मन तड़पत हरि दर्शन को आज – भजन
॥मन तड़पत हरि दर्शन को आज – भजन॥ मन तड़पत हरि दर्शन को आज मोरे तुम बिन बिगड़े सकल काज विनती करत हूँ रखियो लाज ॥ मन तड़पत हरि…॥ तुम्हरे द्वार का मैं हूँ जोगी हमरी ओर नज़र कब होगी सुन मोरे व्याकुल मन का बात ॥ मन तड़पत हरि…॥ बिन गुरू ज्ञान कहाँ से…