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आद्याकाली जयंती 2026 विशेष – कौन हैं आद्याकाली? जानें पूजा विधि और महत्व

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हिंदू पंचांग के अनुसार, वर्ष 2026 में आद्याकाली जयंती 4 सितंबर, शुक्रवार को मनाई जाएगी। यह पावन पर्व श्रावण मास (पूर्णिमान्त भाद्रपद) की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। आद्याकाली को ‘दस महाविद्याओं’ में प्रथम और सृष्टि की मूल शक्ति माना जाता है। “आद्या” का अर्थ है ‘प्रारंभिक’ – वह शक्ति जो ब्रह्मांड की उत्पत्ति से पूर्व भी विद्यमान थी। मान्यता है कि इसी दिन माँ काली का प्राकट्य हुआ था।

भारतवर्ष देवी-देवताओं की भूमि है, जहाँ हर दिन कोई न कोई पर्व या जयंती मनाई जाती है। इन्हीं में से एक महत्वपूर्ण पर्व है “आद्याकाली जयंती”। यह दिन माँ आद्याकाली को समर्पित है, जिनकी पूजा-अर्चना से भक्तों को असीम शक्ति, सुरक्षा और समृद्धि प्राप्त होती है। 2026 में आद्याकाली जयंती का यह पावन अवसर भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है। आइए, जानते हैं कि कौन हैं आद्याकाली, उनकी जयंती का क्या महत्व है और इस दिन पूजा विधि कैसे करें।

आद्याकाली जयंती 2026 कब है?

आद्याकाली जयंती आमतौर पर ज्येष्ठ मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाई जाती है। 2026 में, आद्याकाली जयंती 4 सितंबर, शुक्रवार को पड़ेगी। यह तिथि तंत्र साधना और विशेष अनुष्ठानों के लिए अत्यंत शुभ मानी जाती है।

कौन हैं माँ आद्याकाली?

आद्याकाली, जिन्हें महाकाली के नाम से भी जाना जाता है, दस महाविद्याओं में से एक प्रमुख देवी हैं। ‘आद्या’ का अर्थ है ‘आदि’ या ‘सबसे पहली’, जिसका तात्पर्य है कि वे ब्रह्मांड की आदि शक्ति हैं। वे काल (समय) और मृत्यु पर नियंत्रण रखने वाली देवी हैं। उनका स्वरूप अत्यंत उग्र और भयभीत करने वाला प्रतीत हो सकता है, लेकिन भक्तों के लिए वे करुणामयी माँ हैं जो सभी भय, नकारात्मकता और शत्रुओं का नाश करती हैं।

माँ आद्याकाली का वर्ण गहरा नीला या काला है, जो अनंत ब्रह्मांड और असीमित शक्ति का प्रतीक है। उनके चार हाथ हैं, जिनमें वे खड्ग (तलवार), नरमुंडों की माला, कटा हुआ सिर और कमल धारण करती हैं। उनकी जीभ बाहर निकली हुई होती है और वे अक्सर शिव के शव पर खड़ी दिखाई देती हैं, जो दर्शाता है कि वे परम शक्ति हैं जो जड़ और चेतन दोनों का स्रोत हैं।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, माँ आद्याकाली का प्राकट्य तब हुआ था जब ब्रह्मांड पर राक्षसों का आतंक चरम पर था और देवताओं को पराजित होना पड़ा था। उन्होंने अपनी प्रचंड शक्ति से रक्तबीज जैसे शक्तिशाली राक्षसों का संहार किया और धर्म की पुनर्स्थापना की। वे शक्ति, विनाश और सृजन के चक्र का प्रतिनिधित्व करती हैं।

आद्याकाली जयंती 2026 का महत्व

आद्याकाली जयंती का दिन माँ आद्याकाली की कृपा प्राप्त करने का एक अत्यंत शुभ अवसर है। इस दिन की गई पूजा-अर्चना और साधना से भक्तों को निम्नलिखित लाभ प्राप्त होते हैं:

  • माँ आद्याकाली अपने भक्तों को शत्रुओं पर विजय दिलाती हैं और उन्हें बुरी शक्तियों से बचाती हैं।
  • जो लोग किसी भी प्रकार के भय या फोबिया से पीड़ित हैं, उन्हें माँ काली की पूजा से मुक्ति मिलती है।
  • यह दिन नकारात्मक ऊर्जाओं, काले जादू और ऊपरी बाधाओं को दूर करने के लिए विशेष रूप से प्रभावी है।
  • माँ काली रोगों और कष्टों का निवारण करती हैं, जिससे भक्त स्वस्थ और निरोगी रहते हैं।
  • तंत्र साधना करने वाले साधकों के लिए यह दिन आध्यात्मिक उन्नति और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करता है।
  • माँ काली की कृपा से भक्तों को धन, समृद्धि और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।
  • माँ काली की पूजा से आत्मविश्वास बढ़ता है और व्यक्ति जीवन की चुनौतियों का सामना करने में सक्षम होता है।

