|| आरती ||
शाकम्भर अम्बाजी की आरती कीजो ॥
ऐसा अदभुत रूप हृदय धर लीजो,
शताक्षी दयालु की आरती कीजो ॥
तुम परिपूर्ण आदि भवानी माँ,
सब घट तुम आप बखानी माँ ॥
तुम्ही हो शाकम्भर,
तुम ही हो शताक्षी माँ ॥
शिवमूर्ति माया,
तुम ही हो प्रकाशी माँ ॥
नित जो नर नारी
अम्बे आरती गावे, माँ ॥
इच्छा पूरण कीजो,
शाकम्भर दर्शन पावे, माँ ॥
जो नर आरती पढे पढावे माँ ॥
जो नर आरती सुने सुनावे माँ ॥
बसे बैकुण्ठ शाकम्भर दर्शन पावे ॥
जय शाकंभरी मात की जय ।
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