॥ करारविन्देन पदारविन्दं – श्लोक ॥
करारविन्देन पदारविन्दं
मुखारविन्दे विनिवेशयन्तम् ।
वटस्य पत्रस्य पुटे शयानं
बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि ॥
हिंदी अर्थ: मैं अपने मन से उस बाल मुकुंद (भगवान कृष्ण) का स्मरण करता हूँ, जो वट वृक्ष के पत्ते पर शयन कर रहे हैं। जिनके कोमल हाथ कमल के समान हैं, जो अपने कमल समान पैरों को अपने मुख में लेकर चूस रहे हैं। इस श्लोक में भगवान श्रीकृष्ण के बाल रूप की सुंदरता और उनकी अद्वितीय भक्ति का वर्णन किया गया है।
Kararavinde padaravindam
Mukharavinde vinivesayantam
Vatasya patrasya pute sayanam
Balam mukundam manasa smarami
English Meaning: I meditate upon the child Mukunda (Lord Krishna), lying on a banyan leaf, holding his lotus-like feet with his lotus-like hands and placing them near his lotus-like mouth. This shloka portrays the beauty and divine innocence of young Krishna.
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