ओणम, केरल का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण त्योहार है, जो हर साल मलयालम कैलेंडर के अनुसार चिंगम महीने में आता है. यह सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि सांस्कृतिक विरासत, समृद्धि और खुशियों का प्रतीक है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि यह अद्भुत पर्व क्यों मनाया जाता है? इसका गहरा इतिहास क्या है और इसके पीछे की रोमांचक कथा क्या है? आइए, इस लेख में हम ओणम के हर पहलू को विस्तार से जानते हैं.
ओणम क्या है और यह कब मनाया जाता है?
ओणम एक 10 दिवसीय फसल उत्सव है जो केरल की संस्कृति और परंपराओं को दर्शाता है. यह मुख्य रूप से राजा महाबली के घर वापसी का सम्मान करने और भगवान विष्णु के वामन अवतार की जीत का जश्न मनाने के लिए मनाया जाता है. यह त्योहार वर्षा ऋतु के अंत और फसल के मौसम की शुरुआत का भी प्रतीक है, जब प्रकृति अपने पूरे वैभव में होती है.
ओणम का इतिहास – एक प्राचीन परंपरा
ओणम का इतिहास सदियों पुराना है और यह केरल के लोकगीतों, मिथकों और प्राचीन ग्रंथों से जुड़ा हुआ है. इस त्योहार का मूल राजा महाबली की पौराणिक कथा में निहित है, जो केरल के एक महान, परोपकारी और न्यायप्रिय राजा थे. उनका शासनकाल केरल के लिए एक स्वर्ण युग था, जहां सभी लोग समान, समृद्ध और खुश थे.
माना जाता है कि ओणम का उत्सव 8वीं शताब्दी ईस्वी से मनाया जा रहा है, हालांकि इसके लिखित प्रमाण कुछ बाद के काल के मिलते हैं. यह त्योहार सिर्फ केरल ही नहीं, बल्कि दुनिया भर में फैले मलयाली समुदायों द्वारा बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है.
ओणम का महत्व – अनेक अर्थों का संगम
ओणम सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि कई महत्वपूर्ण पहलुओं का संगम है:
- ओणम केरल के कृषि प्रधान समाज के लिए फसल कटाई का उत्सव है. यह किसानों द्वारा अच्छी फसल के लिए ईश्वर को धन्यवाद देने और आने वाले वर्ष में और अधिक समृद्धि की कामना करने का समय है.
- यह त्योहार राजा महाबली की प्रजा के प्रति प्रेम और उनकी वापसी का सम्मान करने के लिए मनाया जाता है. यह दर्शाता है कि कैसे एक अच्छा शासक अपनी प्रजा के दिलों में हमेशा जीवित रहता है.
- ओणम के दौरान जाति, धर्म और सामाजिक स्थिति का कोई भेदभाव नहीं होता. सभी लोग एक साथ मिलकर इस त्योहार को मनाते हैं, जो एकता और भाईचारे का संदेश देता है.
- ओणम केरल की समृद्ध संस्कृति और परंपराओं का प्रदर्शन करता है. इस दौरान पारंपरिक नृत्य, गीत, कला और व्यंजन जीवंत हो उठते हैं.
ओणम की अद्भुत कथा – राजा महाबली और वामन अवतार
ओणम के पीछे की सबसे महत्वपूर्ण और हृदयस्पर्शी कथा राजा महाबली और भगवान विष्णु के वामन अवतार की है. यह कथा हमें त्याग, अहंकार के पतन और ईश्वरीय न्याय का पाठ पढ़ाती है.
प्राचीन काल में, केरल पर राजा महाबली का शासन था. वे एक अत्यंत शक्तिशाली, उदार और धर्मात्मा राजा थे. उनके शासनकाल में उनकी प्रजा सुखी और समृद्ध थी. उनकी बढ़ती शक्ति और लोकप्रियता से देवलोक के देवता चिंतित हो गए, क्योंकि महाबली ने तीनों लोकों पर अधिकार कर लिया था.
देवताओं ने भगवान विष्णु से सहायता मांगी. भगवान विष्णु ने वामन (एक बौने ब्राह्मण) का रूप धारण किया और राजा महाबली के पास पहुंचे, जो उस समय एक विशाल यज्ञ कर रहे थे. वामन ने महाबली से भिक्षा में ‘तीन पग भूमि’ मांगी. महाबली, अपनी उदारता के लिए जाने जाते थे, उन्होंने सहर्ष वामन की इस छोटी सी मांग को स्वीकार कर लिया.
जैसे ही महाबली ने भिक्षा देने का संकल्प लिया, वामन ने अपना विराट रूप धारण कर लिया. उन्होंने पहले पग में पूरी पृथ्वी को नाप लिया, दूसरे पग में आकाश को. अब तीसरे पग के लिए कोई जगह नहीं बची थी. महाबली, जो अपने वचन के पक्के थे, ने अपना सिर वामन के सामने झुका दिया और कहा, “हे प्रभु! तीसरा पग मेरे सिर पर रखें.”
भगवान विष्णु, वामन रूप में, महाबली के इस त्याग और भक्ति से अत्यंत प्रसन्न हुए. उन्होंने महाबली को पाताल लोक भेज दिया, लेकिन उनकी प्रजा के प्रति प्रेम और उनकी उदारता से प्रभावित होकर उन्हें एक वरदान दिया. यह वरदान था कि महाबली हर साल ओणम के दिन अपनी प्रिय प्रजा से मिलने के लिए पृथ्वी पर आ सकते हैं.
यही कारण है कि ओणम के दौरान केरल के लोग अपने घरों को सजाते हैं, भव्य दावतें (ओणम साध्य) तैयार करते हैं, और विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करते हैं, यह सब अपने प्रिय राजा महाबली का स्वागत करने और उनकी वापसी का जश्न मनाने के लिए होता है.
ओणम कैसे मनाया जाता है? ओणम के प्रमुख आकर्षण
ओणम एक दस दिवसीय त्योहार है, जिसमें हर दिन का अपना महत्व और विशेष अनुष्ठान होते हैं. हालांकि, कुछ प्रमुख आकर्षण इस प्रकार हैं:
- अथचमयम (Athachamayam) – यह ओणम की शुरुआत का प्रतीक है, जिसमें भव्य जुलूस, झांकियां और सांस्कृतिक प्रदर्शन होते हैं.
- पूक्कलम (Pookkalam) – यह ताजे फूलों से बनी रंगोली है, जिसे घरों के सामने बनाया जाता है. यह राजा महाबली के स्वागत के लिए एक सुंदर कालीन के रूप में कार्य करता है.
- ओणम साध्य (Onam Sadhya) – यह एक पारंपरिक शाकाहारी दावत है, जिसमें 20 से अधिक व्यंजन केले के पत्ते पर परोसे जाते हैं. यह ओणम का सबसे स्वादिष्ट और महत्वपूर्ण हिस्सा है.
- पुलीकली (Pulikali) – यह एक लोक नृत्य है जिसमें कलाकार बाघों के रूप में रंगे होते हैं और ढोल की थाप पर नृत्य करते हैं.
- वल्लम काली (Vallam Kali) – यह केरल की प्रसिद्ध नौका दौड़ है, जिसमें सजी हुई सांप नौकाएं शामिल होती हैं. यह एक रोमांचक और प्रतिस्पर्धी आयोजन है.
- ओणप्पन (Onappan) – यह ओणम के दौरान बच्चों के लिए खेले जाने वाले खेल और प्रतियोगिताएं हैं.
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