जनवरी 2025 में हिन्दू धर्म के विभिन्न व्रतों और त्यौहारों का शुभारंभ नए साल की आध्यात्मिक ऊर्जा के साथ होगा। महीने की शुरुआत पौष पूर्णिमा (13 जनवरी) से होगी, जो दान और स्नान के लिए महत्वपूर्ण है। मकर संक्रांति (14 जनवरी) पर सूर्य देव की पूजा और तिल-गुड़ का विशेष महत्व है। इसके बाद शत्रुध्न जयंती (15 जनवरी) और सकट चौथ (17 जनवरी) मनाई जाएगी। पौष अमावस्या (25 जनवरी) पर पितरों के तर्पण का दिन है। शुक्ल पक्ष की एकादशी, यानी पुत्रदा एकादशी (10 जनवरी), भगवान विष्णु को समर्पित है। ये व्रत-त्यौहार श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक हैं।
जनवरी 2025 के हिन्दू व्रत और त्यौहार कैलेंडर
जनवरी 1, 2025 | चन्द्र दर्शन | बुधवार पौष, शुक्ल प्रतिपदा |
जनवरी 3, 2025 | विनायक चतुर्थी | शुक्रवार पौष, शुक्ल चतुर्थी |
जनवरी 5, 2025 | स्कन्द षष्ठी | रविवार पौष, शुक्ल षष्ठी |
जनवरी 6, 2025 | गुरु गोबिन्द सिंह जयन्ती | सोमवार पौष, शुक्ल सप्तमी |
जनवरी 7, 2025 | शाकम्भरी उत्सवारम्भ | मंगलवार पौष, शुक्ल अष्टमी |
जनवरी 7, 2025 | मासिक दुर्गाष्टमी | मंगलवार पौष, शुक्ल अष्टमी |
जनवरी 9, 2025 | मासिक कार्तिगाई | बृहस्पतिवार सौर कैलेण्डर पर आधारित |
जनवरी 10, 2025 | तैलंग स्वामी जयन्ती | शुक्रवार पौष, शुक्ल एकादशी |
जनवरी 10, 2025 | वैकुण्ठ एकादशी | शुक्रवार सौर कैलेण्डर पर आधारित |
जनवरी 10, 2025 | पौष पुत्रदा एकादशी | शुक्रवार पौष, शुक्ल एकादशी |
जनवरी 10, 2025 | कूर्म द्वादशी | शुक्रवार पौष, शुक्ल द्वादशी |
जनवरी 11, 2025 | शनि त्रयोदशी | शनिवार पौष, शुक्ल त्रयोदशी |
जनवरी 11, 2025 | रोहिणी व्रत | शनिवार पौष, शुक्ल त्रयोदशी |
जनवरी 11, 2025 | प्रदोष व्रत | शनिवार पौष, शुक्ल त्रयोदशी |
जनवरी 13, 2025 | शाकम्भरी पूर्णिमा | सोमवार पौष, शुक्ल पूर्णिमा |
जनवरी 13, 2025 | अरुद्र दर्शन | सोमवार तमिल कैलेण्डर पर आधारित |
जनवरी 13, 2025 | भोगी पण्डिगाई | सोमवार सौर कैलेण्डर पर आधारित |
जनवरी 13, 2025 | लोहड़ी | सोमवार मकर संक्रान्ति के एक दिन पहले |
जनवरी 13, 2025 | पौष पूर्णिमा व्रत | सोमवार पौष, शुक्ल पूर्णिमा |
जनवरी 13, 2025 | अन्वाधान | सोमवार पौष, शुक्ल चतुर्दशी |
जनवरी 14, 2025 | मकर संक्रान्ति | वार सूर्य का धनु से मकर राशि में प्रवेश |
जनवरी 14, 2025 | पोंगल | मंगलवार मकर संक्रान्ति के दिन |
जनवरी 14, 2025 | उत्तरायण | मंगलवार सौर कैलेण्डर पर आधारित |
जनवरी 14, 2025 | मकरविलक्कु | मंगलवार सौर कैलेण्डर पर आधारित |
जनवरी 14, 2025 | इष्टि | मंगलवार पौष, शुक्ल पूर्णिमा |
जनवरी 15, 2025 | मट्टू पोंगल | बुधवार सौर कैलेण्डर पर आधारित |
जनवरी 15, 2025 | माघ बिहु | बुधवार सौर कैलेण्डर पर आधारित |
जनवरी 17, 2025 | सकट चौथ | शुक्रवार माघ, कृष्ण चतुर्थी |
जनवरी 17, 2025 | लम्बोदर संकष्टी चतुर्थी | शुक्रवार माघ, कृष्ण चतुर्थी |
जनवरी 21, 2025 | कालाष्टमी | मंगलवार माघ, कृष्ण अष्टमी |
जनवरी 21, 2025 | मासिक कृष्ण जन्माष्टमी | मंगलवार माघ, कृष्ण अष्टमी |
जनवरी 25, 2025 | षटतिला एकादशी | शनिवार माघ, कृष्ण एकादशी |
जनवरी 27, 2025 | मेरु त्रयोदशी | सोमवार जैन कैलेण्डर पर आधारित |
