|| जैसे होली में रंग, रंगो में होली ||
जैसे होली में रंग,
रंगो में होली
वैसे कान्हा मेरा,
मैं कान्हा की हो ली
रोम रोम मेरा,
कान्हा से भरा
अब कैसे में खेलूँ री,
आँखमिचोली ॥
मैं तो कान्हा से मिलने अकेली चली,
संग संग मेरे,
सारे रंग चले,
ज़रा बचके रहो,
ज़रा हटके चलो,
बड़ी नटखट है,
नव रंगों की टोली ॥
अब तो तन मन पे श्याम रंग चढा,
कंचन के तन रतन जडा,
बनठन के मैं बैठी,
दुल्हन की तरहा,
कान्हा लेके चला,
मेरे प्रेम की डोली ॥
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