नीलमत पुराण एक महत्वपूर्ण हिंदू धार्मिक ग्रंथ है जो विशेष रूप से कश्मीर घाटी के इतिहास, संस्कृति, धर्म, और परंपराओं का विस्तृत वर्णन करता है। इसे कश्मीर घाटी का ‘गजेटियर’ भी कहा जाता है क्योंकि इसमें इस क्षेत्र के भूगोल, तीर्थ स्थलों, और त्योहारों का वर्णन मिलता है। नीलमत पुराण में कश्मीर की प्राचीनता, वहां की धार्मिक परंपराओं, और देवी-देवताओं की पूजा पद्धतियों का उल्लेख है।
नीलमत पुराण की रचना के बारे में माना जाता है कि इसे ऋषि नील ने लिखा था। यह पुराण संस्कृत भाषा में लिखा गया है और इसमें लगभग 2700 श्लोक हैं। इसमें नील ऋषि और कश्यप ऋषि के संवादों के माध्यम से विभिन्न धार्मिक और पौराणिक कथाओं का वर्णन है।
नीलमत पुराण के प्रमुख विषय
- नीलमत पुराण में कश्मीर घाटी की उत्पत्ति की कथा का विस्तृत वर्णन है। इसमें बताया गया है कि कैसे कश्यप ऋषि ने कश्मीर घाटी को जलमग्न से मुक्त कराया और वहां निवासियों के लिए उपयुक्त स्थान बनाया।
- इस पुराण में कश्मीर घाटी के विभिन्न तीर्थ स्थलों, मंदिरों, और धार्मिक स्थलों का वर्णन है। इसमें अमरनाथ, शंकराचार्य मंदिर, और हरि पर्वत जैसे महत्वपूर्ण तीर्थ स्थलों का उल्लेख है। इसमें पूजा विधियों, व्रतों, और त्योहारों का भी विस्तृत वर्णन है।
- नीलमत पुराण में कश्मीर की धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं का उल्लेख है। इसमें स्थानीय देवी-देवताओं, ऋषियों, और धार्मिक अनुष्ठानों का विस्तृत वर्णन है। इसमें विशेष रूप से नील नगरी की धार्मिक परंपराओं और उत्सवों का वर्णन है।
- इस पुराण में विभिन्न पौराणिक कथाएँ और धार्मिक उपाख्यान शामिल हैं। ये कथाएँ कश्मीर की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को दर्शाती हैं। इसमें नील ऋषि, कश्यप ऋषि, और अन्य देवी-देवताओं की कथाएँ शामिल हैं।
- नीलमत पुराण में कश्मीर की कृषि, जलवायु, और भौगोलिक विशेषताओं का भी वर्णन है। इसमें कृषि के विभिन्न तरीकों, फसलों, और स्थानीय वनस्पतियों का उल्लेख है।