आदि शंकराचार्य द्वारा रचित विवेक चूड़ामणि एक प्रसिद्ध ग्रन्थ है जिसमें अद्वैत वेदान्त का निर्वचन किया गया है। इस पुस्तक को पढ़ने से मस्तिष्क व्यापक होता है और व्यक्तित्व में निखार आता है। पर क्या और कैसे पढ़ना है, ये सबको नहीं पता। इसीलिए हमने आपकी पसंद और नापसंद को ध्यान में रखते हुए सरल, सुगम भाषा में इन पुस्तकों को तैयार किया है। प्रस्तुत पुस्तकों विवेक चूडामणि और भजगोविंदम् में वह विषय-वस्तु प्रस्तुत किया गया है, जिसको पढ़ने से ज्ञानार्जन हो सके। इसे आप भी पढ़ें और दूसरों को भी ज्ञानार्जन करने को प्रेरित करें।.
विवेक चूड़ामणि में क्या लिखा है :- इस ग्रंथ में प्रमुख अवधारणाओं जैसे वास्तविक (अपरिवर्तनीय, शाश्वत ) और अवास्तविक (परिवर्तनशील, लौकिक) के बीच विवेक, प्रकृति और आत्मा , आत्मा और ब्रह्म की एकता और आध्यात्मिक ज्ञान के केंद्रीय कार्य के रूप में आत्म-ज्ञान पर चर्चा की गई है। जीवन और मोक्ष के लिए।
विवेक चूड़ामणि पर प्रवचन
विवेक चूड़ामणि पर प्रवचन की कुछ बातें इस प्रकार हैं:
- ब्रह्म ही सत्य है और जगत मिथ्या है; “ब्रह्मा से लेकर स्तम्ब (तृण) पर्यंत समस्त उपाधियाँ मिथ्या हैं, आप ही ब्रह्मा है, आप ही विष्णु हैं, आप ही इंद्र हैं और आप ही यह सारा विश्व हैं। आप से भिन्न और कुछ भी नहीं है।
- मोक्ष का प्रथम हेतु अनित्य वस्तुओं में अत्यंत वैराग्य होना कहा गया है, तदन्तर शम, दम, तितिक्षा और सम्पूर्ण आसक्तियुक्त कर्मों का सर्वथा त्याग है। तदुपरांत मुनि को श्रवण, मनन और चिरकाल तक नित्य-निरंतर आत्म-तत्व का ध्यान करना चाहिए तब वह विद्वान परम् निर्विकल्पावास्था को प्राप्त होकर निर्वाण – सुख (मोक्ष) को पाता है।