|| गुप्त नवरात्रि पूजा विधि ||
1. गुप्त नवरात्रों में माँ काली और महादेव की पूजा की जाती है।
2. प्रातःकाल स्नानादि कर कलश की स्थापना करें।
3. कलश में गंगाजल, लौंग, सुपारी, इलाइची, हल्दी, चन्दन, अक्षत, मौली, रोली और पुष्प डालें।
4. आम, पीपल आदि के पत्तों से कलश को सजाएँ।
5. अब चावल या जौ भरी कटोरी को कलश पर रख पानी वाला नारियल लाल कपड़ें में लपेटकर उसपर रखें।
6. इसके बाद उत्तर पूर्व दिशा में चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर महादेव और माँ काली की प्रतिमा को रखें।
7. माँ काली के बाएं तरह उनके पुत्र श्री गणेश की प्रतिमा भी विराजित करें।
8. इसके उपरान्त धरती माता पर 7 प्रकार के अनाज, नदी की रेत और जौं डाले।
9. फिर अखंड ज्योति को जलाएं और पूरे नौ दिन उसके प्रज्जवलित रहने का ध्यान रखें।
10. माँ काली को शृंगार सामान, लाल चुन्नी अर्पित करने से वे प्रसन्न होती हैं।
11. इसके बाद स्वयं आसन पर बैठकर दुर्गा सप्तशती का पाठ करें और मंत्र का 108 बार जाप करें।
”ॐ एम ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे”
12. पूरे नौ दिन श्रद्धा भाव से सुबह-शाम इसी तरह पूजन करें आपकी मनोकामना अवश्य पूर्ण होगी।
|| गुप्त नवरात्रि व्रत कथा ||
पौराणिक कथा के अनुसार एक बार ऋषि श्रृंगी भक्तजनों को दर्शन दे रहे थे और तभी अचानक भीड़ से एक स्त्री निकलकर आई. वह स्त्री ने करबद्ध होकर ऋषि श्रृंगी से बोली कि मेरे पति दुर्व्यसनों से सदा घिरे रहते हैं जिस कारण मैं कोई पूजा-पाठ नहीं कर पाती. ना ही धर्म और भक्ति से जुड़ा कोई कार्य कर पाती. उस स्त्री ने बताया कि मेरा पति मांसाहारी हैं, जुआरी है, लेकिन मैं मां दुर्गा की सेवा करना चाहती हूं, उनकी भक्ति-साधना से अपने और परिवार के जीवन को सफल बनाना चाहती हूं. ऋषि श्रृंगी महिला के भक्तिभाव से बहुत प्रभावित हुए और उन्होंने उस स्त्री को आदरपूर्वक उपाय बताते हुए कहा कि वासंतिक और शारदीय नवरात्रों से तो आम जनमानस परिचित है, लेकिन इसके अतिरिक्त 2 नवरात्रि और भी होते हैं जिन्हें ‘गुप्त नवरात्रि’ कहा जाता है.
उन्होंने कहा कि प्रकट नवरात्रों में 9 देवियों की उपासना होती है और गुप्त नवरात्रों में 10 महाविद्याओं की साधना की जाती है. इन नवरात्रों की प्रमुख देवी स्वरूप का नाम सर्वैश्वर्यकारिणी देवी है. यदि इन गुप्त नवरात्रि में कोई भी भक्त माता दुर्गा की पूजा-साधना करता है, तो मां उसके जीवन को सफल कर देती हैं.
ऋषि श्रृंगी ने आगे कहा कि लोभी, कामी, व्यसनी, मांसाहारी अथवा पूजा-पाठ न कर सकने वाला भी यदि गुप्त नवरात्रों में माता की पूजा करता है, तो उसे जीवन में कुछ और करने की आवश्यकता ही नहीं रहती. उस स्त्री ने ऋषि श्रृंगी के वचनों पर पूर्ण श्रद्धा करते हुए गुप्त नवरात्रि की पूजा की. मां उस पर प्रसन्न हुईं और उस स्त्री के जीवन में परिवर्तन आने लगा. उसके घर में सुख-शांति आ गई और पति भी गलत रास्ते से सही रास्ते पर आ गया.
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