|| श्री कुमार कवचम् ||
ॐ नमो भगवते भवबंधहरणाय, सद्भक्तशरणाय, शरवणभवाय, शांभवविभवाय, योगनायकाय, भोगदायकाय, महादेवसेनावृताय, महामणिगणालंकृताय, दुष्टदैत्य संहार कारणाय, दुष्क्रौंचविदारणाय, शक्ति शूल गदा खड्ग खेटक पाशांकुश मुसल प्रास तोमर वरदाभय करालंकृताय, शरणागत रक्षण दीक्षा धुरंधर चरणारविंदाय, सर्वलोकैक हर्त्रे, सर्वनिगमगुह्याय, कुक्कुटध्वजाय, कुक्षिस्थाखिल ब्रह्मांड मंडलाय, आखंडल वंदिताय, हृदेंद्र अंतरंगाब्धि सोमाय, संपूर्णकामाय, निष्कामाय, निरुपमाय, निर्द्वंद्वाय, नित्याय, सत्याय, शुद्धाय, बुद्धाय, मुक्ताय, अव्यक्ताय, अबाध्याय, अभेद्याय, असाध्याय, अविच्छेद्याय, आद्यंत शून्याय, अजाय, अप्रमेयाय, अवाङ्मानसगोचराय, परम शांताय, परिपूर्णाय, परात्पराय, प्रणवस्वरूपाय, प्रणतार्तिभंजनाय, स्वाश्रित जनरंजनाय, जय जय रुद्रकुमार, महाबल पराक्रम, त्रयस्त्रिंशत्कोटि देवतानंदकंद, स्कंद, निरुपमानंद, मम ऋणरोग शतृपीडा परिहारं कुरु कुरु, दुःखातुरुं ममानंदय आनंदय, नरकभयान्मामुद्धर उद्धर, संसृतिक्लेशसि हि तं मां संजीवय संजीवय, वरदोसि त्वं, सदयोसि त्वं, शक्तोसि त्वं, महाभुक्तिं मुक्तिं दत्वा मे शरणागतं, मां शतायुषमव, भो दीनबंधो, दयासिंधो, कार्तिकेय, प्रभो, प्रसीद प्रसीद, सुप्रसन्नो भव वरदो भव, सुब्रह्मण्य स्वामिन्, ॐ नमस्ते नमस्ते नमस्ते नमः ॥
इति कुमार कवचम् ।
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