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चित्रगुप्त पूजा 2025 चित्रगुप्त पूजा कैसे करें? जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा सामग्री और व्रत कथा

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सनातन धर्म में अनेक देवी-देवताओं और पर्वों का महत्व है। उन्हीं में से एक प्रमुख पर्व है चित्रगुप्त पूजा, जो भगवान चित्रगुप्त को समर्पित है। चित्रगुप्त को यमराज का सहायक और मनुष्यों के कर्मों का लेखा-जोखा रखने वाला माना जाता है। यह पूजा विशेष रूप से कायस्थ समुदाय द्वारा की जाती है, जो उन्हें अपना आराध्य देव मानते हैं। इस वर्ष 2025 में, चित्रगुप्त पूजा का पर्व कब मनाया जाएगा, पूजा का शुभ मुहूर्त (auspicious time) क्या है, और इस दिन की पूजा विधि और व्रत कथा क्या है, आइए इन सभी बातों को विस्तार से जानते हैं।

चित्रगुप्त पूजा 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त

चित्रगुप्त पूजा हर साल कार्तिक मास की द्वितीया तिथि को मनाई जाती है। यह तिथि दीपावली (Diwali) के अगले दिन भाई दूज के साथ पड़ती है। साल 2025 में, चित्रगुप्त पूजा बृहस्पतिवार, अक्टूबर 23, 2025 को मनाई जाएगी।

शुभ मुहूर्त (Shubh Muhurat)

• द्वितीया तिथि प्रारंभ: अक्टूबर 22, 2025 को 08:16 PM बजे
• द्वितीया तिथि समाप्त: अक्टूबर 23, 2025 को 10:46 PM बजे
• पूजा का शुभ समय: 01:13 PM से 03:28 PM

यह पूजा विशेष रूप से दोपहर में की जाती है, क्योंकि इस समय चित्रगुप्त भगवान का स्मरण और पूजन करना अत्यंत शुभ माना जाता है।

चित्रगुप्त पूजा की सामग्री (Puja Samagri)

चित्रगुप्त पूजा के लिए आपको निम्नलिखित सामग्री की आवश्यकता होगी:

  • भगवान चित्रगुप्त की तस्वीर या मूर्ति
  • रोली, चावल, चंदन, हल्दी
  • गंगाजल
  • पान, सुपारी, लौंग, इलायची
  • फल (जैसे केला, सेब) और मिठाई (जैसे लड्डू, बर्फी)
  • धूप, दीपक, माचिस
  • शहद, दही, घी, चीनी
  • कलम (pen), दवात (inkpot), कागज (paper)
  • दवाइयां और पेन स्टैंड (pen stand)
  • एक नया खाता-बही या रजिस्टर
  • लाल कपड़ा
  • नारियल, फूल, माला
  • पंचामृत (दूध, दही, शहद, घी, चीनी का मिश्रण)

चित्रगुप्त पूजा की विधि (Puja Vidhi)

  • सबसे पहले पूजा स्थान को साफ करें। एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं और उस पर चित्रगुप्त भगवान की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।
  • भगवान चित्रगुप्त की पूजा में कलम-दवात की पूजा का विशेष महत्व है। पूजा से पहले, कलम-दवात को साफ करें और उस पर रोली-चावल लगाएं।
  •  पूजा प्रारंभ करने से पहले हाथ में जल, फूल और चावल लेकर संकल्प लें।
  • किसी भी शुभ कार्य को प्रारंभ करने से पहले गणेश जी की पूजा की जाती है। सबसे पहले गणेश जी का आह्वान करें और उनकी पूजा करें।
  • ‘ओम श्री चित्रगुप्ताय नमः’ मंत्र का जाप करते हुए भगवान चित्रगुप्त का आह्वान करें।
  • भगवान को पंचामृत से स्नान कराएं। इसके बाद उन्हें वस्त्र, जनेऊ, चंदन, रोली, चावल, फूल, फल, मिठाई, पान-सुपारी, धूप-दीप अर्पित करें।
  • पूजा के दौरान एक कोरा कागज लें। उस पर ‘श्री गणेशाय नमः’ लिखें। इसके बाद ‘ओम चित्रगुप्ताय नमः’ लिखें। इसके बाद अपनी आय और व्यय (income and expenditure) का लेखा-जोखा लिखें।
  • पूजा के अंत में भगवान चित्रगुप्त की आरती करें।
  • पूजा में हुई किसी भी गलती के लिए क्षमा प्रार्थना करें।

चित्रगुप्त पूजा की व्रत कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान ब्रह्मा ने अपनी सृष्टि का विस्तार किया। उन्होंने यमराज को मनुष्यों के कर्मों के अनुसार न्याय करने का कार्य सौंपा। लेकिन, यमराज को यह कार्य कठिन लगा क्योंकि उन्हें यह याद नहीं रहता था कि किस मनुष्य ने कौन से कर्म किए हैं। तब ब्रह्मा जी ने अपनी काया (शरीर) से एक दिव्य पुरुष को उत्पन्न किया। यह दिव्य पुरुष भगवान चित्रगुप्त कहलाए।

भगवान चित्रगुप्त का कार्य मनुष्यों के कर्मों (deeds) का लेखा-जोखा रखना था। वे अपने हाथ में कलम और दवात लेकर मनुष्यों के अच्छे और बुरे कर्मों को लिखते हैं। इसी के आधार पर यमराज मनुष्यों को स्वर्ग या नर्क भेजते हैं। इस कथा के अनुसार, चित्रगुप्त भगवान की पूजा करने से मनुष्य को अपने कर्मों के अनुसार शुभ फल मिलते हैं। वे जीवन में सफलता और सुख-समृद्धि (prosperity) प्राप्त करते हैं।

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