Shiva

कोकिला व्रत क्या है? पार्वती जी ने कैसे पाया शिव जी को? जानिए विधि, महत्व और कथा

ShivaHindu Gyan (हिन्दू ज्ञान)हिन्दी
Share This

Join HinduNidhi WhatsApp Channel

Stay updated with the latest Hindu Text, updates, and exclusive content. Join our WhatsApp channel now!

Join Now

कोकिला व्रत, मुख्य रूप से विवाहित महिलाओं और अविवाहित लड़कियों द्वारा किया जाने वाला एक महत्वपूर्ण हिंदू व्रत है। यह व्रत आषाढ़ पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है और माना जाता है कि यह सुखी वैवाहिक जीवन और सौभाग्य का आशीर्वाद प्रदान करता है।

कोकिला व्रत मुख्य रूप से स्त्रियों द्वारा रखा जाता है। इस व्रत का मुख्य उद्देश्य सौभाग्य में वृद्धि प्राप्त करना और दांपत्य जीवन के सुख को पाना है। विवाहित स्त्रियां और कुंवारी कन्याएं दोनों ही इस व्रत को करती हैं। कोकिला व्रत करने से योग्य पति की प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है और विवाह शीघ्र होने का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस व्रत को भी अन्य सभी व्रतों की तरह ही नियमों का पालन करते हुए रखा जाता है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी सती ने अपने पिता दक्ष राजा द्वारा भगवान शिव का अपमान किए जाने के बाद आत्मदाह कर लिया था। मृत्यु के बाद, सती ने देवी पार्वती के रूप में पुनर्जन्म लिया। भगवान शिव से पुनर्मिलन से पहले, उन्होंने 1000 दिव्य वर्षों तक एक कोयल के रूप में जीवन व्यतीत किया।

कोकिला व्रत, देवी सती और भगवान शिव को समर्पित एक महत्वपूर्ण हिंदू व्रत है। ‘कोकिला’ शब्द भारतीय पक्षी कोयल को दर्शाता है, जो देवी सती के साथ प्रतीकात्मक रूप से जुड़ा हुआ है।

2024 में कब है कोकिला व्रत ?

विवरण तिथि और समय
कोकिला व्रत 2024 शनिवार, 20 जुलाई 2024
कोकिला व्रत प्रदोष पूजा मुहूर्त सायं 06:45 बजे से रात्रि 09:02 बजे तक
अवधि 02 घंटे 17 मिनट
पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ 20 जुलाई 2024 को शाम 05:59 बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त 21 जुलाई 2024 को अपराह्न 03:46 बजे

कोकिला व्रत पूजा सामग्री

  • गंगाजल
  • पंचामृत
  • भांग
  • धतूरा
  • बेलपत्र
  • फल
  • सफेद फूल
  • लाल फूल
  • धूप
  • घी
  • दीपक

कोकिला व्रत पूजा विधि

  1. पूर्णिमा के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर साफ वस्त्र धारण करें।
  2. मंदिर जाकर भगवान शिव का गंगाजल और पंचामृत से अभिषेक करें।
  3. विधि-विधान से भगवान भोलेनाथ को भांग, धतूरा, बेलपत्र, और फल अर्पित करें।
  4. शिवजी और सती माता का ध्यान कर व्रत का संकल्प लें।
  5. पूजा के दौरान भगवान शिव को सफेद फूल और माता सती को लाल फूल अवश्य चढ़ाएं।
  6. इसके पश्चात धूप और घी का दीपक जलाकर शिव जी आरती करें और फिर कोकिला व्रत कथा का पाठ करें।
  7. व्रत के दौरान दिनभर उपवास रखें और शाम को पूजा और आरती के बाद फलाहार करें।
  8. इस व्रत में अन्न का सेवन नहीं किया जाता है।

कोकिला व्रत का महत्व

  • यह व्रत विवाहित महिलाओं को अखंड सौभाग्य प्रदान करता है।
  • इस व्रत को करने से दांपत्य जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
  • विश्वास है कि इस व्रत को करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
  • यह व्रत भौम दोष से मुक्ति दिलाने में भी सहायक होता है, जो विवाह में बाधा डालता है।
  • अविवाहित महिलाओं को मनचाहा वर प्राप्त होता है।
  • यह व्रत अविवाहित महिलाओं का सौभाग्य बढ़ाता है।
  • व्रत के दौरान महिलाएं उपवास रखती हैं और शिव जी आरती  और माता पार्वती की पूजा करती हैं।
  • इस व्रत को करने से पारिवारिक जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।
  • यह व्रत आषाढ़ पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है।
  • इस व्रत को निष्ठा और श्रद्धा के साथ करने से अधिक लाभ प्राप्त होता है।

Found a Mistake or Error? Report it Now

Download HinduNidhi App
Join WhatsApp Channel Download App