चलिए जानें होलिका दहन का अर्थ और इतिहास। होलिका दहन का त्योहार हमें यह सिखाता है कि भगवान हमेशा अपने विशेष भक्तों की सुरक्षा में सदैव सहायक रहते हैं।
होलिका दहन, होली त्योहार का पहला दिन, फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इसके अगले दिन रंगों से खेलने का परंपरागत आदान-प्रदान है, जिसे धुलेंडी, धुलंडी और धूलि भी कहा जाता है। होली बुराई पर अच्छाई की जीत के सन्दर्भ में मनाई जाती है। होलिका दहन (जिसे छोटी होली भी कहा जाता है) के अगले दिन, पूरे हर्षोल्लास के साथ रंग खेलने का आयोजन होता है, और लोग एक-दूसरे पर अबीर-गुलाल लगाकर गले मिलते हैं।
भारत में होली एक शानदार त्योहार है, जो दीपावली की तरह अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है। हिन्दू धर्म के अनुयायियों के लिए होली का पौराणिक महत्व भी है, और इसे प्रहलाद, होलिका, और हिरण्यकश्यप की कहानी से जोड़ा जाता है। इसके अलावा, होली की और भी कई कहानियां हैं जो प्रसिद्ध हैं। वैष्णव परंपरा में, होली को होलिका-प्रहलाद की कहानी का प्रतीक माना जाता है। इस दिन होलीका चालीसा का पाठ करने से बिगड़े काम बनते हैं।
|| होलिका दहन पूजा की विधि ||
- होलिका दहन की पूजा करने के लिए सबसे पहले स्नान करना अत्यंत आवश्यक है।
- स्नान के बाद, होलिका की पूजा के लिए निर्धारित स्थान पर उत्तर या पूरब दिशा की ओर मुख करके बैठें।
- पूजा करने हेतु, गाय के गोबर से होलिका और प्रहलाद की प्रतिमा बनाएं।
- साथ ही, पूजा के लिए रोली, फूल, फूलों की माला, कच्चा सूत, गुड़, साबुत हल्दी, मूंग, बताशे, गुलाल, नारियल, 5 से 7 तरह के अनाज और एक लोटे में पानी रख लें।
- उसके बाद, इन सभी पूजन सामग्रियों के साथ पूरे विधि-विधान से पूजा करें। मिठाइयां और फलों को चढ़ाएं।
- होलिका की पूजा के साथ ही, भगवान नरसिंह की भी विधि-विधान से पूजा करें और फिर होलिका के चारों ओर सात बार परिक्रमा करें।
- इस दिन होलिका पूजा के बाद होलिका आरती का पाठ करना चाहिए।
पूर्णिमा तिथि
फाल्गुन पूर्णिमा को होलिका दहन और इसके अगले दिन होली मनाई जाती है। इस साल फाल्गुन पूर्णिमा तिथि 24 मार्च को सुबह 09 बजकर 54 मिनट से शुरू होगी। वहीं इस तिथि का समापन अगले दिन यानी 25 मार्च को दोपहर 12 बजकर 29 मिनट पर होगा।
होलिका दहन 2024
24 मार्च को होलिका दहन है। इस दिन होलिका दहन के लिए शुभ मुहूर्त देर रात 11 बजकर 13 मिनट से लेकर 12 बजकर 27 मिनट तक है। इस विशेष मुहूर्त में, आपको होलिका दहन के लिए कुल 1 घंटे 14 मिनट का समय मिलेगा।
कब है होली 2024?
होलिका के अगले दिन होली मनाई जाती है, इसलिए इस साल 25 मार्च को होली है। इस दिन देशभर में धूमधाम से होली मनाई जाएगी।
होलिका दहन की पौराणिक कथा
पुराणों के अनुसार, दानवराज हिरण्यकश्यप ने जब देखा कि उसका पुत्र प्रह्लाद सिवाय विष्णु भगवान के किसी अन्य को नहीं भजता, तो वह क्रुद्ध हो उठा और अंततः उसने अपनी बहन होलिका को आदेश दिया कि वह प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठ जाए, क्योंकि होलिका को वरदान प्राप्त था कि उसे अग्नि नुकसान नहीं पहुंचा सकती। किन्तु हुआ इसके ठीक विपरीत, होलिका जलकर भस्म हो गई और भक्त प्रह्लाद को कुछ भी नहीं हुआ। इसी घटना की याद में इस दिन होलिका दहन करने का विधान है। होली का पर्व संदेश देता है कि इसी प्रकार ईश्वर अपने अनन्य भक्तों की रक्षा के लिए सदा उपस्थित रहते हैं। होली की केवल यही नहीं बल्कि और भी कई कहानियां प्रचलित हैं।
कामदेव को किया था भस्म
होली की एक कहानी कामदेव की भी है। पार्वती शिव से विवाह करना चाहती थीं लेकिन तपस्या में लीन शिव का ध्यान उनकी तरफ गया ही नहीं। ऐसे में प्यार के देवता कामदेव आगे आए और उन्होंने शिव पर पुष्प बाण चला दिया। तपस्या भंग होने से शिव को इतना गुस्सा आया कि उन्होंने अपनी तीसरी आंख खोल दी और उनके क्रोध की अग्नि में कामदेव भस्म हो गए। कामदेव के भस्म होने पर उनकी पत्नी रति रोने लगीं और शिव से कामदेव को जीवित करने की गुहार लगाई। अगले दिन तक शिव का क्रोध शांत हो चुका था, उन्होंने कामदेव को पुनर्जीवित किया। कामदेव के भस्म होने के दिन होलिका जलाई जाती है और उनके जीवित होने की खुशी में रंगों का त्योहार मनाया जाता है।
महाभारत की कहानी
महाभारत की एक कहानी के मुताबिक, युधिष्ठर को श्री कृष्ण ने बताया- एक बार श्री राम के एक पूर्वज रघु, के शासन में एक असुर महिला थी। उसे कोई भी नहीं मार सकता था, क्योंकि वह एक वरदान द्वारा संरक्षित थी। उसे गली में खेल रहे बच्चों, के अलावा किसी से भी डर नहीं था। एक दिन, गुरु वशिष्ठ ने बताया कि- उसे मारा जा सकता है, यदि बच्चे अपने हाथों में लकड़ी के छोटे टुकड़े लेकर, शहर के बाहरी इलाके के पास चले जाएं और सूखी घास के साथ-साथ उनका ढेर लगाकर जला दें। फिर उसके चारों ओर परिक्रमा दें, नृत्य करें, ताली बजाएं, गाना गाएं और नगाड़े बजाएं। फिर ऐसा ही किया गया। इस दिन को, एक उत्सव के रूप में मनाया गया, जो बुराई पर एक मासूम दिल की जीत का प्रतीक है।
Found a Mistake or Error? Report it Now
![Download HinduNidhi App](https://hindunidhi.com/download-hindunidhi-app.png)