीवन में सभी प्रकार की बाधाओं का नाश होता है और व्यक्ति को मानसिक, शारीरिक और आर्थिक समृद्धि प्राप्त होती है। वरलक्ष्मी व्रत विवाहित महिलाओं के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। यह व्रत अखंड सौभाग्य और सुख-समृद्धि प्रदान करने वाला माना जाता है।

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