भीष्म द्वादशी पौराणिक कथा PDF हिन्दी
Download PDF of Bhishma Dwadasi Katha Hindi
Misc ✦ Vrat Katha (व्रत कथा संग्रह) ✦ हिन्दी
भीष्म द्वादशी पौराणिक कथा हिन्दी Lyrics
|| भीष्म द्वादशी पौराणिक कथा ||
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, राजा शांतनु की पत्नी देवी गंगा ने एक पुत्र को जन्म दिया, जिसका नाम देवव्रत रखा गया। पुत्र के जन्म के बाद, गंगा राजा शांतनु को छोड़कर चली गईं क्योंकि उन्होंने ऐसा वचन दिया था। इस वियोग से राजा शांतनु अत्यंत दुखी रहने लगे।
कुछ समय बाद, एक दिन जब राजा शांतनु गंगा नदी पार करने के लिए मत्स्यगंधा नामक कन्या की नाव में बैठे, तो उसके अद्वितीय सौंदर्य पर मोहित हो गए। उन्होंने मत्स्यगंधा के पिता से विवाह का प्रस्ताव रखा। लेकिन उसके पिता ने एक शर्त रखी कि विवाह तभी संभव होगा जब उनकी पुत्री से उत्पन्न संतान ही हस्तिनापुर के उत्तराधिकारी बने।
राजा शांतनु इस शर्त को स्वीकार नहीं कर सके, लेकिन वे अत्यंत चिंतित रहने लगे। जब देवव्रत को अपने पिता की चिंता का कारण ज्ञात हुआ, तो उन्होंने आजीवन अविवाहित रहने और हस्तिनापुर के लिए अपने जीवन का बलिदान देने की प्रतिज्ञा कर ली। उनकी इस महान प्रतिज्ञा को देखकर राजा शांतनु ने उन्हें इच्छा मृत्यु का वरदान दिया। इसी प्रतिज्ञा के कारण वे भीष्म पितामह के नाम से प्रसिद्ध हुए।
महाभारत युद्ध में भीष्म पितामह ने कौरवों की ओर से युद्ध लड़ा। उनके अद्वितीय युद्ध कौशल के कारण कौरवों को विजय मिलती दिख रही थी। तब भगवान श्रीकृष्ण ने एक युक्ति अपनाई और शिखंडी को भीष्म पितामह के सामने युद्ध में खड़ा कर दिया। अपनी प्रतिज्ञा के अनुसार, भीष्म पितामह ने शिखंडी पर शस्त्र नहीं उठाया और इसी कारण अन्य योद्धाओं ने उन पर तीरों की बौछार कर दी। इस प्रकार, भीष्म पितामह बाणों की शय्या पर लेट गए।
शास्त्रों के अनुसार, भीष्म पितामह ने सूर्य के दक्षिणायन में होने के कारण अपने प्राण नहीं त्यागे। जब सूर्य उत्तरायण में आया, तब उन्होंने अपना नश्वर शरीर त्याग दिया। उनकी स्मृति में माघ मास की द्वादशी तिथि को भीष्म द्वादशी के रूप में मनाया जाता है।
इस दिन व्रत रखने और भीष्म पितामह की पूजा करने से समस्त बीमारियों का नाश होता है। यह व्रत व्यक्ति को समस्त पापों से मुक्त करता है और उसे अमोघ फल की प्राप्ति होती है। इस व्रत का पालन स्वयं भीष्म पितामह ने किया था, इसलिए इसे भीष्म द्वादशी कहा जाता है। यह व्रत एकादशी के अगले दिन, द्वादशी तिथि को किया जाता है।
Join HinduNidhi WhatsApp Channel
Stay updated with the latest Hindu Text, updates, and exclusive content. Join our WhatsApp channel now!
Join Nowभीष्म द्वादशी पौराणिक कथा
READ
भीष्म द्वादशी पौराणिक कथा
on HinduNidhi Android App