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2025 में इष्टि एवं अन्वाधान व्रतों की विस्तृत सूची, महत्व और विधि सहित

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वेदिक परंपरा में यज्ञों का विशेष महत्व है, और इष्टि एवं अन्वाधान ऐसे ही दो महत्वपूर्ण यज्ञ हैं। आइए इन दोनों को समझते हैं। अन्वाधान हमेशा पहले किया जाता है। इसे यज्ञ की तैयारी माना जा सकता है, जहां देवता को आमंत्रित किया जाता है। अगले दिन, वास्तविक इष्टि अनुष्ठान होता है, जहां देवता को प्रसाद चढ़ाया जाता है और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए मंत्रों का उच्चारण किया जाता है।

इष्टि (यज्ञ)

इष्टि वैदिक यज्ञों में से एक महत्वपूर्ण यज्ञ है, जिसे विभिन्न उद्देश्यों के लिए किया जाता है। “इष्टि” शब्द का अर्थ है “प्राप्ति” या “कामना”, और इस यज्ञ का मुख्य उद्देश्य इच्छाओं की पूर्ति और जीवन की समृद्धि है। इष्टि यज्ञ को अग्निहोत्र यज्ञ भी कहा जाता है और इसे विशेष रूप से नवम एवं पूर्णिमा के दिन किया जाता है।

इष्टि यज्ञ की विधि में मुख्यतः अग्नि प्रज्वलन, देवताओं का आह्वान, मंत्रोच्चारण और हवन शामिल हैं। इसमें घी, तिल, जौ, और अन्य सामग्री का आहुति के रूप में उपयोग किया जाता है। यजमान अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए इस यज्ञ का आयोजन करता है और देवताओं से आशीर्वाद प्राप्त करता है।

अन्वाधान (वैदिक अनुष्ठान)

अन्वाधान एक वैदिक अनुष्ठान है जो विशेष रूप से फसलों की बुवाई और फसल कटाई के समय किया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य कृषि से संबंधित समस्याओं का समाधान करना और कृषि उत्पादन में वृद्धि करना है।

“अन्वाधान” शब्द का अर्थ है “अनुकरण” या “पालन करना”, और इस अनुष्ठान में कृषि देवी-देवताओं का आह्वान कर उनकी पूजा की जाती है। अन्वाधान में विभिन्न प्रकार के मंत्र और हवन सामग्री का उपयोग किया जाता है, जिससे भूमि की उर्वरता बढ़ती है और फसलों को रोगों से मुक्ति मिलती है।

