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वासांसि जीर्णानि यथा विहाय – श्लोक अर्थ सहित

Vasansi Jirnani Yatha Vihaya Shloka Hindi

MiscShloka (श्लोक संग्रह)English
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।। वासांसि जीर्णानि यथा विहाय – श्लोक ।।

वासांसि जीर्णानि यथा विहाय,
नवानि गृह्णाति नरोऽपराणि।
तथा शरीराणि विहाय जीर्णा –
न्यन्यानि संयाति नवानि देही।।

हिंदी अर्थ: यह श्लोक संसारिक अनुभवों को व्यक्त करने के लिए है और इसका मतलब है कि: जैसे कोई व्यक्ति पुराने और प्रयुक्त वस्त्रों को छोड़कर नए वस्त्र पहनता है, उसी प्रकार आत्मा अपने पुराने शरीरों को छोड़कर नए शरीरों को प्राप्त करता है। इस श्लोक अर्थ है कि जीवन परिवर्तनशील है और जीवन का चक्र सदैव चलता रहता है।

Vasansi jirnani yatha vihaya,
navani grhnati naro parani,
Tatha sharirani vihaya jirna-
nyanyani sanyati navani dehi.

English Meaning: Just as a person discards old and worn-out clothes to wear new ones, similarly, an individual leaves behind their old bodies to attain new bodies. This illustrates the cyclical nature of life where beings go through a continuous process of birth and rebirth.

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