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श्री छठ माता की आरती

Chhath Mata Aarti Hindi Lyrics

MiscAarti (आरती संग्रह)हिन्दी
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छठ महापर्व, सूर्यदेव और छठी मैया को समर्पित एक अनुपम त्योहार है, जो बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के कुछ हिस्सों में बड़ी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। यह पर्व प्रकृति और सृष्टि के प्रति आभार व्यक्त करने का प्रतीक है। छठ मैया की आरती इस पवित्र अनुष्ठान का एक अभिन्न अंग है, जो भक्तों के हृदय में शांति और अगाध भक्ति का संचार करती है।

श्री छठ माता की आरती का गायन और श्रवण भक्तों को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर देता है। इस आरती के माध्यम से भक्त छठी मैया से सुख-समृद्धि, संतान प्राप्ति और परिवार की खुशहाली की कामना करते हैं।

यदि आप “श्री छठ माता की आरती pdf” फॉर्मेट में डाउनलोड करना चाहते हैं, तो अब यहा पर सरलता से उपलब्ध है। छठ पूजा के दिनों में आरती का शुद्ध उच्चारण और सही क्रम से पाठ करना अत्यंत फलदायक माना गया है। आरती की पंक्तियाँ छठ मइया की महिमा का गुणगान करती हैं और उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करती हैं।

श्री छठ माता की आरती pdf डाउनलोड कर आप अपने घर पर पूजा विधि को सही तरीके से संपन्न कर सकते हैं। यह आरती न केवल आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग खोलती है, बल्कि जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और आस्था का संचार भी करती है।

|| छठ माता की आरती (Chhath Mata Aarti PDF) ||

जय छठी मैया ऊ जे केरवा जे फरेला खबद से,
ओह पर सुगा मंडराए।
मारबो रे सुगवा धनुख से,
सुगा गिरे मुरझाए॥

|| जय छठी मैया  ||

ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से,
आदित होई ना सहाय।
ऊ जे नारियर जे फरेला खबद से,
ओह पर सुगा मंडराए॥

|| जय छठी मैया  ||

मारबो रे सुगवा धनुख से,
सुगा गिरे मुरझाए।
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से,
आदित होई ना सहाय॥

|| जय छठी मैया  ||

अमरुदवा जे फरेला खबद से,
ओह पर सुगा मंडराए।
मारबो रे सुगवा धनुख से,
सुगा गिरे मुरझाए॥

|| जय छठी मैया  ||

ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से,
आदित होई ना सहाय।
शरीफवा जे फरेला खबद से,
ओह पर सुगा मंडराए॥

|| जय छठी मैया  ||

मारबो रे सुगवा धनुख से,
सुगा गिरे मुरझाए।
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से,
आदित होई ना सहाय॥

|| जय छठी मैया  ||

ऊ जे सेववा जे फरेला खबद से,
ओह पर सुगा मेड़राए।
मारबो रे सुगवा धनुख से,
सुगा गिरे मुरझाए॥

|| जय छठी मैया  ||

ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से,
आदित होई ना सहाय।
सभे फलवा जे फरेला खबद से,
ओह पर सुगा मंडराए॥

|| जय छठी मैया  ||

मारबो रे सुगवा धनुख से,
सुगा गिरे मुरझाए।
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से,
आदित होई ना सहाय॥

|| जय छठी मैया  ||

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