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गुप्त नवरात्रि व्रत (माघ नवरात्रि) कथा एवं पूजा विधि

Gupt Navratri Vrat Katha and Pooja Vidhi Hindi

Durga JiVrat Katha (व्रत कथा संग्रह)हिन्दी
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|| गुप्त नवरात्रि (माघ नवरात्रि) पूजा विधि ||

  • गुप्त नवरात्रि में माँ काली और भगवान महादेव की विशेष पूजा की जाती है।
  • प्रातःकाल स्नानादि के पश्चात् शुद्ध स्थान पर कलश की स्थापना करें।
  • कलश में गंगाजल, लौंग, सुपारी, इलायची, हल्दी, चन्दन, अक्षत, मौली, रोली और पुष्प डालें।
  • आम, पीपल आदि के पत्तों से कलश को सजाएं।
  • एक कटोरी में चावल या जौ भरकर उसे कलश के ऊपर रखें और पानी वाला नारियल लाल कपड़े में लपेटकर उस पर रखें।
  • इसके बाद उत्तर-पूर्व दिशा में चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर भगवान महादेव और माँ काली की प्रतिमा स्थापित करें।
  • माँ काली के बाईं ओर श्री गणेश की प्रतिमा रखें।
  • धरती माता पर 7 प्रकार के अनाज, नदी की रेत और जौ चढ़ाएं।
  • अखंड ज्योति प्रज्ज्वलित करें और सुनिश्चित करें कि वह पूरे नौ दिन जलती रहे।
  • माँ काली को श्रृंगार सामग्री और लाल चुनरी अर्पित करें।
  • पूजा के दौरान आसन पर बैठकर श्रद्धापूर्वक दुर्गा सप्तशती का पाठ करें और निम्न मंत्र का 108 बार जाप करें: “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे”
  • पूरे नौ दिनों तक सुबह और शाम इसी विधि से पूजा-अर्चना करें। माँ आपकी मनोकामना अवश्य पूर्ण करेंगी।

|| गुप्त नवरात्रि (माघ नवरात्रि) व्रत कथा ||

पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार ऋषि श्रृंगी भक्तजनों को दर्शन दे रहे थे। उसी समय भीड़ में से एक स्त्री उनके पास आई। वह स्त्री करबद्ध होकर बोली, “हे ऋषिवर, मेरे पति दुर्व्यसनों में लिप्त रहते हैं, जिस कारण मैं पूजा-पाठ और धर्म-कर्म नहीं कर पाती। मैं माँ दुर्गा की भक्ति-साधना से अपने और परिवार के जीवन को सुखमय बनाना चाहती हूँ।”

ऋषि श्रृंगी स्त्री की भक्ति से प्रभावित हुए और बोले, “प्रकट नवरात्रि में 9 देवियों की पूजा होती है, जबकि गुप्त नवरात्रि में 10 महाविद्याओं की साधना की जाती है। इन नवरात्रों की प्रमुख देवी स्वरूप का नाम ‘सर्वैश्वर्यकारिणी देवी’ है। यदि कोई भक्त गुप्त नवरात्रि में माँ दुर्गा की पूजा करता है, तो माँ उसकी सभी इच्छाओं को पूर्ण करती हैं।”

ऋषि ने कहा, “यदि लोभी, व्यसनी, मांसाहारी अथवा पूजा-पाठ न करने वाला व्यक्ति भी गुप्त नवरात्रि में माँ की पूजा करता है, तो उसके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आता है।”

उस स्त्री ने ऋषि श्रृंगी की बातों पर पूर्ण श्रद्धा रखकर गुप्त नवरात्रि की पूजा आरंभ की। माँ दुर्गा उस पर प्रसन्न हुईं और उसके जीवन में सुख-शांति का आगमन हुआ। उसके पति भी बुराई का त्याग कर सही मार्ग पर आ गए। इस प्रकार गुप्त नवरात्रि ने उस स्त्री के जीवन को सफल बना दिया।

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