इष्टि एवं अन्वाधान व्रतों की सूची 2025

जनवरी 13, 2025, सोमवारअन्वाधानशुक्ल पूर्णिमा
जनवरी 14, 2025, मंगलवारइष्टिशुक्ल पूर्णिमा
जनवरी 29, 2025, बुधवारअन्वाधानकृष्ण अमावस्या
जनवरी 30, 2025, बृहस्पतिवारइष्टिकृष्ण अमावस्या
फरवरी 12, 2025, बुधवारअन्वाधानशुक्ल पूर्णिमा
फरवरी 13, 2025, बृहस्पतिवारइष्टिशुक्ल पूर्णिमा
फरवरी 27, 2025, बृहस्पतिवारअन्वाधानकृष्ण अमावस्या
फरवरी 28, 2025, शुक्रवारइष्टिकृष्ण अमावस्या
मार्च 14, 2025, शुक्रवारअन्वाधानशुक्ल पूर्णिमा
मार्च 15, 2025, शनिवारइष्टिशुक्ल पूर्णिमा
मार्च 29, 2025, शनिवारअन्वाधानकृष्ण अमावस्या
मार्च 30, 2025, रविवारइष्टिकृष्ण अमावस्या
अप्रैल 12, 2025, शनिवारअन्वाधानशुक्ल पूर्णिमा
अप्रैल 13, 2025, रविवारइष्टिशुक्ल पूर्णिमा
अप्रैल 27, 2025, रविवारअन्वाधानकृष्ण अमावस्या
अप्रैल 28, 2025, सोमवारइष्टिकृष्ण अमावस्या
मई 12, 2025, सोमवारअन्वाधानशुक्ल पूर्णिमा
मई 13, 2025, मंगलवारइष्टिशुक्ल पूर्णिमा
मई 26, 2025, सोमवारअन्वाधानकृष्ण अमावस्या
मई 27, 2025, मंगलवारइष्टिकृष्ण अमावस्या
जून 11, 2025, बुधवारअन्वाधानशुक्ल पूर्णिमा
जून 12, 2025, बृहस्पतिवारइष्टिशुक्ल पूर्णिमा
जून 25, 2025, बुधवारअन्वाधानकृष्ण अमावस्या
जून 26, 2025, बृहस्पतिवारइष्टिकृष्ण अमावस्या
जुलाई 10, 2025, बृहस्पतिवारअन्वाधानशुक्ल पूर्णिमा
जुलाई 11, 2025, शुक्रवारइष्टिशुक्ल पूर्णिमा
जुलाई 24, 2025, बृहस्पतिवारअन्वाधानकृष्ण अमावस्या
जुलाई 25, 2025, शुक्रवारइष्टिकृष्ण अमावस्या
अगस्त 9, 2025, शनिवारअन्वाधानशुक्ल पूर्णिमा
अगस्त 10, 2025, रविवारइष्टिशुक्ल पूर्णिमा
अगस्त 22, 2025, शुक्रवारअन्वाधानकृष्ण अमावस्या
अगस्त 23, 2025, रविवारइष्टिकृष्ण अमावस्या
सितम्बर 7, 2025, रविवारअन्वाधानशुक्ल पूर्णिमा
सितम्बर 8, 2025, सोमवारइष्टिशुक्ल पूर्णिमा
सितम्बर 21, 2025 रविवारअन्वाधानकृष्ण अमावस्या
सितम्बर 22, 2025, सोमवारइष्टिकृष्ण अमावस्या
अक्टूबर 6, 2025, सोमवारअन्वाधानशुक्ल पूर्णिमा
अक्टूबर 7, 2025, मंगलवारइष्टिशुक्ल पूर्णिमा
अक्टूबर 21, 2025, मंगलवारअन्वाधानकृष्ण अमावस्या
अक्टूबर 22, 2025, बुधवारइष्टिकृष्ण अमावस्या
नवम्बर 5, 2025, बुधवारअन्वाधानशुक्ल पूर्णिमा
नवम्बर 6, 2025, बृहस्पतिवारइष्टिशुक्ल पूर्णिमा
नवम्बर 20, 2025, बृहस्पतिवारअन्वाधानकृष्ण अमावस्या
नवम्बर 21, 2025, शुक्रवारइष्टिकृष्ण अमावस्या
दिसम्बर 4, 2025, बृहस्पतिवारअन्वाधानशुक्ल पूर्णिमा
दिसम्बर 5, 2025, शुक्रवारइष्टिशुक्ल पूर्णिमा
दिसम्बर 19, 2025, शुक्रवारअन्वाधानकृष्ण अमावस्या
दिसम्बर 20, 2025, शनिवारइष्टिकृष्ण अमावस्या

इष्टि यज्ञ के लाभ

  • इसे करने से व्यक्ति की इच्छाएँ पूरी होती हैं।
  • यज्ञ के दौरान उच्चारित मंत्र मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति में सहायक होते हैं।
  • हवन से वातावरण शुद्ध होता है और नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है।

अन्वाधान के लाभ

  • इस अनुष्ठान से भूमि की उर्वरता बढ़ती है और फसलों की पैदावार में सुधार होता है।
  • हवन और मंत्रोच्चारण से फसलों को रोगों और कीटों से सुरक्षा मिलती है।
  • कृषि के सफल होने से किसान और समाज में समृद्धि और खुशहाली आती है।

अन्वाधान अनुष्ठान की प्रक्रिया

  • पहले भूमि को साफ किया जाता है और गोबर एवं जल से शुद्ध किया जाता है।
  • इसके बाद कृषि से संबंधित देवताओं का आह्वान किया जाता है।
  • हवन कुंड में घी, तिल, और अन्य हवन सामग्री से आहुति दी जाती है।
  • विशेष मंत्रों का उच्चारण कर देवताओं को प्रसन्न किया जाता है।
  • अंत में, प्रसाद वितरित किया जाता है और भूमि पर छिड़का जाता है।

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