हरि ओम! देवों के देव महादेव की कृपा प्राप्त करने के लिए सनातन धर्म में कई व्रत और अनुष्ठान (Rituals) बताए गए हैं। इन्हीं में से एक अत्यंत पवित्र और फलदायी व्रत है विश्वेश्वर व्रत। यह व्रत भगवान शिव के ही एक स्वरूप “विश्वेश्वर” को समर्पित है, जिसका अर्थ है ‘विश्व के ईश्वर’ (Lord of the Universe)।
मान्यता है कि इस व्रत को पूर्ण निष्ठा (Integrity) और विधि-विधान से करने पर भक्त को न केवल शिव लोक की प्राप्ति होती है, बल्कि जीवन में सुख-समृद्धि, उत्तम स्वास्थ्य और मनचाहे वरदान भी मिलते हैं। आइए, इस लेख में हम विश्वेश्वर व्रत के महत्व, शुभ मुहूर्त और पूजा की सरल किंतु प्रभावी विधि के बारे में विस्तार से जानते हैं।
विश्वेश्वर व्रत 2025 शुभ मुहूर्त (Shubh Muhurat)
विश्वेश्वर व्रत विशेष रूप से कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को रखा जाता है। यह अक्सर भीष्म पंचक के दौरान पड़ता है, जो कार्तिक पूर्णिमा से ठीक पहले के पाँच दिनों का समूह होता है।
- विश्वेश्वर व्रत 2025 – 03 नवम्बर, 2025 सोमवार कार्तिक मास, शुक्ल पक्ष चतुर्दशी
- चतुर्दशी तिथि प्रारंभ – 02 नवम्बर, 2025 रविवार शाम 07:12 बजे से
- चतुर्दशी तिथि समाप्त – 03 नवम्बर, 2025 सोमवार शाम 05:43 बजे तक
- पूजा का शुभ समय (प्रदोष काल) – 03 नवम्बर, 2025 सोमवार शाम 05:30 बजे से 08:00 बजे तक
- विशेष – सोमवार का दिन होने के कारण इस व्रत का महत्व कई गुना बढ़ जाता है, क्योंकि सोमवार स्वयं भगवान शिव को समर्पित है।
विश्वेश्वर व्रत क्यों है खास? जानें शिव कृपा पाने का रहस्य
विश्वेश्वर व्रत को महादेव की असीम कृपा प्राप्त करने का एक सीधा मार्ग माना जाता है। इस व्रत से जुड़ा सबसे बड़ा रहस्य यह है कि यह व्यक्ति को भौतिक और आध्यात्मिक दोनों स्तरों पर शुद्ध करता है।
- मोक्ष और कल्याण – “विश्वेश्वर” नाम का अर्थ है ‘विश्व के स्वामी’। यह व्रत काशी (Varanasi) के प्रसिद्ध काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग से भी जुड़ा हुआ माना जाता है। व्रत के प्रभाव से भक्त सभी पापों से मुक्त होकर मोक्ष (Salvation) प्राप्त करता है।
- मनोकामनाओं की पूर्ति – ऐसी मान्यता है कि विश्वेश्वर व्रत धारण करने वाले भक्तों की सभी सच्ची मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। विशेषकर वैवाहिक जीवन की समस्याओं (Marital Problems) को दूर करने और उत्तम संतान प्राप्ति के लिए यह व्रत अत्यंत लाभकारी है।
- रोगों से मुक्ति – जो लोग दीर्घकालिक रोगों (Chronic Illness) से पीड़ित हैं या बार-बार स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करते हैं, उन्हें यह व्रत श्रद्धापूर्वक करना चाहिए। महादेव का आशीर्वाद उन्हें रोगों से लड़ने की शक्ति देता है।
- काल और भय पर विजय – भगवान शिव काल के नियंत्रक (Controller of Time) हैं। इस व्रत को करने से अकाल मृत्यु का भय समाप्त होता है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा (Positive Energy) का संचार होता है।
विश्वेश्वर व्रत की सरल एवं सम्पूर्ण पूजा विधि (Puja Vidhi)
विश्वेश्वर व्रत के दिन महादेव की पूजा विशेष रूप से प्रदोष काल (सूर्यास्त के बाद का समय) में की जाती है, लेकिन प्रातः काल की पूजा भी अनिवार्य है।
- व्रत से एक दिन पहले सात्विक भोजन करें। व्रत वाले दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र (Clean Clothes) धारण करें।
- घर के पूजा स्थल या शिव मंदिर में शिवलिंग को गंगाजल से शुद्ध करें। हाथ में जल और अक्षत लेकर व्रत रखने का संकल्प लें और मन ही मन भगवान शिव से व्रत को सफलतापूर्वक पूर्ण करने की प्रार्थना करें।
- शिवलिंग पर जल, दूध, दही, शहद, घी और शक्कर का पंचामृत अर्पित करें। बेलपत्र, भांग, धतूरा, आक के फूल, चंदन और भस्म चढ़ाएं। शिव चालीसा या महामृत्युंजय मंत्र का 108 बार जाप करें। धूप-दीप जलाएं और आरती करें। दिन भर निराहार (Without Food) या फलाहार (Fruits only) व्रत रखें।
- प्रदोष काल की विशेष पूजा – शाम को सूर्यास्त के बाद पुनः स्नान करें। पूजा स्थल पर मिट्टी का नया दीपक जलाएँ और भगवान शिव की प्रतिमा या शिवलिंग को फिर से शुद्ध जल से स्नान कराएँ। इस समय रुद्राभिषेक करना अत्यंत शुभ माना जाता है। यदि संभव हो तो रुद्राभिषेक कराएँ। शिवलिंग को चंदन का लेप लगाएँ, वस्त्र (धोती या जनेऊ) अर्पित करें।
- विश्वेश्वर मंत्र का जाप करें – “ॐ नमो विश्वेश्वराय महादेवाय नमः”, व्रत कथा पढ़ें या सुनें। यह व्रत कथाएँ अक्सर स्कंद पुराण या लिंग पुराण में मिलती हैं, जो शिव-पार्वती संवाद पर आधारित होती हैं।
- आरती करने के बाद शिव जी को सात्विक भोग (मिठाई, फल) अर्पित करें। इस दिन किसी गरीब या ब्राह्मण को यथाशक्ति दान (Donation) अवश्य दें।
- अगले दिन, यानी कार्तिक पूर्णिमा को, प्रातः काल स्नान और पूजा के बाद व्रत का पारण किया जाता है। पारण के लिए सात्विक भोजन ग्रहण करें और यदि संभव हो तो किसी जरूरतमंद को भोजन कराएं।
शिव कृपा पाने के लिए कुछ अतिरिक्त उपाय
विश्वेश्वर व्रत के दौरान कुछ विशेष उपाय (Special Remedies) करने से शिव की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है:
- व्रत के दिन भगवान शिव के समक्ष घी का एक अखंड दीप (Continuous Lamp) प्रज्वलित करें। यह परिवार में ज्ञान और समृद्धि लाता है।
- यदि संभव हो, तो शिव लिंग पर गंगाजल अर्पित करते समय काशी विश्वनाथ का ध्यान करें।
- इस दिन रुद्राक्ष धारण करना या उसकी पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
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