अगस्त्य संहिता एक प्राचीन हिंदू ग्रंथ है जो ऋषि अगस्त्य द्वारा रचित मानी जाती है। यह संहिता वेद, पुराण और अन्य धार्मिक ग्रंथों में महत्वपूर्ण स्थान रखती है। अगस्त्य संहिता में विभिन्न विषयों का वर्णन किया गया है, जिसमें ज्योतिष, आयुर्वेद, धार्मिक विधि-विधान, और योग का समावेश है।
महर्षि अगस्त्य एक प्रमुख वैदिक ऋषि थे। वह वशिष्ठ मुनि के बड़े भाई थे और उनका जन्म श्रावण शुक्ल पंचमी (लगभग ३००० ई.पू.) को काशी में हुआ था। वर्तमान में यह स्थान अगस्त्यकुंड के नाम से जाना जाता है। उनकी पत्नी लोपामुद्रा विदर्भ देश की राजकुमारी थीं। महर्षि अगस्त्य को सप्तर्षियों में से एक माना जाता है। देवताओं के अनुरोध पर उन्होंने काशी छोड़कर दक्षिण की यात्रा की और बाद में वहीं बस गए।
अगस्त्य संहिता से जुडी विशेत बातें
महर्षि अगस्त्य एक वैज्ञानिक ऋषि थे और राजा दशरथ के राजगुरु भी थे। इन्हें मंत्रदृष्टा ऋषि कहा जाता है क्योंकि उन्होंने अपने तपस्या काल में मंत्रों की शक्ति को देखा था। ऋग्वेद के कई मंत्र उनके द्वारा दृष्ट किए गए हैं। महर्षि अगस्त्य ने ऋग्वेद के प्रथम मंडल के 165 से 191 तक के सूक्तों का ज्ञान दिया। उनके पुत्र दृढ़च्युत और उनके पोते इध्मवाह भी ऋग्वेद के नवम मंडल के 25वें और 26वें सूक्त के दृष्टा ऋषि हैं।
महर्षि अगस्त्य को पुलस्त्य ऋषि का पुत्र माना जाता है। उनके भाई विश्रवा, रावण के पिता थे। पुलस्त्य ऋषि ब्रह्मा के पुत्र थे। महर्षि अगस्त्य ने विदर्भ नरेश की पुत्री लोपामुद्रा से विवाह किया, जो विद्वान और वेदज्ञ थीं। दक्षिण भारत में लोपामुद्रा को मलयध्वज नामक पांड्य राजा की पुत्री बताया जाता है और वहां उनका नाम कृष्णेक्षणा है। उनका एक पुत्र था जिसका नाम इध्मवाहन था।
महर्षि अगस्त्य के बारे में कई कथाएँ प्रचलित हैं। कहा जाता है कि उन्होंने अपनी मंत्र शक्ति से समुद्र का सारा जल पी लिया था, विंध्याचल पर्वत को झुका दिया था, और मणिमती नगरी के इल्वल तथा वातापी नामक दुष्ट दैत्यों की शक्ति को नष्ट कर दिया था। उनके समय में राजा श्रुतर्वा, बृहदस्थ, और त्रसदस्यु थे। उन्होंने महर्षि अगस्त्य के साथ मिलकर दैत्यराज इल्वल को पराजित कर अपने राज्य के लिए धन-संपत्ति प्राप्त की थी।
प्रमुख विषय
- अगस्त्य संहिता में ग्रहों, नक्षत्रों और उनकी स्थितियों का वर्णन किया गया है। इसमें ज्योतिषीय गणनाओं और फलित ज्योतिष के सिद्धांतों को विस्तृत रूप से समझाया गया है।
- इस ग्रंथ में आयुर्वेद के विभिन्न पहलुओं का वर्णन किया गया है। इसमें जड़ी-बूटियों, औषधियों और उपचार विधियों का उल्लेख मिलता है। अगस्त्य संहिता में स्वास्थ्य और जीवनशैली के संबंध में महत्वपूर्ण सलाह दी गई है।
- अगस्त्य संहिता में धार्मिक अनुष्ठानों, पूजा पद्धतियों और व्रत-उपवास के नियमों का वर्णन किया गया है। इसमें देवताओं की स्तुति और प्रार्थना के मंत्र भी दिए गए हैं।
- इस ग्रंथ में योग और ध्यान की विभिन्न विधियों का वर्णन किया गया है। इसमें मानसिक शांति और आत्मिक विकास के लिए योग के महत्व पर प्रकाश डाला गया है।