आद्याकाली जयंती पूजा विधि 2026

आद्याकाली जयंती पर माँ की पूजा पूरी श्रद्धा और विधि-विधान से करनी चाहिए। यहाँ एक विस्तृत पूजा विधि दी गई है जिसका पालन करके आप माँ की कृपा प्राप्त कर सकते हैं:

  • पूजा से पहले शरीर और मन दोनों की शुद्धता आवश्यक है। घर के ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) में एक स्वच्छ स्थान चुनें। इसे गंगाजल से शुद्ध करें और एक चौकी या वेदी स्थापित करें।
  • सामग्री – माँ आद्याकाली की मूर्ति या चित्र, लाल वस्त्र, लाल पुष्प, माला, कुमकुम, सिन्दूर, हल्दी, चंदन, अक्षत (चावल), धूप, दीप, प्रसाद (मिठाई, फल, खीर, नारियल, बताशा, हलवा। माँ काली को मीठे पकवान विशेष रूप से प्रिय हैं), पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, गंगाजल का मिश्रण), गंगाजल या शुद्ध जल, नारियल, लौंग, इलायची, सुपारी, पान, दक्षिणा, कपूर, आरती के लिए सामग्री, आसन
  • पूजा शुरू करने से पहले हाथ में जल, फूल और चावल लेकर अपनी मनोकामना कहते हुए संकल्प लें कि आप किस उद्देश्य से यह पूजा कर रहे हैं।
  • एक तांबे या मिट्टी के कलश में जल भरकर उसमें सिक्का, सुपारी, अक्षत, हल्दी डालें। कलश के मुख पर आम के पत्ते लगाकर उस पर नारियल रखें। कलश को माँ काली की मूर्ति के पास स्थापित करें।
  • माँ की मूर्ति को पंचामृत से स्नान कराएं। स्नान के बाद शुद्ध जल से स्नान कराकर साफ वस्त्र से पोंछें।
  • माँ को नए लाल वस्त्र और आभूषण (यदि संभव हो) अर्पित करें। कुमकुम, सिन्दूर, हल्दी और चंदन से माँ को तिलक लगाएं। फूलों से उनका श्रृंगार करें।
  • शुद्ध घी या तिल के तेल का दीपक प्रज्ज्वलित करें। धूप जलाएं और माँ को अर्पित करें। माँ को फल, मिठाई, खीर, नारियल, बताशा, हलवा आदि का भोग लगाएं। जल भी अर्पित करें।
  • माँ आद्याकाली के मंत्रों का जाप करें। यह पूजा का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है। कुछ प्रमुख मंत्र: ॐ क्रीं कालिकायै नमः, सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्ये त्रयम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते॥, ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे
  • कम से कम 108 बार या अपनी श्रद्धा अनुसार अधिक बार मंत्रों का जाप करें। जाप करते समय रुद्राक्ष की माला का उपयोग कर सकते हैं।
  • मंत्र जाप के बाद कपूर या घी के दीपक से माँ आद्याकाली की आरती करें। आरती करते समय सभी परिवारजन उपस्थित रहें।
  • आरती के बाद माँ को हाथ में फूल लेकर पुष्पांजलि अर्पित करें और अपनी मनोकामनाएं दोहराएं। पूजा में हुई किसी भी भूल-चूक के लिए माँ से क्षमा याचना करें। पूजा के बाद प्रसाद को सभी उपस्थित लोगों और परिवारजनों में वितरित करें।

कुछ महत्वपूर्ण बातें

  • आद्याकाली जयंती पर रात्रि जागरण का विशेष महत्व है। यदि संभव हो तो रात्रि में माँ के भजन-कीर्तन करें और मंत्र जाप करें।
  • इस दिन तामसिक भोजन (प्याज, लहसुन, मांस, मदिरा) का सेवन न करें।
  • माँ काली की पूजा में लाल रंग का विशेष महत्व है।
  • यदि आप किसी विशेष समस्या से पीड़ित हैं, तो इस दिन माँ काली की साधना से उसका निवारण हो सकता है।
  • मंत्र जाप के दौरान एकाग्रता बनाए रखें और माँ के उग्र लेकिन करुणामयी स्वरूप का ध्यान करें।
  • कुछ भक्त इस दिन महाकाली यंत्र की स्थापना और पूजा भी करते हैं।

आद्याकाली जयंती 2026 पर विशेष उपाय

  • यदि आपको शत्रु बाधा का सामना करना पड़ रहा है, तो इस दिन माँ काली के सामने 108 लाल मिर्च के दाने “ॐ क्रीं कालिकायै नमः” मंत्र का जाप करते हुए अर्पित करें।
  • घर में नकारात्मक ऊर्जा महसूस होने पर इस दिन माँ काली की पूजा के बाद कपूर से घर में धूनी दें।
  • माँ काली को पांच कौड़ियां अर्पित करें और पूजा के बाद उन्हें लाल कपड़े में बांधकर अपनी तिजोरी में रखें।
  • एक नींबू को सात बार अपने ऊपर से उतारकर माँ काली के चरणों में अर्पित करें और उनसे रोग मुक्ति की प्रार्थना करें।

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