जनवरी 27, 2025 | प्रदोष व्रत | सोमवार माघ, कृष्ण त्रयोदशी |
जनवरी 27, 2025 | मासिक शिवरात्रि | सोमवार माघ, कृष्ण चतुर्दशी |
जनवरी 29, 2025 | मौनी अमावस | बुधवार माघ, कृष्ण अमावस्या |
जनवरी 29, 2025 | दर्श अमावस्या | बुधवार माघ, कृष्ण अमावस्या |
जनवरी 29, 2025 | अन्वाधान | बुधवार माघ, कृष्ण चतुर्दशी |
जनवरी 29, 2025 | माघ अमावस्या | बुधवार फाल्गुन, कृष्ण अमावस्या |
जनवरी 30, 2025 | माघ नवरात्रि | बृहस्पतिवार माघ, शुक्ल प्रतिपदा |
जनवरी 30, 2025 | इष्टि | बृहस्पतिवार माघ, कृष्ण अमावस्या |
जनवरी 30, 2025 | चन्द्र दर्शन | बृहस्पतिवार माघ, शुक्ल प्रतिपदा |
।। मकर संक्रांति व्रत कथा ।।
पौराणिक कथा के अनुसार, राजा सगर अपने परोपकार और पुण्य कर्मों के कारण तीनों लोकों में प्रसिद्ध हो गए थे। उनकी प्रशंसा चारों ओर हो रही थी। यह देखकर देवराज इंद्र चिंतित हो गए कि कहीं राजा सगर स्वर्ग के राजा न बन जाएं। इसी दौरान राजा सगर ने अश्वमेध यज्ञ का आयोजन किया। इंद्र ने षड्यंत्र रचकर यज्ञ के घोड़े को चुराकर कपिल मुनि के आश्रम के पास बांध दिया।
जब यज्ञ का घोड़ा चोरी होने की सूचना मिली, तो राजा सगर ने अपने 60 हजार पुत्रों को घोड़े की खोज में भेजा। खोजते-खोजते वे कपिल मुनि के आश्रम पहुंचे और वहां घोड़े को बंधा हुआ देखा। उन्होंने कपिल मुनि पर घोड़ा चोरी करने का आरोप लगाया। इस आरोप से क्रोधित होकर कपिल मुनि ने श्राप देकर राजा सगर के सभी पुत्रों को जलाकर भस्म कर दिया।
जब यह बात राजा सगर को पता चली, तो वे कपिल मुनि के आश्रम पहुंचे और अपने पुत्रों को क्षमा करने की प्रार्थना की। कपिल मुनि ने कहा कि उनके पुत्रों को मोक्ष केवल तभी मिलेगा, जब मोक्षदायिनी गंगा धरती पर अवतरित होकर उन्हें मोक्ष प्रदान करेंगी।
राजा सगर के पोते राजकुमार अंशुमान ने यह प्रण लिया कि गंगा को पृथ्वी पर लाने के लिए वे और उनके वंशज तपस्या करेंगे। अंशुमान के प्रयास असफल रहे, लेकिन उनके पुत्र दिलीप और उनके पौत्र राजा भगीरथ ने यह तपस्या जारी रखी। अंततः राजा भगीरथ ने कठोर तपस्या करके मां गंगा को प्रसन्न किया।
मां गंगा ने प्रसन्न होकर अवतरण का वचन दिया, पर उनका वेग इतना तीव्र था कि पृथ्वी को विनाश का सामना करना पड़ सकता था। तब राजा भगीरथ ने भगवान शिव की तपस्या की। भगवान शिव ने अपनी जटाओं में गंगा को धारण करके उनके वेग को नियंत्रित किया। इस प्रकार भगवान शिव “गंगाधर” कहलाए।
गंगा नदी पृथ्वी पर अवतरित हुईं और राजा भगीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम पहुंचीं। वहां गंगा जल के स्पर्श से राजा सगर के 60 हजार पुत्रों को मोक्ष प्राप्त हुआ। जिस दिन यह घटना घटी, वह मकर संक्रांति का पावन दिन था।
इसके बाद मां गंगा सागर में जाकर मिल गईं। जहां गंगा और सागर का संगम हुआ, वह स्थान “गंगासागर” के नाम से प्रसिद्ध है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मकर संक्रांति के दिन गंगा या गंगासागर में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और सात जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं।
Found a Mistake or Error? Report it Now