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वेदांत परिभाषा (Vedanta Paribhasha)

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‘वेदांत परिभाषा’ भारतीय वेदांत दर्शन पर आधारित एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है, जिसकी रचना गजानन शास्त्री मुसलगांवकर जी ने की है। यह पुस्तक वेदांत दर्शन के जटिल विषयों को सरल और व्यवस्थित तरीके से समझाने का प्रयास करती है। गजानन शास्त्री जी ने इस ग्रंथ के माध्यम से वेदांत के गूढ़ सिद्धांतों और परिभाषाओं को स्पष्ट कर, जिज्ञासु पाठकों और साधकों के लिए सुलभ बनाया है।

गजानन शास्त्री मुसलगांवकर भारतीय दार्शनिक परंपरा के एक प्रतिष्ठित विद्वान और शिक्षक थे। उन्होंने वेदांत, न्याय और मीमांसा जैसे गूढ़ विषयों पर गहन शोध किया और उन्हें सरल भाषा में प्रस्तुत करने का कार्य किया। उनकी यह पुस्तक वेदांत के शिक्षार्थियों के लिए एक मार्गदर्शिका की तरह है।

यह ग्रंथ भारतीय वेदांत परंपरा के प्रमुख सिद्धांतों, उनकी परिभाषाओं, और उनके व्यावहारिक पहलुओं का विस्तृत विवेचन प्रस्तुत करता है। पुस्तक का उद्देश्य वेदांत के अध्ययन को सरल बनाना है, ताकि पाठक इसके सिद्धांतों को आसानी से समझ सकें और अपने जीवन में आत्मसात कर सकें।

यह पुस्तक क्यों पढ़ें?

  • यदि आप वेदांत दर्शन के सिद्धांतों को व्यवस्थित और स्पष्ट रूप में समझना चाहते हैं।
  • यदि आप ब्रह्म, आत्मा, और मोक्ष के गूढ़ रहस्यों को जानने के इच्छुक हैं।
  • यदि आप वेदांत के दार्शनिक और व्यावहारिक पहलुओं को अपने जीवन में लागू करना चाहते हैं।

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