सोम प्रदोष व्रत की कथा एक विधवा ब्राह्मणी और उसके पुत्र से जुड़ी है। पति के देहांत के बाद वह भिक्षा मांगकर गुजारा करती थी। एक दिन, उन्हें घायल अवस्था में विदर्भ का राजकुमार मिला, जिसकी सेवा ब्राह्मणी ने दयापूर्वक की।
ब्राह्मणी सोम प्रदोष व्रत पूरी श्रद्धा से रखती थी। इस व्रत के पुण्य प्रभाव से राजकुमार को गंधर्वराज की बेटी से विवाह करने और अपनी खोई हुई सत्ता वापस पाने में मदद मिली। राजगद्दी मिलने के बाद, राजकुमार ने ब्राह्मणी और उसके पुत्र को सम्मानपूर्वक अपने दरबार में जगह दी, उनकी गरीबी दूर कर दी।
यह कथा दर्शाती है कि सच्चे मन से किया गया प्रदोष व्रत (जो महादेव और माता पार्वती को समर्पित है) हर मुश्किल को दूर कर, भक्त के जीवन में सुख-समृद्धि लाता है।
|| सोम प्रदोष व्रत कथा (Som Pradosh Vrat Katha PDF) ||
जो प्रदोष व्रत सोमवार को पड़ता है, उसे सोम प्रदोष व्रत कहते हैं। सोमवार भगवान शिव का दिन माना जाता है, इसलिए इस दिन प्रदोष व्रत करने से इसका महत्व और भी बढ़ जाता है।
एक नगर में एक ब्राह्मणी अपने बेटे के साथ रहती थी। उसके पति का देहांत हो चुका था और अब उनका कोई सहारा नहीं था। सुबह होते ही वे दोनों भिक्षा मांगने निकल पड़ते और उसी से अपना पेट भरते।
एक दिन घर लौटते समय ब्राह्मणी को एक घायल लड़का कराहता हुआ मिला। दयावश ब्राह्मणी उसे अपने घर ले आई। वह लड़का विदर्भ का राजकुमार था। शत्रु सैनिकों ने उसके राज्य पर हमला कर उसके पिता को बंदी बना लिया था और राज्य पर कब्ज़ा कर लिया था, इसलिए वह भटक रहा था। राजकुमार अब ब्राह्मणी के बेटे के साथ उसके घर में रहने लगा।
एक दिन अंशुमति नाम की एक गंधर्व कन्या ने राजकुमार को देखा और उस पर मोहित हो गई। अगले दिन अंशुमति अपने माता-पिता को राजकुमार से मिलवाने लाई। उन्हें भी राजकुमार पसंद आ गया।
कुछ दिनों बाद अंशुमति के माता-पिता को भगवान शंकर ने सपने में आदेश दिया कि राजकुमार और अंशुमति का विवाह कर दिया जाए। उन्होंने वैसा ही किया। ब्राह्मणी प्रदोष व्रत रखती थी। उसके व्रत के प्रभाव और गंधर्वराज की सेना की मदद से राजकुमार ने विदर्भ से शत्रुओं को खदेड़ दिया और अपने पिता का राज्य वापस पाकर खुशी-खुशी रहने लगा। राजकुमार ने ब्राह्मणी के बेटे को अपना प्रधानमंत्री बनाया।
ब्राह्मणी के प्रदोष व्रत के महत्व से जैसे राजकुमार और ब्राह्मणी के बेटे के अच्छे दिन आए, वैसे ही भगवान शंकर अपने सभी भक्तों के दिन भी बदलते हैं।
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