विष्णु पुराण हिंदू धर्म के अठारह महापुराणों में से एक महत्वपूर्ण पुराण है। यह पुराण भगवान विष्णु को समर्पित है और उनकी महिमा, लीलाओं, अवतारों, धर्म, भक्ति, और पौराणिक कथाओं का विस्तार से वर्णन करता है। विष्णु पुराण का अध्ययन धार्मिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।
विष्णु पुराण की रचना महर्षि पराशर ने की थी। इसमें कुल 23,000 श्लोक हैं और यह छह प्रमुख अंशों (खंडों) में विभाजित है। प्रत्येक अंश में भगवान विष्णु के विभिन्न रूपों, लीलाओं, और धार्मिक उपदेशों का विस्तृत विवरण है।
विष्णु पुराण के प्रमुख विषय
- विष्णु पुराण में सृष्टि की उत्पत्ति, ब्रह्मांड की संरचना, और समय के चक्र का वर्णन है। इसमें ब्रह्मा, विष्णु, और महेश के कार्यों का विस्तार से विवरण है।
- इस पुराण में भगवान विष्णु के दस प्रमुख अवतारों (दशावतार) का वर्णन है, जिनमें मत्स्य, कूर्म, वराह, नरसिंह, वामन, परशुराम, राम, कृष्ण, बुद्ध, और कल्कि शामिल हैं। प्रत्येक अवतार की कथा और उनके उद्देश्यों का विस्तृत वर्णन है।
- विष्णु पुराण में धर्म, नैतिक आचरण, और जीवन के विभिन्न चरणों के नियमों का विस्तृत वर्णन है। इसमें वर्णाश्रम धर्म, गृहस्थ जीवन, और संन्यास के कर्तव्यों पर विशेष ध्यान दिया गया है।
- इस पुराण में विष्णु भक्ति के महत्व, पूजा विधियों, और धार्मिक अनुष्ठानों का वर्णन है। इसमें विष्णु सहस्रनाम, विष्णु स्तुति, और अन्य भक्ति मंत्रों का भी विवरण है।
- विष्णु पुराण में विभिन्न पौराणिक कथाएँ और धार्मिक उपाख्यान शामिल हैं, जैसे ध्रुव की कथा, प्रह्लाद और हिरण्यकश्यप की कथा, गजेन्द्र मोक्ष, और समुद्र मंथन। ये कथाएँ नैतिक और धार्मिक शिक्षा प्रदान करती हैं और जीवन के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालती हैं।
- इस पुराण में विभिन्न तीर्थ स्थलों का महत्व, पूजा विधियों, व्रतों, और त्योहारों का विस्तृत वर्णन है। इसमें विशेषकर बद्रीनाथ, द्वारका, पुरी, और अन्य प्रमुख तीर्थ स्थलों का महत्व बताया गया है।
- विष्णु पुराण में आदर्श राजा, राजनीति, और शासन के सिद्धांतों का भी वर्णन है। इसमें राज्य के कर्तव्यों, न्याय, और प्रजा की भलाई के नियम बताए गए हैं।